उत्तर प्रदेश विधान सभा में सोमवार को अद्भुत स्थिति देखने को मिली. एक ओर सत्तापक्ष के लोग विधानसभा के वास्तविक सदन में बैठकर बीजेपी सदस्य मथुरा पाल के निधन पर शोक संवेदना जता रहे थे तो दूसरी ओर सेंट्रल हॉल में सभी विपक्षी पार्टियों के सदस्य एक समानांतर सदन चलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे थे.
वास्तविक सदन में विधानसभा अध्यक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के लोग भर थे, नेता सदन यानी मुख्यमंत्री भी नहीं थे, वहीं समानांतर सदन में अध्यक्ष भी थे, नेता प्रतिपक्ष भी थे और नेता सदन भी.
विधान सभा में बहुजन समाज पार्टी के नेता लालजी वर्मा को समानांतर सदन में अध्यक्ष बनाया गया, कांग्रेस नेता अजय कुमार को नेता सदन बनाया गया और समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी इस सदन में भी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में थे.
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बीएसपी नेता लालजी वर्मा का कहना था, "चूंकि हम लोग सदन का बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन जब हमारे बीच का एक सदस्य नहीं रहा तो उनके प्रति संवेदना जताना हमारा धर्म है. ऐसे में हमने एक समानांतर सदन बनाकर शोक प्रस्ताव पारित किया."
दरअसल, सदन में विपक्षी सदस्यों के लिए मुख्यमंत्री की कथित भाषा को लेकर समूचा विपक्ष पिछले गुरुवार से ही सदन का बहिष्कार कर रहा है. विपक्ष ने पूरे बजट सत्र के दौरान सदन के बहिष्कार करने का फ़ैसला किया है.
हालांकि लालजी वर्मा का कहना था कि सदन चलाने की ज़िम्मेदारी सरकार की होती है लेकिन वो गतिरोध रोकने की कोशिश ही नहीं करना चाहती. विपक्षी सदस्यों का कहना है कि विधान सभा के एक सदस्य को चूंकि श्रद्धांजलि देनी थी और वो लोग सदन में जा नहीं सकते थे, इसलिए समानांतर सदन बनाकर इस काम को किया गया.
कांग्रेस नेता अजय कुमार सिंह कहते हैं, "विधान सभा के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि किसी वर्तमान सदस्य का निधन हो जाए और उस पर शोक प्रस्ताव लाने के लिए नेता सदन उपस्थित न रहें. जबकि मृत सदस्य उन्हीं की पार्टी के थे."
उचित है समानांतर सदन?
इस प्रतीकात्मक सदन में बीजेपी विधायक मथुरा पाल के निधन पर शोक प्रस्ताव लाया गया और उसके बाद सदन को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. लेकिन सवाल उठता है कि क्या सेंट्रल हॉल में इस तरह का समानांतर सदन बनाया जा सकता है?
विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे इसे राजनीतिक विषय बताते हुए कोई टिप्पणी करने से इनकार कर देते हैं जबकि इस पूरे मामले में संसदीय कार्य मंत्री से बात करने की कोशिश नाकाम रही. लेकिन बीएसपी नेता लालजी वर्मा इसमें कुछ भी अनुचित नहीं मानते.
हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि ये सदन के विशेषाधिकार का मामला तो बन ही सकता है. बहरहाल, विपक्षी सदस्यों ने सिर्फ़ शोक प्रस्ताव पारित करने के लिए समानांतर सदन बनाई और अब आगे इसे जारी रखते हैं या नहीं, ये अभी तय नहीं है. लेकिन इसके ज़रिए वो अपने विरोध का जो संदेश देना चाहते थे, उसे देने में शायद क़ामयाब रहे.
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