Gyanvapi : व्यासजी के तहखाने को मिला नया नाम, पांच पहर होगी आरती, जानें समय सारणी

काशी विद्वत परिषद ने व्यास जी के तहखाने को नया नाम ज्ञान तालगृह दिया है. उनका कहना है कि तहखाना नहीं, अब ज्ञान तालगृह के नाम से ही इसे जाना जाएगा. इस पर अखिल भारतीय संत समिति ने भी मुहर लगा दी है.

By Sandeep kumar | February 2, 2024 12:04 PM

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में दर्शन पूजन आरंभ होने के बाद संत समाज के साथ ही काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारियों ने भी पूजन की. काशी विद्वत परिषद ने व्यास जी के तहखाने को नया नाम ज्ञान तालगृह दिया है. उनका कहना है कि तहखाना नहीं, अब ज्ञान तालगृह के नाम से ही इसे जाना जाएगा. इस पर अखिल भारतीय संत समिति ने भी मुहर लगा दी है. वहीं पांच वक्त की आरती का समय भी निर्धारित कर दिया गया है. पहली आरती सुबह 3:30 बजे होगी. दिन की शुरुआत मंगला आरती के साथ होगी. भोग आरती दोपहर 12.00 बजे, शाम की आरती शाम 4.00 बजे, संध्या काल की आरती शाम 7.00 बजे और शयन आरती रात 10:30 बजे होगी. इससे पहले ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा के आदेश के बाद वादी शैलेंद्र पाठक ने बुधवार की शाम को जिलाधिकारी एस राजलिंगम से मुलाकात की और देवी-देवताओं के राग-भोग की तत्काल अनुमति मांगी. तहखाने के रिसीवर जिलाधिकारी ही हैं. इसलिए तहखाने में विग्रह को प्रतिष्ठित करके पूजा-अर्चना शुरू करा दी गई. विग्रह चयन के लिए प्रशासन ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट का अध्ययन कराया, फिर कोषागार में बंद तहखाने से मिले विग्रह को तत्काल निकलवाकर तहखाने में प्रतिष्ठित कराया. बता दें कि एएसआई ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया कि तहखाने में हनुमान की दो, विष्णु और गणेश की एक, दो शिवलिंग और एक मकर प्रतिमा प्राप्त हुई है. इन विग्रहों के साथ ही 259 सामग्रियों को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिया गया था. इसे बतौर प्रमाण कोषागार में रखवाया गया है. जिला जज की अदालत से आदेश जारी होने के बाद वादी जिलाधिकारी के पास पहुंचे और कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने की मांग रखी. प्रशासन ने इस मामले में शासकीय अधिवक्ताओं से विधिक राय लेने के बाद सबसे पहले तहखाने से विग्रह का चयन कराया. इसके साथ ही काशी विश्वनाथ धाम से व्यासजी के तहखाने के बीच रास्ता बनाने के लिए विशेषज्ञों की टीम को भेजा. टीम ने चार फीट के बैरिकेडिंग को काटने और यहां गेट लगाने की सलाह दी. इसके बाद प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों की निगरानी में व्यासजी के तहखाने तक पहुंचने के लिए ज्ञानवापी की बैरिकेडिंग को काटकर हटाया गया.

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अधिकारियों को विग्रहों के चयन में लगे दो घंटे

अधिकारियों को सबसे ज्यादा मशक्कत विग्रहों के चयन में करनी पड़ी है. जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में रखे गए विग्रहों के लिए कोषागार खोलने का आदेश जारी हुआ. इसके बाद कोषागार में रखे गए सभी 259 सामग्रियों में एएसआई की रिपोर्ट से मिलान कर आठ विग्रह अलग किए गए. इस बीच दो घंटे से ज्यादा का समय लगा. विग्रहों को रात 11.00 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में लाया गया. व्यासजी के तहखाने में पूजा पाठ और राग भोग के आदेश के अनुपालन के साथ प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी प्रयासरत रहा. यही कारण है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में शयन आरती के श्रद्धालुओं के निकलने के बाद व्यासजी के तहखाने के रास्ते का निर्माण शुरू कराया गया. ताकि किसी तरह की नारेबाजी या अफवाह नहीं फैले. काम पूरा करने के बाद प्रशासन ने पूरी जानकारी साझा की.

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काशी विश्वनाथ मंदिर के नए CEO ने संभाला कार्यभार

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के नए मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बुधवार की शाम कार्यभार ग्रहण कर लिया. इससे पहले उन्होंने बाबा विश्वनाथ दरबार में जाकर षोडशोपचार पूजन किया और बाबा से मंगल कामना की. इसके बाद मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने मंदिर परिसर में भ्रमण कर व्यवस्था को जाना-समझा. उन्होंने मंदिर की व्यवस्था में लगे सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को ईमानदारी और सेवाभाव से काम करने की सलाह दी. इस दौरान मंदिर के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखिलेश मिश्र, डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे. बता दें कि श्री काशी विश्वनाथ प्रशासन द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार कॉरिडोर बनने के बाद से अनावरण अब तक लगभग 13.5 करोड़ से अधिक दर्शनार्थी तथा लगभग 16 हजार विदेशी दर्शनार्थी बाबा विश्वनाथ के दर्शन हेतु धाम में पहुंच चुके हैं. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा दर्शनार्थियों की सुविधा हेतु शुद्ध पेयजल, गर्मी से बचाव हेतु शेडिंग तथा कैनोपी, मैट की व्यवस्था, अन्नक्षेत्र भोजनालय में प्रसाद वितरण, दिव्यांग दर्शनार्थियों हेतु व्हील चेयर आदि की सुविधा की गई है. धाम में आने वाले विशिष्ट/अतिविशिष्ट दर्शनार्थियों के लिए प्रोटोकॉल की सुविधा तथा आम दर्शनार्थियों के लिए सुगम दर्शन जैसी सेवाएं भी मंदिर न्यास द्वारा सुचारू रूप से संचालित की रही है.

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