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भारत की ओर से नमस्ते! UNGA में बोले एस जयशंकर- वे दिन खत्म हो गए हैं जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत की ओर से नमस्ते! देखें ये वीडियो

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में कहा कि दुनिया उथल-पुथल के असाधारण दौर से गुजर रही है. ऐसे समय में जब पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण इतना तीव्र है और उत्तर-दक्षिण विभाजन इतना गहरा है, नई दिल्ली शिखर सम्मेलन भी इस बात की पुष्टि करता है कि कूटनीति और संवाद ही एकमात्र प्रभावी समाधान हैं. वे दिन खत्म हो गए हैं जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उसके अनुरूप चलने की उम्मीद करते थे.

भारत की ओर से नमस्ते!

अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत की ओर से नमस्ते! विश्वास के पुनर्निर्माण और वैश्विक एकजुटता को फिर से जागृत करने के इस UNGA के विषय को हमारा पूरा समर्थन है. यह हमारी आकांक्षाओं और लक्ष्यों को साझा करते हुए हमारी उपलब्धियों और चुनौतियों का जायजा लेने का एक अवसर है. वास्तव में, दोनों के संबंध में, भारत के पास साझा करने के लिए बहुत कुछ है.

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जयशंकर ने कहा कि ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है. उन्होंने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किये जाने से संयुक्त राष्ट्र को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए.

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अब भी कुछ ऐसे देश हैं जो एजेंडा को आकार देते हैं

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में कहा कि गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर अब हमने ‘विश्व मित्र’ की अवधारणा विकसित की है. उन्होंने कहा कि जब हम अग्रणी शक्ति बनने की आकांक्षा रखते हैं तो यह आत्म-प्रशंसा के लिए नहीं, बल्कि बड़ी जिम्मेदारी उठाने और अधिक योगदान करने के लिए होती है. अब भी कुछ ऐसे देश हैं जो एजेंडा को आकार देते हैं और मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं. यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता.

विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित

UNGA में विदेश मंत्री में एस. जयशंकर ने कहा कि हमने 75 देशों के साथ विकासात्मक साझेदारी बनाई है. आपदा और आपातकालीन स्थिति में भी हम पहले उत्तरदाता बने हैं. तुर्की और सीरिया के लोगों ने यह देखा है. उन्होंने कहा कि हमारा नवीनतम दावा विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए अग्रणी कानून है. मैं एक ऐसे समाज के लिए बोलता हूं जहां लोकतंत्र की प्राचीन परंपराओं ने गहरी आधुनिक जड़ें हैं. परिणामस्वरूप, हमारी सोच, दृष्टिकोण और कार्य अधिक जमीनी और प्रामाणिक हैं.

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