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कुंआरों की मांग:बहू दिलाओ,वोट पाओ

जींद: देश में सर्वाधिक निम्न लैंगिक अनुपात से जूझ रहे हरियाणा में कुछ लोकसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों को अविवाहित पुरुष मतदाताओं की ओर से एक अनोखी मांग का सामना करना पड रहा है. ये युवा उम्मीदवारों से बिजली, पानी या नौकरी नहीं मांग रहे बल्कि इनकी मांग है ‘‘बहू दिलाओ , वोट पाओ.’’ ‘‘बहू दिलाओ, […]

जींद: देश में सर्वाधिक निम्न लैंगिक अनुपात से जूझ रहे हरियाणा में कुछ लोकसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों को अविवाहित पुरुष मतदाताओं की ओर से एक अनोखी मांग का सामना करना पड रहा है. ये युवा उम्मीदवारों से बिजली, पानी या नौकरी नहीं मांग रहे बल्कि इनकी मांग है ‘‘बहू दिलाओ , वोट पाओ.’’ ‘‘बहू दिलाओ, वोट पाओ’’ की यह मांग ‘‘अविवाहित पुरुष संगठन’’ ने रखी है जिसकी स्थापना जिले के बीबीपुर गांव की पंचायत के मुखिया 31 वर्षीय सुनील जागलान ने फरवरी में की थी. संगठन की स्थापना कन्या भ्रूण हत्या के परिणामस्वरुप पैदा हुई लैंगिक असमानता के मुद्दे की ओर नेताओं का ध्यान आकर्षित करने के मकसद से की गयी थी.

अविवाहित पुरुष संगठन के सदस्यों द्वारा उनके क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए आने वाले विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के समक्ष यह मांग रखी जा रही है. लेकिन अभी तक उन्हें किसी उम्मीदवार से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. जागलान ने प्रेट्र से कहा, ‘‘ यह : कन्या भ्रूण हत्या : एक बेहद गंभीर मसला है जिसे यदि अभी नहीं सुलझाया गया , या उचित कार्रवाई नहीं की गयी तो इसके निकट भविष्य में गंभीर परिणाम हो सकते हैं.’’ इस नारे के संबंध में उन्होंने कहा, ‘‘नारे का यह मतलब नहीं है कि सभी युवाओं को आज ही उनका जीवनसाथी मिल जाएगा. बल्कि यह एक प्रयास है , समस्या की ओर राजनीतिक दलों का ध्यान खींचने का.’’जागलान कहते हैं, ‘‘ आप पार्टी को छोडकर सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार वोट मांगने के लिए हमारे गांव में आ चुके हैं लेकिन किसी ने भी हमारी इस मांग के बारे में एक शब्द नहीं बोला। राजनीतिक दलों की गंभीर मुद्दों में रुचि नहीं है.’’ वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा में प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं का अनुपात 879 है.

रोहतक से इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार शमशेर खरकडा की पत्नी राधा रानी ने कहा, ‘‘ कन्या भ्रूण हत्या कोई चुनावी मुद्दा नहीं है. यह एक सामाजिक समस्या है जिसे सामाजिक जागरुकता के जरिए ही सुलझाया जा सकता है.’’ कई साल पहले बीबीपुर गांव में ‘‘कन्या भ्रूण हत्या विरोधी महापंचायत’’ का आयोजन करने वाले और इस समय दो बेटियों के पिता जागलान कहते हैं, ‘‘ राज्य में सात हजार गांव हैं और प्रत्येक गांव में इस समय करीब 50 युवक अविवाहित हैं. इसका मतलब यह है कि 3, 50 , 000 युवक बिना जीवनसाथी के हैं.’’ वर्ष 2009 में कन्या भ्रूण हत्या के मुद्दे पर युवाओं के एक समूह ने रैली भी निकाली थी लेकिन रैली के वांछित परिणाम हासिल नहीं हो सके और किसी ने इस पर गौर नहीं किया. जागलान के अनुसार, 2009 के बाद से समस्या कई गुना बढ चुकी है.बीबीपुर गांव की चौपाल में एक विशाल पोस्टर लोगों का स्वागत करता है , जिस पर संदेश लिखा है, ‘‘ नेताजी जानिए , हरियाणा में कुंवारों का गणित. ’’ यह पोस्टर राज्य की कुल आबादी, महिला पुरुष के बीच के अनुपात और अविवाहित युवकों के आंकडे दर्शाता है.

जींद निर्वाचन क्षेत्र सोनीपत लोकसभा सीट के तहत आता है जहां से कांग्रेस के जगबीर सिंह मलिक, भाजपा के रमेश चंद्र , इंडियन नेशनल लोकदल के पद्म सिंह और आप के जय सिंह चुनाव मैदान में हैं. फेसबुक और वाट्सएप जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अपनी मौजूदगी रखने वाले ‘अविवाहित पुरुष संगठन’’ में बडी संख्या में अविवाहित पुरुष बतौर सदस्य शामिल हैं. राज्य के रंगकर्मी नरेश ‘प्रेरणा’ कहते हैं, ‘‘किसी प्रमुख राजनीतिक दल ने इसे : कन्या भ्रूण हत्या को: अपने चुनावी एजेंडे में शामिल नहीं किया है और जमीनी स्तर पर इस संबंध में किसी भी ईमानदार आंदोलन का पूरी तरह अभाव है.’’ वह कहते हैं कि वाम दलों ने इस मसले पर कुछ गंभीरता दिखाई है लेकिन राज्य में उनका आधार बेहद सीमित है.

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