वाशिंगटन: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने पेरिस समझौते से अमेरिका का नाम वापस लेने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित फैसले का पूरा समर्थन करते हुए भारत, फ्रांस आैर चीन पर अपनी आंखें तरेरी है. उन्होंने कहा है कि पेरिस जलवायु समझौते के मुद्दे पर क्या करना चाहिए, इस मसले पर अमेरिका को भारत, चीन और फ्रांस से पूछने की जरूरत नहीं है. चीन के बाद दूसरे सबसे बड़े प्रदूषक अमेरिका ने पिछले सप्ताह पेरिस समझौते से अपना नाम वापस ले लिया था. हेली ने कहा कि वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए भारत को चीन के साथ अरबों डॉलर मिलेंगे और उन्हें अमेरिका की तुलना में आर्थिक लाभ मिलेगा.
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ट्रंप के इस कदम के साथ ही अमेरिका दो अन्य देशों (सीरिया और निकारागुआ) के साथ जा खडा हुआ है. इन दोनों देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं, जबकि दुनिया के 190 से ज्यादा देश इस पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. सीबीएस न्यूज ने भारतीय-अमेरिकी हेली के हवाले से कहा कि मुझे लगता है कि बाकी दुनिया हमें बताना चाहेगी कि हम अपने पर्यावरण का प्रबंधन कैसे करें. मुझे लगता है कि अमेरिका में कोई भी व्यक्ति आपको बता सकता है कि अमेरिका को क्या करना चाहिए, इसका फैसला करने के लिए हम सर्वश्रेष्ठ हैं. हमें भारत, फ्रांस और चीन से यह पूछने की जरूरत नहीं है कि उनके अनुसार हमें क्या करना चाहिए.
ट्रंप के फैसले पर वैश्विक प्रतिक्रिया से जुड़े सवाल के जवाब में हेली ने कहा कि देशों को वह काम करना जारी रखना चाहिए, जो उनके सर्वश्रेष्ठ हित में है. उन्होंने कहा कि उन्हें वह काम जारी रखना चाहिए, जो उनके सबसे ज्यादा हित में है. यदि उनके लिए पेरिस समझौता कारगर रहा है, तो उन्हें यह करना चाहिए. ट्रंप के फैसले का बचाव करते हुए हेली ने कहा कि पेरिस जलवायु समझौता जिस तरह के नियम लगाता है, उनके तहत कारोबार नहीं चलाया जा सकता.
हेली ने कहा कि ट्रंप मानते हैं कि जलवायु बदल रही है और उनका मानना है कि प्रदूषक इस समीकरण का हिस्सा हैं. निश्चित तौर पर वह स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल सुनिश्चित करना चाहते हैं, ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि पर्यावरण के मामले में विश्व में अमेरिका को नैतिक दिशासूचक बनाये रखने के लिए हम सब कुछ कर रहे हैं.