UP: अखिलेश यादव के एक फैसले से सपा के करीब 71 लाख सदस्यों की सदस्यता खत्म, पार्टी पर मंडराया खतरा

Uttar Pradesh News: सपा के संविधान के मुताबिक हर 5 साल बाद 1 जून से नई सदस्यता का अभियान चलाकर 30 जून तक पूरा करना होता है इससे पुरानी सदस्यता खत्म होने से पहले ही नए सदस्य बन जाते हैं.मगर, इस बार नई सदस्यता को अभियान नहीं चलाया गया. जिसके चलते करीब 71 लाख सदस्यों की सदस्यता 30 जून को खत्म हो गई.

By Prabhat Khabar | July 5, 2022 12:36 PM

Bareilly News : सपा संरक्षक एवं पूर्व मुखमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी (सपा) का गठन किया था. वह यूपी के तीन बार सीएम रहे, वहीं एक बार केंद्र में रक्षा मंत्री का दायित्व भाई संभाला था. उनके पुत्र एवं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी एक बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. मगर उनके एक फैसले से करीब 71 लाख सदस्यों की सदस्यता 30 जून को खत्म हो गई. पार्टी संविधान के मुताबिक हर 5 साल बाद 1 जून से नई सदस्यता का अभियान चलाकर 30 जून तक पूरा करना होता है.

इससे पुरानी सदस्यता खत्म होने से पहले ही नए सदस्य बन जाते हैं.मगर, इस बार नई सदस्यता को अभियान नहीं चलाया गया. जिसके चलते करीब 70.90 लाख सदस्यों की सदस्यता 30 जून को खत्म हो गई. इन नए सदस्यों में से सक्रिय सदस्य बनाए जाते हैं, जो राष्ट्रीय और राज्य सम्मेलन में शामिल होते हैं. मगर,इस बार सपा का सदस्यता अभियान 1 जून से नहीं चला.सिर्फ बरेली में करीब 1.60 लाख साधारण सदस्य थे. इसमें 3200 सक्रिय सदस्य बनाए गए थे. इन सभी की सदस्यता भी 30 जून को खत्म हो गई है. इस कारण राज्य और राष्ट्रीय सम्मेलन भी देरी से शुरू होने की उम्मीद है.

Also Read: Bareilly: सामाजिक सौहार्द पर भारी सोशल मीडिया, पिछले एक महीने में नफरत फैलाने के लिए 45 बार की गयी कोशिश

मगर, सदस्यता अभियान जुलाई से अगस्त, राज्य सम्मेलन सितंबर और राष्ट्रीय सम्मेलन अक्टूबर तक करना होगा. अगर,यह समय पर नहीं हुए, तो पार्टी पर भी संकट खत्म हो सकता है. हालांकि, बताया जाता है कि 05 जुलाई यानी आज से जल्दबाजी में सदस्यता अभियान को शुरू करने की तैयारी है. मगर, यूपी में रविवार को संगठन भंग किया जा चुका है. इससे सदस्यता अभियान सफल होना भी मुश्किल है.

संगठन ही नहीं, तो कैसे होगी नई सदस्यता

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को सपा का प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर सभी जिला- महानगर और फ्रंटल संगठन को भंग कर दिया है. जिसके चलते यह सभी पदाधिकारी दोबारा संगठन में पद पाने की कोशिश में जुटे हैं. इसके साथ ही अन्य सपाई भी लखनऊ सपा कार्यलय में पद पाने को दौड़ लगा रहे हैं.जिसके चलते सदस्यता अभियान पर फर्क पड़ना तय है. जब संगठन ही नहीं हैं, तो सदस्यता अभियान कैसे चलेगा. यह भी सवाल खड़ा होने लगा है.निवर्तमान संगठन भी सदस्यता अभियान में रुचि नहीं लेगा.

ऐसे चलता है सदस्यता अभियान सपा संविधान के अनुसार पार्टी में पहले प्रारंभिक सदस्यता लेना अनिवार्य होता है. इसके बाद यह प्रारंभिक सदस्य 20 रूपये की पर्ची कटवा का 50 नए सदस्यों को अपने साथ जोड़ते हैं, तब जाकर प्रारंभिक सदस्यों को सक्रिय सदस्य बनाया जाता है.इसके बाद प्रारंभिक सदस्यों में से 15 फीसद राज्य और 10 फीसद राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए चुना जाता है.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

Next Article

Exit mobile version