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”पत्थरबाज़” महिला फ़ुटबॉलर पर बनेगी फ़िल्म

18 वर्ष की अफ़शाना आशिक़ की ज़िन्दगी पर बॉलीवुड में फिल्म बनाने की तैयारी हो रही है. श्रीनगर के बेमिना की रहने वाली अफ़शाना एक फुटबॉल खिलाड़ी हैं, जो इस मैदान में बहुत संघर्ष करने के बाद आगे बढ़ी हैं. अफ़शाना की एक तस्वीर इसी साल अप्रैल के महीने में वायरल हो गई थी. उस […]

18 वर्ष की अफ़शाना आशिक़ की ज़िन्दगी पर बॉलीवुड में फिल्म बनाने की तैयारी हो रही है.

श्रीनगर के बेमिना की रहने वाली अफ़शाना एक फुटबॉल खिलाड़ी हैं, जो इस मैदान में बहुत संघर्ष करने के बाद आगे बढ़ी हैं. अफ़शाना की एक तस्वीर इसी साल अप्रैल के महीने में वायरल हो गई थी. उस तस्वीर में अफ़शाना श्रीनगर के लाल चौक के क़रीब पुलिस वालों पर पत्थर फेंकती नज़र आ रही हैं.

अफ़शाना कहती हैं कि उस दौरान उन्होंने पहली बार पुलिस पर पत्थर मारे थे, उससे पहले कभी ऐसा नहीं किया था.

अफ़शाना बीते सात वर्षों से फुटबॉल खेल रही हैं. वह कोच भी हैं. बीते चार महीनों से वह मुंबई में ट्रेनिंग ले रही हैं.

पहले नहीं मिली फुटबॉल खेलने की इजाज़त

अफ़शाना कहती हैं कि जब उन्होंने शुरू-शुरू में फुटबॉल खेलना शुरू किया तो किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया था.

वह कहती हैं, "मेरे पापा ने मुझे शुरू में रोका. वह कहते थे कि लड़की हो, चोट लग जाएगी. कहने का मतलब है कि घर वालों की तरफ से पूरी इजाज़त नहीं थी. एक दिन एक 75 वर्ष के फुटबॉल कोच अब्दुल्लाह डार ने मुझे आगे बढ़ने के लिए कहा. फिर उन्होंने पापा को समझाया. पापा चाहते थे कि अगर खेलने का ही शौक है तो कॉलेज लेवल पर खेलो. इसके बाद मैंने खेलना शुरू किया."

अफ़शाना आगे बताती हैं, "फिर एक दिन मुझे एक दूसरे कोच मिल गए. उन दिनों यहां कोई लड़की नहीं खेलती थी. फिर मैं एसोसिएशन के साथ जुड़ गई और मुझे कोच बना दिया गया. मैं अकेली लड़की थी. मुझे लड़कों के साथ खेलना पड़ता था. लड़कों को परेशानी होती थी कि एक अकेली लड़की के साथ खेलना पड़ता है. मुझे कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि मुझे उन लड़कों से काफ़ी मदद मिली."

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फ़िल्म के लिए ऐसे माने माता-पिता

अफ़शाना को यक़ीन है कि बॉलीवुड में उनकी ज़िन्दगी पर जो फिल्म बनने जा रही है, उसमें कश्मीरी युवाओं की बात होगी.

वह कहती है, "कुछ महीने पहले मुझे फुटबॉल ट्रायल के लिए मुंबई जाना पड़ा. उस दौरान मुझे एक फ़ोन कॉल आया. फ़ोन करने वाले बॉलीवुड निर्देशक मनीष हरिशंकर थे. उन्होंने मुझसे मिलने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की. जब मैं मिली तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने आप पर कई आर्टिकल्स पढ़े हैं और मैं आप पर फिल्म बनाना चाहता हूँ. इसके बाद उन्होंने मेरे मम्मी-पापा को भी मुंबई बुलाया. उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ कश्मीर की उस लड़की को दिखाना चाहता हूँ जिसकी आंखों में कई सपने हैं, जिसके अंदर हुनर है और जो आगे बढ़ना चाहती है. यह सुनकर मेरे मम्मी-पापा इसके लिए तैयार हो गए."

