कार्ल लीनियस एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे. इन्होंने मॉर्डन बायोलॉजिकल नाम रखने के कॉन्सेप्ट की नींव रखी थी. इन्हें टॉक्सोनॉमी (जीव विज्ञान में एक कैरेक्टर के जीवों का वर्ग) के पिता के रूप में भी जाना जाता है.
लीनियस आधुनिक इकोलॉजी के जनक भी माने जाते हैं. इनका जन्म दक्षिण स्वीडन के ग्रामीण इलाके स्मालैंड में हुआ था. उनके पिता उनके पूर्वजों में पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने एक स्थायी अंतिम नाम को अपनाया था, उसके पहले इनके पूर्वज स्कैंडिनेवियाइ देशों मे प्रचलित पितृनाम प्रणाली का इस्तेमाल किया करते थे.
1717 में इन्होंने वैक्स्जो शहर से अपनी आरंभिक शिक्षा ली और 1724 में जिम्नेजियम साधारण अंकों से उत्तीर्ण किया. उनके वनस्पति विज्ञान में उत्साह ने एक स्थानीय चिकित्सक को आकर्षित किया. उनकी सिफारिश पर कार्ल के पिता ने उन्हें निकटनम, लुंड विश्वविद्यालय भेजा. कार्ल ने वहां अध्ययन के साथ ही वहां के उपेक्षित जीवविज्ञान उद्यान को भी सुधारा. तब उन्हें उपसाला विश्वविद्यालय जाने की प्रेरणा मिली. कार्ल एक ही वर्ष बाद उपसाला चले गये. इनकी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी का पहला संस्करण नीदरलैंड में प्रकाशित हुआ. उपसाला में इनके आर्थिक तंगी में प्रसिद्ध वैज्ञानिक ओलोफ सेल्सियस ने मदद की.
सेल्सियस कार्ल के ज्ञान एवं वनस्पति संग्रह से बहुत प्रभावित हुए. 1730 में लीनियस उपसाला विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान में लेक्चर देने लगे. 1740 के दशक में इन्हें स्वीडन द्वारा जीवों और पादपों की खोज और वर्गीकरण के लिए कई यात्रओं पर भेजा गया. 1750 और 1760 के दशकों में, उन्होंने जीवों, पौधों और खनिजों की खोज और उसके वर्गीकरण का काम जारी रखा और इस संबंध मे कई पुस्तकें भी प्रकाशित कीं. अपनी मृत्यु के समय लीनियस यूरोप के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक थे.
कार्ल लीनियस
जीवनकाल : 1707 से 1778