।। दक्षा वैदकर।।
मेरे फेसबुक पर एक दोस्त है, जो छोटा-सा भी कोई अच्छा काम करे, तो उसे तुरंत लिख कर सभी को बता देता है. कभी वह लिखता है ‘आज मैं समय निकाल कर अनाथ आश्रम गया. वहां गरीब बच्चों को मैंने खाने का सामान दिया और उनके साथ समय बिताया. मुङो बहुत अच्छा लगा.’ कभी वह अनाथ बच्चों के साथ अपनी फोटो डालता है, तो कभी चाय बेचनेवाले, पानी पुरी बेचनेवाले लोगों के साथ. वह जाहिर करता है कि मैं कितना जमीन से जुड़ा इंसान हूं और दान देना मेरा काम है. उसकी इस तरह की पोस्ट पर उसके कुछ दोस्त कमेंट भी करते हैं ‘वाह भाई, तुमने बहुत अच्छा काम किया. यू आर ग्रेट..’ वह सभी को थैंक्यू.. थैंक्यू.. कहता है और अंदर ही अंदर बहुत गर्व महसूस करता है.
हम में से ऐसे कई लोग हैं, जो भले ही इस तरह नहीं, लेकिन अन्य तरीकों से अपनी चैरिटी या अपने अच्छे कामों को जग जाहिर कर देते हैं. या हम अच्छे काम ही इसलिए करते हैं, ताकि फेसबुक पर डाल सकें. हम किसी की मदद करते हैं, कुछ रुपये दान में देते हैं और लोगों को बता देते हैं कि हमने यह काम किया. हमारा काम जान कर लोग हमें सलाम करते हैं और इससे हमें बहुत अच्छा महसूस होता है, लेकिन इसी आदत के बारे में पिछले दिनों एक बुजुर्ग ने मुङो बहुत अच्छी बात कही.
वे समाज सेवा करते हैं, लेकिन किसी को बताते नहीं. जिन लोगों की उन्होंने मदद की है, उनके जरिये लोगों को पता चलता है कि वे कितने दयालु हैं. जब मैं इंटरव्यू के लिए उनसे मिली और पूछा, ‘आप कहां-कहां, कैसे-कैसे मदद करते हैं? तो उन्होंने कहा ‘चैरिटी करने के बाद उसे बता देने से उसका महत्व खत्म हो जाता है. चैरिटी का मलतब ही होता है कि हम मदद करें और बदले में कुछ न लें. अगर मैंने चैरिटी करने के बाद बदले में लोगों की तारीफ ली, अखबार में खबर छपवायी, तो मेरी चैरिटी बेकार हो जायेगी. जब मैं किसी की मदद करता हूं और उसे अपने तक सीमित रखता हूं, तो ऐसा करने के बाद जो मुङो संतुष्टि मिलती है, वह एहसास अद्भुत है.
बात पते की..
किसी की मदद करें, तो उसे अपने तक ही सीमित रखें. इस तरह लोगों के सामने आपका मान-सम्मान ज्यादा बढ़ेगा. खुद अपनी तारीफ न करें
चैरिटी इसलिए न करें ताकि समाज में आपका नाम हो. या आप फेसबुक पर डाल कर, लोगों की तारीफ पा सकें. मन की खुशी के लिए करें.