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फिर आंदोलन की तैयारी में झारखंड के 61 हजार पारा शिक्षक, पांच सितंबर से चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा

राज्य के पारा शिक्षक लगभग दो वर्ष बाद एक बार फिर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. झारखंड एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने पारा शिक्षकों की प्रस्तावित सेवा शर्त नियमावली चार सितंबर तक कैबिनेट से पारित कराने की मांग की है.

रांची : राज्य के पारा शिक्षक लगभग दो वर्ष बाद एक बार फिर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. झारखंड एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने पारा शिक्षकों की प्रस्तावित सेवा शर्त नियमावली चार सितंबर तक कैबिनेट से पारित कराने की मांग की है. चार सितंबर तक पारा शिक्षकों के लिए प्रस्तावित सेवा शर्त नियमावली कैबिनेट से स्वीकृत नहीं होने पर राज्य के लगभग 61 हजार पारा शिक्षक पांच सितंबर से चरणबद्ध आंदोलन करेंगे. मोर्चा के बिनोद बिहारी महतो व संजय कुमार दुबे ने बताया कि सरकार की ओर से तीन माह में पारा शिक्षकों की समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया गया था. पर अब तक सेवा शर्त नियमावली पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है.

इस मामले को लेकर पारा शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल 15 अगस्त को शिक्षा मंत्री से मिलेगा. उन्होंने कहा कि चार सितंबर तक नियमावली कैबिनेट से पारित नहीं होने पर पारा शिक्षक पांच सितंबर से आंदोलन करने को बाध्य होंगे. इससे पहले पारा शिक्षकों ने वर्ष 2018 में आंदोलन किया था. पारा शिक्षक लगभग दो माह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहे थे. इस दौरान कई पारा शिक्षकों पर मुकदमा भी किया गया था. पारा शिक्षक जेल गये थे.

कैबिनेट से सेवा शर्त नियमावली पारित नहीं होने पर आंदोलन

परीक्षा को लेकर फंसा है पेंच

पारा शिक्षकों की समस्याओं को लेकर शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी की नौ जून को हुई बैठक में सेवा शर्त नियमावली व स्थायीकरण को सहमति दी गयी थी. पारा शिक्षकों के स्थायीकरण के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा ली जाये या फिर अलग से सीमित आकलन परीक्षा. इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है. इस संबंध में शिक्षा विभाग द्वारा विधि विभाग से राय मांगी गयी है.

चाहे मनरेगा कर्मियों का मामला हो या पारा शिक्षकों का, सभी वायदे होंगे पूरे

झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार अपने सभी वायदे को लेकर संवेदनशील है. सभी वायदे पूरे किये जायेंगे. उन्होंने कहा आम लोगों की समस्याओं को ध्यान में रख कर ही चुनाव से पहले कांग्रेस और झामुमो ने अपने घोषणा पत्र तैयार किये थे. चाहे पारा शिक्षकों का मामला हो या फिर मदरसा व मनरेगाकर्मियों का, सभी पर सरकार काम कर रही है.

सरकार बजट सत्र के दौरान जैसे ही आगे बढ़ी, वैश्विक महामारी कोरोना फैल गयी. इस वजह से सरकार प्रवासी मजदूरों और आम लोगों की जिंदगी बचाने में जुट गयी. सरकार के पास किये गये वायदे को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय है. सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार शेष साढ़े चार साल के कार्यकाल में सभी वादों को पूरा करेगी.

Post by : Pritish Sahay

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