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टाटा मोटर्स के कर्मचारी पुत्रों की बहाली को लेकर यूनियन की पहल लायेगी रंग

टाटा मोटर्स के कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों की बहाली को लेकर छाये संकट के बीच एक सकारात्मक खबर आयी है. इसके तहत टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते और महामंत्री आरके सिंह ने पुणे स्थित कंपनी के मुख्य ऑफिस में आला अधिकारियों के साथ बैठक की.

टाटा मोटर्स के कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों की बहाली को लेकर छाये संकट के बीच एक सकारात्मक खबर आयी है. इसके तहत टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते और महामंत्री आरके सिंह ने पुणे स्थित कंपनी के मुख्य ऑफिस में आला अधिकारियों के साथ बैठक की. बताया जाता है कि इस बैठक में कंपनी प्रबंधन के अधिकारियों ने कहा है कि वे लोग इस मुद्दे पर जमशेदपुर प्लांट के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रास्ता जरूर निकालेंगे, ताकि कर्मचारियों का भविष्य को बचाया जा सके. इस दौरान अध्यक्ष और महामंत्री ने कहा कि चूंकि यह कंपनी की परिपाटी रही है, इस कारण स्थायीकरण की प्रक्रिया को जारी रखा जाना चाहिए. इस पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया गया है.

पूर्वजों की बनाई परंपरा को समाप्त नहीं होने देंगे : यूनियन

गौरतलब है कि टाटा मोटर्स कर्मचारी पुत्र-पुत्रियों के भविष्य पर संकट गहरा गया है. कर्मचारियों के आश्रितों का कंपनी में निबंधन होता था, अस्थायी कर्मी बनते थे और फिर कुछ साल बाद स्थायी होते थे. अब उस पर रोक लगाने की बात की गयी है. इसे लेकर कर्मचारियों व उसके परिवार में हड़कंप मच गया है. स्थायी कर्मी के नाम पर उनके किसी एक पुत्र-पुत्री का निबंधन होता था, फिर वे टीएमएसटी बनते थे तथा अस्थायी के बाद स्थायी कर्मी भी हो जाते थे. अब उस पर प्रबंधन रोक लगाने का प्रस्ताव यूनियन को दी है. हालांकि, इसको मानने से यूनियन ने इनकार कर दिया है. टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन ने ऐलान किया है कि वे लोग इसको लेकर किसी भी हद तक जायेंगे. पूर्वजों की बनाई परंपरा को वे समाप्त नहीं होने देंगे.

1945 में शुरू हुई थी कंपनी 1972 से शुरू हुआ था स्थायीकरण

टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट की स्थापना आजादी के पहले वर्ष 1945 में हुई थी. पहले इसको टेल्को के नाम से जाना जाता था. जमशेदपुर प्लांट के बाद ही लखनऊ, घरवाड़, पंतनगर, पूणे, साणद सहित कई कंपनियां बनी. टाटा मोटर्स में संयुक्त बिहार के समय कर्मचारियों के बच्चों की बहाली को लेकर वर्ष 1972 में त्रिपक्षीय समझौता हुआ. इस समझौते के तहत कंपनी प्रबंधन प्रतिवर्ष कर्मचारी पुत्रों को प्रशिक्षण देकर नियोजित करेगी. इसके बाद से कंपनी में कर्मचारियों के बच्चों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हुई. वर्ष 2005-2006 में तत्कालीन श्रमायुक्त निधि खरे की अध्यक्षता में फिर संशोधन हुआ. तय हुआ कि टीएमएसटी पुल के माध्यम से कंपनी प्रबंधन प्रतिवर्ष 200 कर्मचारी पुत्रों को कंपनी में नियोजित करेगी, लेकिन अब कंपनी प्रबंधन उक्त सुविधा को बंद करने का प्रस्ताव यूनियन को दी है.

स्थायीकरण का मुद्दा लटका हुआ है

टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में 26 सौ अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाना है. इसे लेकर श्रम विभाग को रिपोर्ट सौंपा जाना है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद उप-श्रमायुक्त ने तीन माह के अंदर स्थायीकरण को लेकर प्लानिंग देने को कहा था. वह समयावधि इसी माह समाप्त हो जायेगी. इसे लेकर कंपनी प्रबंधन ने अपनी गतिविधि शुरू कर दी है. वह कैसे एक साथ सभी अस्थायी कर्मियों को परमानेंट करेगा या फिर किस अनुपात व कितने साल में स्थायीकरण पूरा करना है, इन सभी बातों की जानकारी श्रम विभाग में देना है.

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