ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को कहा कि मुसलमानों के पर्सनल लॉ पर हमले का प्रयास किया जा रहा है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
भोपाल में पर्सनल लॉ बोर्ड की दिन भर चली बैठक के बाद वर्किंग कमेटी के सदस्य कमाल फ़ारुकी ने कहा कि बोर्ड में फैसला लिया गया है कि शरीयत में किसी भी तरह का दख़ल मंज़ूर नही है. वहीं संविधान में जो संरक्षण दूसरे धर्मो के लोगों को मिला है, वही संरक्षण मुसलमानों को भी मिलना चाहिए.
‘मुसलमानों ने कब कहा कि तीन तलाक़ गुनाह नहीं है’
नाखुशी
बोर्ड ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि तीन तलाक संबंधी उन सभी प्रकरणों को असंवैधानिक घोषित किए जाए, जिनमें न्यायालय के हस्तक्षेप के बगैर विवाह समाप्त कर दिए गए है.
कमाल फ़ारुकी ने कहा, "बोर्ड ने इस पर नाख़ुशी ज़ाहिर की है और इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला माना है."
बोर्ड ने यह भी कहा कि तीन तलाक़ को नापसंदीदा माना गया है, लेकिन उसके बावजूद वो वैध है. लोग इसके इस्तेमाल से बचें इसके लिये बड़े पैमाने पर सुधारवादी कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि बोर्ड ने एक कमेटी बनाने का भी फैसला लिया है जो तीन तलाक़ संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले का अध्ययन करेगी और यह कमेटी इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार सुधार संबंधी सुझाव भी बताएगी.
बोर्ड ने माना क़ुरान में नहीं है तीन तलाक़
औरतें शरीयत के साथ
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद मसले पर कहा कि इस पर किसी भी तरह से जल्दबाज़ी नहीं की जानी चाहिए.
बोर्ड सचिव ज़फरयाब जिलानी ने कहा, "बोर्ड ने फ़ैसला किया है कि यह संपत्ति संबंधी मामला है और इसके फ़ैसले में जल्दबाजी नहीं होनी चाहिये. किसी के कहने पर फैसला नहीं किया जाना चाहिए."
बोर्ड की सदस्य और महिला विंग की संयोजक असमा जेहरा ने कहा कि तलाक के चंद मामलों का कोर्ट में जाने से यह मतलब नहीं है कि मज़हब के अंदर औरतों का उत्पीड़न हो रहा है. उन्होंने कहा कि अभी भी ज्यादातर मुसलिम औरतें शरीयत के साथ है.
‘अस्तित्व ख़तरे में देख मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लाया हलफ़नामा’
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