बिहार बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में टॉप करने वाले प्रेम कुमार कहते हैं, ” डर किस बात का? कुछ ग़लत होगा तब तो डर लगेगा .”
दरअसल नकल के विवाद से घिरे बिहार बोर्ड ने इस बार परिणाम घोषित करने से पहले टॉप टेन छात्रों का फ़िज़िकल वेरिफिकेशन किया था जिसमें प्रेम कुमार भी शामिल हुए थे.
प्रेम बताते हैं कि वेरिफ़िकेशन में उन्होंने सही सही जवाब दिए थे इसलिए घबराने की बात नहीं थी.
पिछले साल टॉपर घोटाले के बाद चार टॉपरों पर एफ़आईआर दर्ज की गई थी.
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बिहार बोर्ड ने हाल ही में दसवीं की परीक्षा का परिणाम जारी किए तो पता चला कि 50.12 फ़ीसदी परीक्षार्थी पास हुए हैं. इनमें सबसे अव्वल रहे लखीसराय के मानो गांव के प्रेम कुमार.
एक किसान परिवार के बेटे प्रेम कुमार कहते हैं कि वो आईएएस बनना चाहते हैं क्योंकि गांव से अभी तक कोई भी आईएएस अधिकारी नहीं बना है.
वो कहते हैं,” मैं अपने गांव का नाम रौशन करना चाहता हूं.”
प्रेम कुमार के परिवार में पिता राम कुमार, मां और छोटे भाई के अलावा बूढ़े दादा भी हैं.
पिता राम कुमार छोटे किसान हैं जो खेती से ही परिवार का गुज़र बसर करते हैं और बेटों कि शिक्षा का खर्च उठाते हैं. दोनों बेटे भी अपने पिता के काम में हाथ बंटाते हैं.
प्रेम बताते हैं कि स्कूल में पढ़ाई के बाद शाम को खेत में वो सारे काम किया करते थे जो पिता से नहीं हो पाते थे.
गणित और विज्ञान में सौ में से सौ अंक पाने वाले प्रेम कुमार कहते हैं कि शिक्षकों को उन पर भरोसा था, शिक्षकों को परीक्षा ख़त्म होने के बाद ही लगने लगा था कि वो टॉप करेंगे. तब शिक्षकों ने कहा था कि उन्हें बोर्ड के सामने पेश होने के लिए तैयार रहना पड़ेगा, प्रेम कुमार कहते हैं, ”शिक्षकों की भविष्यवाणी सच हो गई .”
93 फ़ीसदी पाने वाले प्रेम कुमार को इतने अंक मिले हैं.
- सामाजिक विज्ञान में 89
- संस्कृत में 91
- अंग्रेज़ी में 70
- हिंदी में 85
प्रेम कुमार के उनसे एक साल छोटे भाई ने भी उनके साथ ही मैट्रिक की परीक्षा दी थी. हालांकि छोटे भाई परीक्षा में पास तो हो गए लेकिन बाज़ी तो बड़े भाई ने मारी.
कैसे बड़ा भाई आगे निकल गया, इस पर वो कहते हैं, ”छोटा भाई तो छोटा ही होता है. वो हैंडराइटिंग ( लिखावट) में पीछे रह जाता था.”
श्रीगोविंद उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले प्रेम कुमार कहते हैं कि टॉप करने की ख़बर के बाद घर में ही नहीं पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है.
वो बताते हैं कि गांव के सभी लोगों को उनसे कई उम्मीदें हैं.
10 वीं और 12वीं की परीक्षा देने वाले छात्रों से उन्होंने कहा कि ग़लत करेंगे तो डर लगेगा नहीं को किसी का डर नहीं रहेगा.
वो कहते हैं कि परिणाम से पहले पटना में बिहार बोर्ड के दफ़्तर में टॉप करने वाले दस परीक्षार्थियों को बुलाया गया था, उसमें एक के बाद एक कई सवाल पूछे गए लेकिन वो डरे नहीं.
प्रेम ने बताया कि तीन बार उन्हें वहां बुलाया गया था,” बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर जितने सवाल पूछते गए उनके जवाब तुरंत देते गए, अगर ग़लत होते तो डर लगता, हड़बड़ा जाते, हड़बड़ी में गड़बड़ी होती है और पिछले साल के टॉपर जैसा हाल हो जाता.”
पिछले साल जब नकल को लेकर विवाद हुआ तो टॉपरों को बुलाया गया था जिनमें दो टॉपरों को फेल घोषित किया गया था.
पिछले साल बिहार बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा के चार टॉपर्स के रिज़ल्ट खारिज कर उन पर नकल के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की गई थी.
बिहार बोर्ड के बारहवीं के रिजल्ट में इंटर संकाय की बात करें तो कुल 6,46,231 छात्रों में से महज 1,96,952 बच्चे ही पास हुए है, यानी 35 प्रतिशत परीक्षार्थी ही सफल हुए.
इस दसवीं की परीक्षा में कुल 17 लाख 23 हज़ार छात्र- छात्राओं में से 8 लाख 63 हज़ार ने सफलता प्राप्त की है.
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