बेंगलुरु में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश के भाई और बहन ने उनकी हत्या की जांच के दायरे में धुर दक्षिणपंथी गुटों के साथ साथ धुर वामपंथी गुटों (माओवादियों) को भी लाने की मांग पर सफ़ाई दी है.
जानी-मानी पत्रकार गौरी लंकेश की मंगलवार को बेंगलुरु में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
एक पत्रकार के तौर पर गौरी लंकेश दक्षिणपंथी राजनीति को लेकर आलोचनात्मक रुख रखती थीं.
मीडिया में गौरी लंकेश के भाई इंद्रजीत लंकेश का एक बयान आ रहा था जिसमें उन्होंने शक जताया था कि गौरी की हत्या में उन माओवादियों का हाथ हो सकता है जो गौरी से इसलिए ख़ुश नहीं थे क्योंकि वो कई माओवादियों को मुख्यधारा में वापस ले आई थीं.
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इंद्रजीत लंकेश ने बताया, “मैं अपने पक्ष पर कायम हूं. मैंने कहा था कि नक्सली भी इसमें शामिल हो सकते हैं या फिर दक्षिणपंथी कट्टरपंथी भी शामिल हो सकते हैं. हमें सभी पहलुओं को देखना होगा.’
उन्होंने कहा, “ जब गौरी उनमें से कइयों को मुख्यधारा में लाईं तो उन्हें नफ़रत भरे कई ई-मेल और संदेश मिले. हम इन सभी पहलुओं को देखेंगे तो इससे डॉ एम एम कलबुर्गी की हत्या जैसे मसलों को भी सुलझा सकते हैं.’
हालांकि गौरी की बहन कविता लंकेश कहती हैं कि उन्होंने इस बारे में मीडिया से कोई बात नहीं की है.
कविता ने सफाई देते हुए कहा, ‘500 अलग-अलग संभावनाएं हो सकती हैं. लेकिन मेरा मानना है कि सिर्फ़ एक संभावना है कि जो लोग उनकी विचारधारा के विरोधी थे वो ही उनकी हत्या के पीछे का कारण हैं.’
उन्होंने कहा, ‘उनकी व्यक्तिगत तौर पर किसी से दुश्मनी नहीं थी, ख़ास तौर पर उनकी ज़िन्दगी में कुछ बहुत निजी नहीं था जिसके बारे में बात की जाए.’
कविता कहती हैं, “वो नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की समर्थक थीं. मैं खुश हूं कि हमारे राज्य में उन इलाकों में हिंसा कम हुई है. अगर नक्सलियों ने उनकी हत्या की है तो मुझे शर्मिंदगी होगी. मैं नहीं समझती हूं कि ऐसा हुआ होगा.’
इंद्रजीत लंकेश ने कहा कि उनकी बहन को नक्सली या नक्सलियों की समर्थक बताया जा रहा है जो ग़लत है.
वो कहते हैं, ‘वो धुर वामपंथी विचारधारा वाली थीं लेकिन वो मुख्यधारा में थीं. वो सरकार के साथ मिलकर माओवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए काम कर रही थीं.’
क्या मायने हैं इंद्रजीत के बयान के?
इंद्रजीत का बयान दो कारणों से महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि ये गौरी को नक्सल समर्थक बताने वाले बीजेपी के समर्थकों की राय से मेल खाता है.
दूसरा, कांग्रेस सरकार की तरफ़ से विधान परिषद के लिए नामांकित नहीं किए जाने की वजह से नाराज़ इंद्रजीत के बीजेपी में जाने की चर्चा थी.
वो कहते हैं, ‘ मैं बीजेपी में नहीं हूं. मैं पत्रकार हूं और किसी भी पार्टी की सरकार हो, मैं विपक्ष में रहता हूं. मेरे पिता ने मुझे सरकार के विरोध में रहना सिखाया है.’
तो सवाल ये है कि क्या कुछ माओवादियों को मुख्यधारा में वापस लाने वाली गौरी लंकेश की हत्या के पीछे माओवादी हो सकते हैं ?
गौरी की मदद से मुख्यधारा में लौटे पूर्व माओवादी देवेंद्र कहते हैं,“ नक्सली उन लोगों को नहीं मारते जो उनसे सहानुभूति रखते हैं. अगर कोई हत्या होती तो वो इसकी ज़िम्मेदारी लेते और गौरी का बहुत सम्मान किया जाता है.’
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