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”इराक़ में 39 लोग ज़िंदा हैं तो सरकार उन्हें वापस लाए”

इराक़ के विदेश मंत्री इब्राहिम अल ज़ाफरी के बयान के बाद वहां फंसे 39 भारतीयों के परिवार वालों की चिंता बढ़ गई है. उनकी निगाहें भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तरफ़ हैं. इन्हें लगता है कि सुषमा स्वराज कुछ न कुछ ज़रूर करेंगी. करीब तीन साल पहले 40 भारतीय युवक इराक़ में लापता […]

इराक़ के विदेश मंत्री इब्राहिम अल ज़ाफरी के बयान के बाद वहां फंसे 39 भारतीयों के परिवार वालों की चिंता बढ़ गई है. उनकी निगाहें भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तरफ़ हैं. इन्हें लगता है कि सुषमा स्वराज कुछ न कुछ ज़रूर करेंगी.

करीब तीन साल पहले 40 भारतीय युवक इराक़ में लापता हो गए थे. इनमें से एक नौजवान हरजीत मसीह किसी तरह भारत आ गया था और उसने बताया था कि उसके 39 साथियों को आंतकियो ने मार दिया. हालांकि इन 39 भारतीयों के बारे में कोई भी जानकारी भारत सरकार की तरफ़ से नहीं दी गई है.

इन युवकों के परिवार वाले पिछले तीन सालों से कई बार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिल चुके हैं लेकिन लापता पंजाबी युवकों के बारे में सरकार कुछ कहने की स्थिति में नहीं है.

इराक़ी विदेश मंत्री इब्राहिम अल ज़ाफरी ने आपने भारत दौरे में बयान दिया था कि इराक़ में आंतकियो के चंगुल में फंसे 39 भारतीय ज़िंदा हैं या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

भारत लौट पाएँगे इराक़ में फँसे 39 भारतीय?

‘इराक़ में 39 भारतीय ज़िंदा हैं या नहीं, पुख्ता सबूत नहीं’

पीड़ितों के परिवार वाले भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि सरकार उन्हें सच बताए. हरजीत मसीह का कहना है कि उसके साथी ज़िंदा नहीं बचे हैं. मसीह का दावा है कि उनकी आंखों के सामने लोगों को मारा गया.

तीन सालों से सच बोलने का दावा

केंद्र सरकार की मदद से मसीह पर एजेंट होने का केस भी दर्ज करवाया गया. मसीह पांच महीने की जेल काटने के बाद जमानत पर आए हैं. उनका कहना है कि पिछले तीन सालों से वह सच बोल रहे हैं और उसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा, "मेरा परिवार मजदूरी करने के लिए मजबूर है. अगर 39 लोग ज़िंदा हैं तो सरकार को चाहिए की उन्हें वतन वापस लाए. अगर ऐसा नहीं है तो सरकार नौजवान के परिवारों की भावना से खेले नहीं."

गांव बाबोवाली के रहने वाली हरभजन कौर कहती हैं कि उन्हें अपनी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर पूरा भरोसा है, लेकिन सरकार उन्हें सच बताए.

हरभजन कौर ने अपने भाई से क़र्ज लेकर इकलौते बेटे हरसिमरनजीत सिंह को इराक़ भेजा था. उनका सपना था कि बेटा अपनी कमाई से घर की हालत ठीक करेगा लेकिन सपना रहस्य बना हुआ है.

अब भी बेटे की उम्मीद कायम

हरसिमरन का नाम लेते ही उनकी आंखो से आंसू फूट पड़ते हैं. घर का गुजारा चालाने के लिए उन्होंने गांव में ही एक दुकान खोल ली है. उन्हें अब भी उम्मीद है कि उनका बेटा बाक़ी नौजवानों के साथ वापस आएगा.

सबको विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बयान का इंतज़ार है. इन्हें लगता है कि सुषमा कुछ अच्छी ख़बर सुनाएंगी. सोनू नाम का एक युवक इराक़ जाने के बाद से ही ग़ायब है. उनकी मां जीतो और पत्नी सीमा का कहना है कि उनकी मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं.

जीतो ने बताया कि उन्होंने लगभग एक लाख 50 हज़ार का क़र्ज पांच फ़ीसदी ब्याज पर लिया था.

उन्हें उम्मीद थी कि उनका बेटा विदेश से कमाकर भेजेगा तो क़र्ज़ चुका देंगी. उन्होंने कहा, ‘मैं शुरू से ही कहती थी कि सुख-दुख काटकर यहीं जी लेंगे. उसको विदेश नहीं जाने की सलाह दी थी.’

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