बनारस : पवित्र गंगा के तट पर जीवंतता से भरी रात में जगाते हैं मुर्दा, कभी नहीं बुझतीं मणिकर्णिका घाट की लपटें

Anuj Sharma

वाराणसी: अन्य स्थानों की नाइटलाइफ़ के विपरीत, इस कालजयी शहर बनारस के पत्थर से बने घाट पवित्र गंगा के तट पर शांति और जीवंतता के मिश्रण से भरी रात रहती है. शाम की गंगा आरती से शुरू होकर रात्रि चक्र दिन निकलने से पहले सुबह की आरती के साथ पूरा होता है. मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र जैसे प्रसिद्ध श्मशान घाट भी पूरी रात जीवंत रहते हैं.

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वाराणसी:

''मणिकर्णिका घाट की लपटें कभी नहीं बुझतीं.'' यहां किसी भी पंडित से पूछो एक ही बात कहेंगे "यह मां गंगा और भगवान विश्वनाथ का आशीर्वाद है कि लोग यहां न केवल कुछ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने के लिए आते हैं, बल्कि पवित्र नदी के सान्निध्य में अपने भीतर की खोज करने भी आते हैं.

गंगा घाट | प्रभात खबर

ऐसा लगता है कि वाराणसी के घाट कभी नहीं सोते. जैसे ही गंगा आरती के बाद भीड़ घाटों से घरों को लौटने लगती है, नदी के पूरे किनारे पर शांति छा जाती है. रात बढ़ने के साथ यहां न तो नाव की सवारी होती है और न ही तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की कोई हलचल होती है.

मणिकर्णिका घाट | प्रभात खबर

लेकिन, अगर कोई आधी रात के आसपास घाट की सीढ़ियों पर कुछ हल्का भोजन करना चाहता है, तो दक्षिण भारतीय इडली या बनारसी चाट बेचने वाले विक्रेता उनकी भूख मिटाने को हाजिर रहते हैं.

मणिकर्णिका घाट | प्रभात खबर

देर रात में कोई भीड़ नहीं होती है. सुबह करीब 3 बजे स्नान के लिए स्थानीय 'नेमी' (नियमित स्नानार्थी) आते हैं, जिससे घाटों पर रौनक बनी रहती है.

मणिकर्णिका घाट पर लकड़ी ले जता रिक्शाचालक | प्रभात खबर

घाटों के अलावा, पुराने शहर के इलाके जैसे चौक, गोदौलिया, दशाश्वमेध घाट की ओर जाने वाली सड़क और कैंट रेलवे स्टेशन क्षेत्र रात भर गतिविधियों से गुलजार रहते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वाराणसी के घाट और पुराने शहर के इलाके कभी नहीं सोते हैं."

मणिकर्णिका घाट | प्रभात खबर