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‘जानबूझकर नहीं किया था पथराव’

पुलिस पर पथराव करने वाले दिन को याद करते हुए वह कहती हैं कि उनके दिमाग में ऐसा कुछ नहीं था कि वह पत्थर मारें.

वह कहती हैं, "कश्मीर में जिस तरह हर रोज़ के हालात होते हैं, मैं भी उन हालात का शिकार हो गई. उस दिन श्रीनगर के लाल चौक के पास लड़कियां सड़कों पर आ गई थीं. वे पुलिस पर पथराव कर रही थीं. हम हिंसा में शामिल नहीं थे. हम तो फ़ुटबॉल खेलने जा रहे थे. इस दौरान पुलिस ने हमें रोका. हमने उनसे कई बार कहा कि हम फुटबॉल खेलने जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी. इसके बाद उन्होंने आकर मुझे बहुत बेइज़्ज़्त किया. कोई भी अपनी माँ-बहन के ख़िलाफ़ कुछ भी बर्दाश्त नहीं कर सकता. उन्होंने मेरी एक छात्र को थप्पड़ मारा."

अफ़शाना आगे कहती हैं, "ये सब देखने के बाद हमने फ़ैसला किया कि हम अपने अधिकारों के लिए लड़ सकते हैं. उसके बाद हमने पुलिस पर पत्थर मारे. मुझे तो दो दिन के बाद पता चला कि मेरी तस्वीर वायरल हो गयी है. फिर मेरे सेक्रेटरी ने मुझे फ़ोन किया और पूछा कि आपने पत्थर क्यों मारे थे. मैंने उनको समझाया कि इस तरह बात हुई थी. मैं खुद भी समझती हूँ कि हिंसा हमारे मसले का हल नहीं है."

‘फ़िल्म में होगी कश्मीरी युवाओं की बात’

निर्देशक मनीष हरिशंकर ने मुंबई से फ़ोन पर इस बात की पुष्टि कि वह अफ़शाना की ज़िन्दगी पर फिल्म बनाने जा रहे हैं.

उन्होंने बताया, "ये सही बात है कि अफ़शाना मेरी आने वाली फिल्म की एक बुनियादी किरदार हैं. मेरी इस फिल्म का नाम "ऑप सोलो" है. मैंने जिस तरह से उनके बारे में पढ़ा और मुझे लगा कि उन्होंने फुटबॉल के मैदान में एक आंदोलन शुरू किया है. मुझे ये पढ़कर अफ़शाना के किरदार में दिलचस्पी पैदा हो गई."

उन्होंने कहा, "कश्मीर पर आज तक कई फ़िल्में बनी हैं जिनमें राजनीतिक मुद्दे को छेड़ा गया है. लेकिन मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है. मेरी फिल्म कश्मीर के उन युवकों के इर्द-गिर्द है जिनकी आँखों में कुछ सपने हैं, जो आगे बढ़ना चाहते हैं. मैंने कश्मीर के युवकों के नज़रिए को जानने और समझने की कोशिश करने के बाद फिल्म बनाने का मन बनाया है. बच्चे तो बच्चे होते हैं, चाहे वे कश्मीर के हों या किसी और जगह के. उनके भी सपने होते हैं. वे अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं."

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मनीष हरिशंकर का कहना है कि अगले साल मार्च में फिल्म की शूटिंग का सिलसिला शुरू होगा. उनका ये भी कहना था कि वह चाहते हैं कि फिल्म की शूटिंग कश्मीर में हो.

अभी तक मनीष की दो फ़िल्में रिलीज़ हो चुकी हैं. उनकी पहली फिल्म "लाली की शादी में लड्डू दीवाना" थी.

निर्देशक राजकुमार संतोषी के साथ मनीष ने नौ साल तक काम किया है और इस दौरान कई बड़ी फिल्मों के लिए काम किया है.

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