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अकेलेपन से जूझते विद्यार्थियों को लेकर झारखंड पहुंची ट्रेन

कोटा से चली स्पेशल ट्रेन के हटिया प्लेटफार्म पर पहुंचते ही उसमें सवार विद्यार्थियों के चेहरे पर सुकून और अपने घर पहुंचने की हड़बड़ी दिखी

रांची : कोटा से चली स्पेशल ट्रेन के हटिया प्लेटफार्म पर पहुंचते ही उसमें सवार विद्यार्थियों के चेहरे पर सुकून और अपने घर पहुंचने की हड़बड़ी दिखी. अधिकतर छात्रों ने राज्य सरकार द्वारा उठाये गये कदम की प्रशंसा की व कहा कि यह कदम सराहनीय है. उन्होंने कहा कि उनका जीना दूभर हो गया था. सबसे ज्यादा परेशानी खाने-पीने व अकेलेपन की थी. इससे मन विचलित होता था तथा कई तरह के विचार आते थे. प्लेटफार्म पर पहले से खड़े आरपीएफ व पुलिस के जवानों ने बोगियों से विद्यार्थियों को बारी-बारी से उतारा तथा प्लेटफार्म पर बने रेड सर्किल में कतारबद्ध खड़ा कर उन्हें बाहर भेजा. छात्रों को ले जाने के लिए हर जिले के लिए अलग-अलग बसों की व्यवस्था की गयी थी. सबसे पहले रांची के बच्चों को बस में बैठाया गया तथा संबंधित अधिकारियों की देखरेख में रवाना किया गया.

बस में बैठे छात्र जिस जिस इलाके के थे, उन्हें वहां पर उनके परिजनों को सौंपा जायेगा और उसकी सारी सूची तैयार कर प्रशासन को दी जायेगी. बिलासपुर-राउरकेला होकर आयी ट्रेन : छात्रों को लेकर यह ट्रेन बिलासपुर, राउरकेला होते हुए हटिया पहुंची. कोटा से यह ट्रेन शुक्रवार की रात को 10 बजे खुली थी और शनिवार की शाम सात बजे हटिया स्टेशन पहुंची. रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नीरज कुमार ने कहा कि सबके सहयोग से हमलोग लगभग एक हजार छात्रों को लेकर निर्धारित समय पर हटिया पहुंचे.

स्टेशन पर विद्यार्थियों का स्वागतस्टेशन पर कोटा से आये छात्रों का स्वागत गुलाब के फूल देकर किया गया. उन्हें मास्क, भोजन के पैकेट व पेय पदार्थ भी दिय गये. छात्रों की सहायता के लिए रेलवे ने कुली भी बुलाये थे. वहीं पुलिस के कई जवानों ने भी सामान बस तक ले जाने में विद्यार्थियों की मदद की. उपायुक्त राय महिमापत रे व एसपी अनीश गुप्ता सहित अन्य पदाधिकारी भी वहां मौजूद थे.कांग्रेस के विधायक व नेता भी थे मौजूद बच्चों के स्वागत के लिए हटिया स्टेशन पर खिजरी के विधायक राजेश कच्छप, मांडर के कांग्रेस प्रत्याशी रहे सनी टोप्पो, प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव, आलोक कुमार दुबे व इंद्रजीत सिंह सहित पार्टी के अन्य पदाधिकारी व युवा कार्यकर्ता मौजूद थे. वे लोग बच्चों को उनकी बस खजने तथा बस तक पहुंचने में मदद कर रहे थे.

रांची की खुशबू कुमारी ने कहा कि कोटा में समय काटना बहुत मुश्किल हो रहा था. पूरा हॉस्टल खाली हो गया फिर खाना बनाने वाली भी चली गई थी. इसके बाद खुद ही खाना बनाना पड़ता था. अकेलेपन से ज्यादा परेशानी थी. हॉस्टल में जब अचानक फोन आया, तो बहुत राहत मिली कि अब घर व अपनों के बीच लौट सकेंगे.

रांची रेलवे स्टेशन निवासी अदिति ने कहा कि हॉस्टल बंद हो गया था. बहुत कम छात्राएं बची थी. इस कारण डर भी बहुत लगता था. सबसे ज्यादा परेशानी खाने पीने की थी. केवल पत्ता गोभी व शिमला मिर्च ही मिलता था. समय काटना मुश्किल हो गया था. बार बार रोना आता था की किसी तरह अपने माता पिता के पास पहुंच जायें.

अंशिका ने कहा कि मेस बंद हो गया था. खाने की बहुत दिक्कत थी. अकेलेपन से कई बार रोना आता था. पर परिजनों से बात करके मन हल्का हो जाता था. इसी बीच स्पेशल ट्रेन की सूचना मिली. किसी तरह अपने समेटकर खुद उठाकर स्टेशन पहुंची. अब सरकार के प्रयास से अपनों के बीच पहुंचने की बेहद खुशी है.

मांडर की रितिका ने कहा कि घर आकर काफी सुकून मिला है. अब घर जाकर अपने माता-पिता से मिलने की जल्दी है. कोटा में खाने-पीने से लेकर कमरे व कपड़े की साफ-सफाई में भारी दिक्कत थी. हम सबको घर लौटने की बेचैनी थी. बेहतर कैरियर के लिए कोटा में पढ़ाई का जो उत्साह था, वह गायब हो चुका था.

बरियातू हाउसिंग कॉलोनी के कुणाल कुमार ने बताया कि खाने-पीने की काफी दिक्कत थी. पर ट्रेन पर चढ़ने से लेकर हटिय पहुंचने तक किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई. हम सबका पूरा ख्याल रखा जा रहा था. कुणाल से यह पूछने पर कि हालात ठीक होने पर क्या कोटा जाना चाहेंगे. उसका जवाब था, विचार करेंगे.

बूटी मोड़ निवासी आनंद कुमार ने कहा कि ‌इंजीनियरिंग की तैयारी के सिलसिले में वहां गये थे. अब दोबारा वहां नहीं जाएंगे रांची में रहकर ही तैयारी करेंगे. उन्होंने कहा कि खाने-पीने से लेकर दूसरी कई दिक्कतें वहां आ रही थी. अपने घर पहुंच कर काफी सुकून मिला है.

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