सिमडेगा जिले की संतोषी कुमारी की ‘असमय’ मौत के मामले में झारखंड सरकार की जांच पूरी कर ली गयी है. जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि संतोषी के परिवार को फरवरी के बाद से राशन नहीं मिला था.
हालांकि, इस रिपोर्ट मे संतोषी की मौत भूख की बजाय मलेरिया से होने का दावा किया गया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सिमडेगा के उपायुक्त (डीसी) को इसकी जांच का आदेश दिया था.
झारखंड सरकार ने डीसी की जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी जिसके बाद केंद्र सरकार की टीम भी झारखंड पहुंच कर इस मामले की जांच शुरू कर चुकी है.
हालांकि इन सबके चलते गांव वालों ने संतोषी के घर पर बीती रात हमला भी कर दिया. बताया जा रहा है कि गांव की बदनामी के चलते गांव वालों ने ऐसा किया है. इस घटना की जानकारी मिलते ही सिमडेगा के उपायुक्त ने इलाक़े के प्रखंड विकास अधिकारी को गांव भेजा गया और इस हमले की जांच की जा रही है.
राशन न मिलने के लिए कौन ज़िम्मेदार?
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा,”हम लाखों करोड़ रुपये फूड सब्सिडी के लिए देते हैं. ऐसे में अगर किसी परिवार को महीनों से राशऩ नहीं मिला तो यह दुखद है. इसकी जांच कराई जाएगी और देखा जाएगा कि संतोषी के परिवार का राशऩ कार्ड रद्द होने के लिए कौन लोग ज़िम्मेदार हैं.”
इस बीच आधार कार्ड बनाने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के सीइओ अजय भूषण पांडेय ने बताया कि संतोषी को साल 2013 मे ही आधार कार्ड जारी कर दिया गया था.
उन्होंने मीडिया से कहा,”आधार एक्ट के सेक्शन-7 में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि सरकारी योजनाओं का लाभ इस कारण नहीं रोका जा सकता, क्योंकि किसी के पास आधार नंबर नहीं है.”
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‘मलेरिया से हुई मौत‘
इधर, सिमडेगा के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्रि ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने संतोषी के गांव कारीमाटी जाकर खुद इस मामले की जांच की है. इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में उन्होंने कुछ अधिकारियों के निलंबन की सिफारिश की है.
डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने बीबीसी से कहा, ”देखिए, मैंने गांव जाकर कई लोगों से बातचीत की. कारीमाटी के एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रौक्टिशनर (आरएमपी) ने संतोषी के खून का स्लाइड टेस्ट किया था. इसमें उनका पीएस फर्स्ट पाया गया था. उनकी मां कोयली देवी भी 13 अक्टूबर को सदर अस्पताल में आयी थी. तब डाक्टरों ने उनके ख़ून में भी पीवी पाजिटिव पाया. ऐसे में स्पष्ट है कि संतोषी की मौत मलेरिया से हुई है, न कि भूख से. यह दुष्प्रचार है कि वह भूख से मरी थी.”
भजंत्री ने बताया कि फरवरी में संतोषी के परिवार से आधार की फोटो कॉपी मांगी गयी थी, लेकिन उनके परिवार के लोग राशन कार्ड से लिंक करने के लिए यह उपलब्ध नहीं करा रहे थे. ऐसे में आशंका हुई कि कहीं उनलोगों ने दो-दो राशन कार्ड तो नहीं बनवा लिया है. इस कारण उनका राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था.
चर्चित सोशल एक्टिविस्ट ज्यां द्रेज ने कहा कि झारखंड की 80 प्रतिशत राशन दुकानों में आधार आधारित राशन वितरण व्यवस्था लागू कर दी गयी है. इसके कई दुष्परिणाम निकले हैं.
उनके मुताबिक कहीं इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण लोगों को राशन नहीं मिल रहा तो कहीं लाभार्थी परिवार के मुखिया का अंगूठा बायोमेट्रिक सिस्टम में स्कैन नहीं हो पा रहा, संतोषी की मौत भी इसी व्यवस्था का नतीजा है.
सियासी भूचाल
इस बीच संतोषी की मौत के बाद झारखंड में सियासत तेज़ हो गयी है. विपक्ष ने इसके लिए रघुवर दास की सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. झाविमो प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को कारीमाटी जाकर संतोषी की मां से बातचीत की. उन्होंने कोयली देवी को एक क्विंटल चावल और आठ हज़ार रुपये की सहायता भी दी.
इसके बाद बीबीसी से बातचीत में बाबूलाल मरांडी ने कहा, ”झारखंड में 11 लाख से भी अधिक राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं. इनमें ज़्यादातर कार्ड गरीबों के थे. ढाई लाख के करीब वृद्धावस्था पेंशन भी रद्द किया जा रहा है. इस कारण लोग भूख से मर रहे हैं. यह शर्म की बात है कि संतोषी को आठ दिनों तक सिर्फ़ पानी पीकर रहना पड़ा और वह अपनी मां की आंखों के सामने ही मर गयी.”
सीबीआई जांच की मांग
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने रांची में एक प्रेस कांफ्रेंस कर इस मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार की जांच रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है.
कांग्रेस के झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह ने कहा है कि सरकार को इस मौत की ज़िम्मेदारी लेकर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए. वहीं भाजपा ने सरकार पर लग रहे आरोपों से इनकार किया है. भाजपा महामंत्री दीपक प्रकाश ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर विपक्ष पर घटिया राजनीति करने का आरोप लगाया है.
उल्लेखनीय है कि दस साल की संतोषी कुमारी की मौत 28 सितंबर को हो गयी थी. उनकी मां कोयली देवी का आरोप है कि संतोषी की मौत भूख से हुई है और वह भात-भात कहते हुए मर गयी.
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