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शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी: क़तर के इस शहज़ादे की सऊदी अरब में वाहवाही

"विवाद के समय खामोश रहना हमारी जिम्मेदारी है." ये बयान क़तर पर हुकूमत करने वाले अल-थानी खानदान के शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी का है. क़तर संकट पर बातचीत के लिए शेख अब्दुल्ला बिन अली ने अल-थानी खानदान की बैठक बुलाने की बात कही. उनकी इस अपील का मक़सद अरब देशों के बहिष्कार के मद्देनज़र […]

"विवाद के समय खामोश रहना हमारी जिम्मेदारी है." ये बयान क़तर पर हुकूमत करने वाले अल-थानी खानदान के शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी का है.

क़तर संकट पर बातचीत के लिए शेख अब्दुल्ला बिन अली ने अल-थानी खानदान की बैठक बुलाने की बात कही.

उनकी इस अपील का मक़सद अरब देशों के बहिष्कार के मद्देनज़र क़तर को संकट से उबारने के लिए खानदान के मर्दों से समस्या के हर पहलू पर बात करना है.

उन्होंने ट्वीट किया, "मुझे लगता है कि हालात और ख़राब हो रहे हैं. हम ऐसी जगह नहीं पहुंच सकते जहां हम पहुंचना नहीं चाहते."

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कौन हैं शेख अब्दुल्ला बिन अल थानी

उनके दादा क़तर पर हुकूमत करने वाले तीसरे अमीर शेख अब्दुल्ला बिन जासिम अल-थानी थे. उनके पिता शेख अली बिन अब्दुल्ला अल-थानी क़तर के चौथे अमीर बने और भाई शेख अहमद बिन अली अल-थानी क़तर के पांचवें अमीर थे.

लेकिन जिस तरह से इस शहज़ादे की सऊदी अरब की मीडिया में तारीफ हो रही है, उससे ये लगता है कि आने वाले वक्त में क़तर संकट को सुलझाने की दिशा में शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी के लिए अहम भूमिका की ज़मीन तैयार की जा रही है.

18 सितंबर को सऊदी अख़बार ‘अल-हयात’ ने शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी पर एक लंबा लेख छापा. लेख में उनके बयान और अल-थानी खानदान की इस मुद्दे पर बातचीत की अपील पर खासा जोर दिया गया.

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शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी के पिता शेख अली बिन अब्दुल्ला अल-थानी के दौर में ही क़तर और दुबई ने साझा मुद्रा की घोषणा की थी और बाद में दुबई संयुक्त अरब अमीरात का हिस्सा बन गया था. उसी दौर में 1971 में क़तर को ब्रिटेन से आज़ादी मिली.

उनके भाई की हुकूमत के वक्त क़तर आर्थिक तरक्की का गवाह बना और खाड़ी में पहले ऑफ़शोर (सागर तटीय इलाके में) तेल के खजाने का पता चला. शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी ने हालुल द्वीप पर एक तेल उत्खनन का प्लांट लगाया और शेख खलीफा की हुकूमत के दौर में 1977 में अबू हनीन में तेल का उत्पादन शुरू हुआ.

1972 में शेख खलीफा बिन हमाद अल-थानी अपने चचेरे भाई शेख अहमद बिन अली की हुकूमत का तख्तापलट कर सत्ता में आए थे. 1995 में उनके बेटे हमाद ने पिता को सत्ता से बेदखल कर मुल्क की बागडोर अपने हाथ में ले ली और 2013 में उन्होंने सत्ता अपने बेटे शेख तामिम को सौंप दी.

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शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी के बयान को क़तर के लोगों की दिल की आवाज़ कहा जा रहा है. अल-थानी खानदान में शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी को पसंद किया जाता है और क़तर के लोग भी उनके बारे में अच्छी राय रखते हैं.

लंदन के किंग्स कॉलेज से जुड़े विश्लेषक एंड्रूय क्रेग कहते हैं, "अब्दुल्ला लंदन में रहते हैं और खाड़ी के क्षेत्र में उनके कारोबारी हित जुड़े हुए हैं. उनकी लोकप्रियता ऐसी भी नहीं है कि वे सत्ता की बागडोर संभाल सकें. लेकिन क़तर के शासकों और दुनिया की महाशक्तियों के लिए उनका संदेश साफ़ है कि ये संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है."

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सिंगापुर यूनिवर्सिटी में मध्य पूर्व मामलों के जानकार जेम्स डोर्से कहते हैं, "सऊदी शहज़ादी से शादी करने वाले शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी अपना ज्यादा वक्त सऊदी अरब में बिताते हैं. वे क़तर के मौजूदा आमिर शेख तामिम के लिए कोई ख़तरा नहीं हैं."

सऊदी अरब के हालिया दौरे के बाद शेख अब्दुल्ला बिन अली अल-थानी सऊदी मीडिया में सुर्खियों में हैं. जब से वे ट्विटर से जुड़े हैं, उनके फ़ॉलोअर्स की तादाद लगातार बढ़ रही है.

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