राजस्थान में इतिहास 360 डिग्री पर घूमता सा नज़र आ रहा है. हल्दीघाटी की लड़ाई को लेकर राजस्थान बोर्ड के स्कूल की किताबें नया दावा कर रही है.
राजस्थान बोर्ड की 10वीं क्लास की किताब के मुताबिक, ‘हल्दीघाटी की लड़ाई में अकबर ने महाराणा प्रताप को हराया था.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इन किताबों का पाठ्यक्रम इसी साल बदला गया है.
यही नहीं, राजस्थान यूनिवर्सिटी ने भी एक भाजपा विधायक के उस प्रस्ताव को मंज़ूर कर लिया है जिसमें इतिहास में ‘हल्दीघाटी की लड़ाई महाराणा प्रताप ने जीती’ संबंधी बदलाव करने को कहा गया है.
अब तक इतिहास में ये पढ़ाया जाता रहा है कि
उदयपुर के पास हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें अकबर ने जीत हासिल की थी.
पीटीआई के अनुसार सोशल साइंस की इस नई किताब को 2017-18 में छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. इस किताब के इस चैप्टर को लिखने वाले चंद्रशेखर शर्मा का दावा है कि ऐसे कई तथ्य हैं जो इस ओर इशारा करते हैं कि लड़ाई के नतीजे महाराणा प्रताप, मेवाड़ के राजपूत राजा के पक्ष में रहे.
शर्मा इन दावों के बारे में कहते हैं, ‘ये ऐसे परिदृश्य हैं जो हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम प्रताप के पक्ष में लाकर खड़ा कर देते हैं.
- अकबर का लक्ष्य था कि महाराणा प्रताप को पकड़ा जाए और मुगल दरबार में पेश किया जाए या मार दिया जाए.
- इसका मकसद राजपूत राजा के साम्राज्य को मुगलों के अंतर्गत लाना था. लेकिन अकबर अपने किसी मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाया.
- ऐसे ऐतिहासिक सबूत हैं कि मुगल सेनाएं मेवाड़ को फ़तह करने में नाकामयाब रहीं और लड़ाई महाराणा प्रताप के पक्ष में रही.’
इतिहास के यूं पलटने की सोशल मीडिया पर चर्चा
ऋषभ श्रीवास्तव इस पर तंज कसते हुए फ़ेसबुक पर लिखते हैं, ‘राजस्थान सरकार के मुताबिक महाराणा प्रताप ने अकबर को हराया था. तो ये क्यों नहीं लिखा जा सकता कि 1962 का युद्ध भारत ने जीता? देखा तो किसी ने नहीं था.’
कुंदन कुमार ने फ़ेसबुक पर लिखा, ‘महाराणा की सेना में आरएसएस और बीजेपी भी थी इसलिए ही तो अकबर की हार हुई.’
सईद सलमान ने लिखा, ‘हल्दीघाटी के युद्ध में बच्चे कुछ यूं जवाब देंगे- 1576 से लेकर 2017 की शुरुआत तक अकबर विजयी रहा. लेकिन 2017 के मध्य में अकबर को धूल चटाते हुए प्रताप ने अपनी हार का बदला लिया और शानदार जीत हासिल की.’
आलोक मोहन लिखते हैं, ‘लगभग 450 साल महाराणा ने अकबर को हराने में लगा दिए. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.’
जब प्रताप के सामने अकबर को चने चबाने पड़े
‘अकबर या महाराणाः महान तो एक ही था’
अकबर के ज़माने में प्राइवेट टीवी चैनल होते तो?
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