बड़े काम के हैं ये टूल्स नयी ऊंचाई की ओर इ-लर्निंग सिस्टम

डिजिटल प्लेटफार्म पर सीखने और सिखाने की प्रक्रिया बहु आयामी हो चुकी है. कंटेंट को बेहतर बनाने, लर्निंग स्टाइल को जानने और लर्निंग नेचर को परखने के लिए स्क्रोम और एक्सएपीआइ जैसे टेक्निकल स्टैंडर्ड बड़े स्तर पर बदलाव कर रहे हैं. इनसे इ-लर्निंग सिस्टम एक नयी दिशा का रुख कर चुका है… आज के डिजिटल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 20, 2017 1:56 PM
डिजिटल प्लेटफार्म पर सीखने और सिखाने की प्रक्रिया बहु आयामी हो चुकी है. कंटेंट को बेहतर बनाने, लर्निंग स्टाइल को जानने और लर्निंग नेचर को परखने के लिए स्क्रोम और एक्सएपीआइ जैसे टेक्निकल स्टैंडर्ड बड़े स्तर पर बदलाव कर रहे हैं. इनसे इ-लर्निंग सिस्टम एक नयी दिशा का रुख कर चुका है…
आज के डिजिटल युग में सीखने की प्रक्रिया औपचारिक शिक्षा से काफी आगे बढ़ चुकी है या कहें आधुनिक तकनीकों ने हमें मोबाइल लर्निंग, सोशल लर्निंग, मैसिव ओपेन लर्निंग कोर्सेज (मूक) जैसे खास ट्रेंड से परिचित कराया है. इससे भी खास यह है कि लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) और लर्निंग रिकॉर्ड स्टोर (एलआरएस) जैसे इ-लर्निंग मॉड्यूल इस विधा को नयी ऊंचाईयों पर ले जा रहे हैं.
शेयरेबल कंटेंट ऑब्जेक्ट रिफरेंस मॉडल यानी स्क्रोम एक इ-लर्निंग स्टैंडर्ड है, जिस पर मार्केट में उपलब्ध इ-लर्निंग मॉडल तैयार किये जाते हैं. स्क्रोम इ-लर्निंग सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के लिए तकनीकी मानकों का एक समुच्चय है. स्क्रोम प्रोग्रामर को कोड लिखने में भी मददगार होता है. इसके माध्यम से ऑनलाइन लर्निंग कंटेट को बेहतर बनाया जाता है.
क्या है लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम
आज के दौर महज तकनीकी योग्यता हासिल कर लेने से भर से आपका कैरियर सही रास्ते पर चलता रहेगा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है.
दरअसल, संस्थाओं, उद्यमों और विभिन्न फर्मों के साथ-साथ प्रोफेशनल्स को इस बात का पूरा एहसास है कि लगातार स्किल्स अपडेट करते रहने से ही आज की प्रतिस्पर्धा में टिका जा सकता है. कंपनियां एलएमएस जैसे तमाम टेक्निकल टूल्स की मदद से अपनी स्ट्रेटजी प्लान कर रही है. लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) एक विस्तृत कार्यप्रणाली पर आधारित है, जिसमें सीखनेवाले की प्रकृति, सीखने की शैली, कंटेट की गुणवत्ता और उद्देश्यों आदि को व्यापक स्तर पर शामिल किया जाता है. खास बात है कि एलएमएस तात्कालिक और दूरगामी लक्ष्यों के लिहाज से उपयुक्त टेक्निकल स्टैंडर्ड है.
लर्निंग रिकॉर्ड स्टोर के हैं कई लाभ
लर्निंग रिकॉर्ड स्टोर (एलआरएस) ने हाल में हासिल की गयी ऐसी उपलब्धि है, जिसने इ-लर्निंग प्रक्रिया को नयी ऊंचाईयों पर पहुंचाया है. दरअसल, लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) के इस्तेमाल से काफी सहूलियतें मिली हैं, लेकिन लर्निंग रिकॉर्ड स्टोर (एलआरएस) रिमोट सोर्सेज से भी लोगों के लर्निंग एक्सपीरियंस को रिकॉर्ड और स्टोर करता है.
इ-लर्निंग मॉड्यूल्स और एलएमएस तकनीकी मानक स्क्रोम से जुड़े होते हैं. अब लर्निंग टेक्नोलॉजी में नया स्टैंडर्ड टीन कैन एपीआइ (एक्सपीरियंस एपीआइ या एक्स एपीआइ कहा जाता है) का नाम जुड़ गया है. इसके माध्यम से लर्निंग रिकॉर्ड स्टोर (एलआरएस) में व्यक्ति विशेष के ऑनलाइन और ऑफलाइन एक्सपीरियंस को रिकॉर्ड और स्टोर किया जा सकता है.एलआरएस एक्सएपीआइ आधारित है, इससे स्पष्ट है कि इसमें एलएमएस के मुकाबले लर्निंग डाटा अधिक है, जिससे पूरी प्रक्रिया काफी आसान हो जाती है.
शैक्षणिक संस्थान और व्यावसायिक प्रतिष्ठान इंटरफेस, सुविधाओं, सुरक्षा और आवश्यकता अनुरूप का एलएमएस और एलआरएस का इस्तेमाल करते हैं. आज के डिजिटल युग में शैक्षणिक संस्थाएं एलआरएस के माध्यम से अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर सकती हैं, तो दूसरी ओर इससे बिजनेस को स्मार्ट, रिसोर्सफुल और कहीं अधिक सक्सेसफुल बनाया जा सकता है.

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