झारखंड के साहिबगंज में बाढ़ पीड़ितों की कैसे कट रही जिंदगी, राहत कैंप में दूध-दवा नहीं मिलने से लोग परेशान

साहिबगंज के राहत शिविर में रह रहे महिला-पुरुषों ने बताया कि कुछ लोगों को चूड़ा-गुड़, माचिश, मोमबत्ती मिला. कुछ लोगों को अब तक ये भी नहीं मिला है. किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं. छोटे-छोटे बच्चों को दूध भी नहीं मिल पा रहा है. चेहरा देखकर राहत सामग्री दी जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2021 2:10 PM

Jharkhand News, साहिबगंज न्यूज (नवीन कुमार) : झारखंड के साहिबगंज में पिछले 5 दिनों से रसूलपुर दहला निचला टोला के दर्जनों परिवार अपने बच्चों एवं छोटे-छोटे जानवरों के साथ राहत कैंप में रह रहे हैं. स्कूल में ग्राउंड फ्लोर सहित दो तल्ला भवन है. जिसमें दर्जनों परिवार रह रहे हैं. राहत कैंप में इन्हें चूड़ा, गुड़ वगैरह तो मिल रहा है, लेकिन दूध और दवा नहीं मिल पा रही है. इससे इनकी परेशानी बढ़ी हुई है.

राहत शिविर में रह रहे महिला-पुरुषों ने बताया कि कुछ लोगों को चूड़ा-गुड़, माचिश, मोमबत्ती मिला. कुछ लोगों को अब तक ये भी नहीं मिला है. किसी तरह जीवन यापन व्यतीत कर रहे हैं. मेडिकल कैम्प भी नहीं लगा है, न ही कोई डॉक्टर उन्हें देखने आया है. वे बताते हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को दूध भी नहीं मिल पा रहा है. चेहरा देखकर राहत सामग्री दी जाती है. बिजली भी बाढ़ क्षेत्र में कटी हुई है. जिससे घर में आने-जाने में परेशानी होती है. राहत कैंप में कई लोगों की तबीयत खराब है. बुजुर्ग को दवाई की जरूरत है. काफी मुश्किलों से जिंदगी कट रही है.

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बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि पिछले 6 दिनों से राहत कैम्प में आकर शरण लिए हैं. अब तक मेडिकल टीम एक बार भी किसी की जांच करने नहीं आई है. बुजुर्गों को दवाई का जरूरत है. काफी परेशानी हो रही है. अब तक कुछ नहीं मिला है. किसी को राहत सामग्री मिली, किसी को नहीं. तीसरे तल्ले तक बाढ़ पीड़ित लोग हैं. नीचे देकर सब भाग जाते हैं. राहत शिविर में सिर्फ चूड़ा, गुड़, माचिश, मोमबत्ती मिला है. बच्चों को काफी परेशानी हो रही है. अब रिश्तेदार के घर से रोटी लाकर खा रहे हैं. कभी कभी खिचड़ी कोई आकर दे जाता है. वर्ना हमलोग बनाते हैं खाना. चावल दाल अभी तक नहीं मिला है. प्रशासन द्वारा आश्वासन दिया गया था.

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घर में 5 फीट से ऊपर पानी है. बिजली कटी हुई है. मजबूरन यहां शरण लिए हैं. शाम में घर जाकर भी एक आदमी रहता है. मुंह देखकर चूड़ा, गुड़ दिया जाता है. हमलोग को अभी तक कुछ भी नहीं मिला है. जिला प्रशासन की मदद से लोग नाखुश हैं. वे कहते हैं कि चावल-दाल तक नसीब नहीं हो रहा है. राहत कैम्प में सभी का रेगुलर स्वास्थ्य जांच हो. पानी में रहने और धूप से सर्दी खांसी बुखार हो जाता है. खाने पीने की व्यवस्था नहीं है. पानी घटने का इंतजार कर रहे हैं. डॉक्टर एक बार भी नहीं आया है.

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पीड़ित बताते हैं कि दस दिनों से राहत शिविर में रह रहे हैं. मात्र एक दिन चारा मिला है. जानवर सुख गया है खाना के बिना. हरा चारा डूब गया है. इधर उधर से किसी तरह जानवरों को खाना खिला रहे हैं. जानवरों का डॉक्टर भी नहीं आया है. यहां लाने में गाय भैस का पैर कट गया है. पानी में रहने से बीमार हो गई है. खाना पीना के बिना एक गाय भी मर गयी. बहुत परेशान हैं हमलोग.

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इधर, सिटी मैनेजर पुरुषोत्तम देव कहते हैं कि नगर परिषद कर्मी व वार्ड पार्षद के सहयोग से राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है. बचे लोगों को भी अनाज उपलब्ध कराया जाएगा.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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