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दाग अच्छे हैं, अगर चुनाव जिता दें!

बृजेंद्र दूबे कुछ महीनों पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आम चुनाव के लिए हुंकार भरी, तो उनका पहला नारा विकास और दूसरा नारा कांग्रेस का भ्रष्टाचार मिटाना था. विकास का पता तो तब चलेगा, जब भाजपा सत्ता में आयेगी, लेकिन भ्रष्टाचार और दागियों से दूरी का उनका दावा जरूर हल्का […]

बृजेंद्र दूबे

कुछ महीनों पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आम चुनाव के लिए हुंकार भरी, तो उनका पहला नारा विकास और दूसरा नारा कांग्रेस का भ्रष्टाचार मिटाना था. विकास का पता तो तब चलेगा, जब भाजपा सत्ता में आयेगी, लेकिन भ्रष्टाचार और दागियों से दूरी का उनका दावा जरूर हल्का पड़ता जा रहा है. पार्टी के चुनाव प्रबंधकों ने सत्ता की तरफ कदम बढ़ाने के लिए वही तौर-तरीके अपनाये हैं, जो कांग्रेस और दूसरी पार्टियां अपनाती रही हैं. भाजपा ने इस बार कई दागियों को उम्मीदवार बनाया है. उग्र क्षेत्रवाद की राजनीति करनेवाले राज ठाकरे, जिनकी पार्टी यूपी-बिहार के लोगों के खिलाफ खुला अभियान चला चुकी है, से भी भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ‘सेटिंग’ कर चुके हैं. राजीव गांधी के हत्यारों की खुलेआम तरफदारी करनेवाले वाइको तमिलनाडु में भाजपा के सहयोगी बन चुके हैं. एमडीएमके भी भाजपा की दोस्त बन गयी है. इसके नेता रामदॉस यूपीए-1 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री थे. कुछ घोटालों में उनका नाम सामने आया था, जिससे संबंधित मुकदमा अदालत में लंबित है.

लोकतंत्र में नैतिकता, शुचिता की बात तो खूब की जाती है, पर जैसे-जैसे चुनाव करीब आते हैं, राजनीतिक दलों का एकमात्र लक्ष्य रह जाता है. संख्या बल जुटाना. खुद को औरों से अलग बतानेवाली भाजपा भी इस मामले में अलग नहीं है. भ्रष्टाचार, वंशवाद और दागी-बाहुबलियों को लेकर कांग्रेस और अन्य दलों को कोसनेवाली भाजपा भी इसी दलदल में उतरी हुई है. पार्टी खुले दिल से उन दलबदलुओं व दागियों का स्वागत कर रही है, जिनमें चुनाव जीतने और जिताने की संभावना दिख रही है.

भा रहे हैं भ्रष्टाचार के आरोपी
खुद को ‘पार्टी विद डिफरेंस’ कहनेवाली भाजपा कर्नाटक में अपने जिस नेता को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते निकाल चुकी थी, वही बीएस येदियुरप्पा अब भाजपा को तारणहार नजर आने लगे हैं. उन्हें वापस लाकर शिमोगा से टिकट दिया है. पार्टी यहीं नहीं रुकी. वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज की कड़ी आपत्ति के बावजूद रेड्डी ब्रदर्स के करीबी श्रीरामुलू को पार्टी में शामिल किया और बेल्लारी से टिकट दिया. जेसिका लाल की हत्या के आरोपी मनु शर्मा के पिता विनोद शर्मा भाजपा में आना चाह रहे थे. भाजपा बदनामी से डरी, पर इसका तोड़ निकाल लिया. विनोद शर्मा को उसने अपनी सहयोगी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस में शामिल करा दिया.

बाहुबलियों का भी जोर
भय से मुक्ति दिलाने का दावा करनेवाली भाजपा उन लोगों को साथ ले रही है, जो भय के पर्याय हैं. पार्टी ने हाल ही में रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा से गंठबंधन किया है. लोजपा की दो सीटें बाहुबलियों से जुड़ी हैं. इसमें से एक सीट पर बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी बीना देवी को खड़ा किया गया है, जबकि वैशाली से बाहुबली रामा सिंह लड़ रहे हैं. स्वयं भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विवादास्पद सच्चिदानंद हरि साक्षी को उन्नाव और गोंडा से बाहुबली ब्रजभूषण शरण सिंह को टिकट दिया है. हरि साक्षी पर अपनी शिष्या की हत्या का आरोप है, तो ब्रजभूषण शरण पर हत्या और रंगदारी समेत कई मामले अदालतों में हैं. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच ने जानकारी दी है कि कांग्रेस की दूसरी और भाजपा की तीसरी सूची में घोषित कुल 92 प्रत्याशियों में से 28 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. भाजपा ने भी कई ऐसे लोगों को टिकट दिया है जिन पर संगीन मामले अदालतों में लंबित हैं.

वंशवाद का भी रिकॉर्ड टूटा
अपने हर भाषण में राहुल गांधी को शाहजादा कहना नहीं भूलनेवाले नरेंद्र मोदी की पार्टी ने वंशवाद का नया रिकॉर्ड बना दिया है. यशंवत सिन्हा ने अपने बेटे को टिकट दिलाया, तो वसुंधरा राजे ने अपने बेटे-बहू दोनों को चुनाव मैदान में उतार दिया है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह को भी टिकट मिला है. इसके अलावा भी एक दर्जन से अधिक नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट मिला है. भाजपा के दो पुराने सहयोगी दल शिव सेना और अकाली दल तो वंशवाद के उदाहरण हैं ही.

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