China Taiwan War Impact: ताइवान (Taiwan) पर चीन और अमेरिका (China-America) की तनातनी बढ़ गई है. अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन तिलमिला उठा है. जहां एक ओर चीनी एयरक्राफ्ट ताइवान के डिफेंस जोन में पहुंचने लगे हैं, वहीं चीन ने ताइवान के पास युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया है. इस स्थिति में अगर चीन और ताइवान के बीच लड़ाई (Taiwan China War) छिड़ती है, तो तकनीक जगत के लिए यह बड़ा संकट साबित हो सकता है. दरअसल, ताइवान को दुनियाभर में आधुनिक सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है. ऐसे में अगर यह युद्ध हुआ, तो टेक्नोलॉजी वर्ल्ड पर इसका क्या असर पड़ेगा? आइए जानें-
कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पहले से किल्लत
चीन और ताइवान के बीच बढ़े मौजूदा टेंशन ने ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी सेक्टर की टेंशन बढ़ा दी है. इनमें खासतौर से वे कंपनियां शामिल हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी हैं. पूरा का पूरा खेल चिप से जुड़ा हुआ है. कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पहले से ही सेमीकंडक्टर की किल्लत है. अब जिस तरह अमेरिका और चीन, ताइवान पर आमने-सामने आ गये हैं, उसने हालात और बुरे कर दिये हैं. ताइवान चिप की मैन्यूफैक्चरिंग करनेवाला प्रमुख देश है. खास बात यह है कि वह दुनिया में सबसे एडवांस्ड चिप की सप्लाई करता है.
फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल का उत्पादन संकट में पड़ जाएगा
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अकेले ताइवान की सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां, दुनिया का 92 फीसदी एडवांस सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन करती हैं. चीन न केवल निर्माण, बल्कि खपत के लिहाज से भी बड़ा देश है. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती टेंशन पूरी दुनिया में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री की सप्लाई पर असर डाल सकती है. जाहिर है भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा. अगर ऐसा होता है तो मोबाइल, टीवी, लैपटॉप से लेकर तमाम इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की कीमतों पर असर पड़ सकता है. अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है तो तरह पूरी दुनिया के सामने चिप का संकट खड़ा हो सकता है. असल में पूरी दुनिया चिप के लिए ताइवान के भरोसे है. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सेमीकंडक्टर से होनेवाली कुल कमाई का 54 फीसदी हिस्सा ताइवान की कंपनियों के पास है. जाहिर है कि युद्ध के हालात में दुनिया में मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल का उत्पादन संकट में पड़ जाएगा.