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Research Alzheimer’s Treatment : स्टेम सेल उपचार ने अल्जाइमर के लक्षणों को घटाने की जगाई उम्मीद

Research : अल्जाइमर उपचार (Alzheimer's Treatment) की दिशा में किए जा रहे शोध में अच्छी खबर सामने आई है. अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के नेतृत्व में टीम ने रिसर्च में स्टेम सेल उपचार ने अल्जाइमर के लक्षणों को घटाने की उम्मीद जगाई है.

Research Alzheimer’s Treatment : नयी दिल्ली, वैज्ञानिकों ने चूहे में ‘स्टेम सेल’ कोशिकाओं का प्रतिरोपण किया है और अल्जाइमर रोग जैसी मस्तिष्क की असमान्यता में कमी पाई है. अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के नेतृत्व में टीम ने रक्त स्टेम और जनक कोशिकाओं को चूहों में प्रतिरोपित किया और प्रभावी ढंग से तंत्रिकीय (न्यूरल) कोशिका ‘माइक्रोग्लिया’ को हटाया, जो रोग की वजह से चूहे में निष्क्रिय हो जाती है.

स्टैनफोर्ड में पैथोलॉजी के प्राध्यापक मेरियस वर्निग ने कहा, ‘‘यह कोशिका उपचार अनूठा है क्योंकि ज्यादातर शोधार्थी अल्जाइमर के इलाज के लिए दवा या इंजेक्शन ढूंढने पर काम करते हैं ’’

नतीजे अगस्त में सेल स्टेम सेल पत्रिका में प्रकाशित किये गए.

  • अल्जाइमर पर व्यापक शोध के बावजूद, ‘न्यूरोडीजेनेरेटिव’ विकार होने के कारण और इसके विकसित होने के तरीके बखूबी नहीं समझे जा सके हैं .

  • न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग तब होते हैं जब मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं समय के साथ काम करना बंद कर देती हैं और आखिरकार मृत हो जाती हैं.

  • अधिकांश उपचार अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में पाए जाने वाले ‘अमाइलॉइड प्लाक’ के जमाव को साफ करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये प्लाक केवल अल्जाइमर के पैथोलॉजी के संकेत हैं या सीधे तौर पर डिमेंशिया (भूलने की बीमारी) का कारण बन रहे हैं.

  • गैर-पारिवारिक अल्जाइमर रोग, जो वृद्धावस्था में होता है एवं वंशानुगत जीन संस्करण से उत्पन्न नहीं होता है, और माइक्रोग्लिया में विभिन्न उत्परिवर्तनों (म्यूटेशन) के बीच एक स्पष्ट संबंध है.

  • माइक्रोग्लिया कोशिकाएं अन्य मस्तिष्क कोशिकाओं को आक्रमणकारियों से बचाती हैं और सफाई दल के रूप में कार्य करती हैं, जो मस्तिष्क में जमा होने वाले चयापचय कचरे को बाहर निकालती हैं.

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वैज्ञानिकों ने पाया कि माइक्रोग्लिया में कुछ आनुवंशिक विविधताएं अल्जाइमर रोग के बढ़ते जोखिम के साथ एक मजबूत संबंध दिखाती हैं.

इसी तरह के एक सहसंबंध में टीआरईएम2 नामक जीन शामिल है, जो माइक्रोग्लिया न्यूरोडीजेनेरेशन का पता लगाने और उसे संबोधित करने में एक आवश्यक भूमिका निभाता है.

वर्निग ने कहा कि टीआरईएम2 के कुछ आनुवंशिक स्वरूप अल्जाइमर रोग के लिए सबसे मजबूत आनुवंशिक जोखिम कारकों में शामिल हैं .

शोधार्थियों ने पाया कि प्रतिरोपित कोशिकाओं ने रक्त प्रणाली को पुनर्गठित किया और उनमें से कुछ कुशलतापूर्वक प्राप्तकर्ताओं के मस्तिष्क में शामिल हो गईं और ऐसी कोशिकाएं बन गईं, जो माइक्रोग्लिया की तरह दिखती और व्यवहार करती थीं.

वर्निग ने कहा, ‘‘हमने प्रदर्शित किया कि मस्तिष्क के अधिकांश मूल माइक्रोग्लिया को स्वस्थ कोशिकाओं द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया, जिससे सामान्य टीआरईएम2 गतिविधि बहाल हो गई ’’

उन्होंने कहा, ‘‘असल में, प्रतिरोपित चूहों में हमने अमाइलॉइड प्लाक के जमाव में स्पष्ट कमी देखी, जो आमतौर पर टीआरईएम2 की कमी वाले चूहों में देखी जाती है ’’

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मनोभ्रंश का ही एक प्रकार है अल्जाइमर

अल्जाइमर, डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का एक प्रमुख प्रकार है. डिमेंशिया मस्तिष्क संबंधी विकारों का एक समूह है, जिसमें व्यक्ति की याद्दाश्त, सोच, भाषा और उसका कौशल क्षीण होने लगता है और उसके व्यक्तित्व एवं व्यवहार में नकारात्मक बदलाव आने लगते हैं. डिमेंशिया के लगभग 60 प्रतिशत मामले अल्जाइमर से संबंधित हैं. आमतौर पर साठ साल की उम्र के बाद यह बीमारी लोगों को अपनी गिरफ्त में लेती है. गौरतलब है कि अल्जाइमर की समस्या रातोरात नहीं होती. कई सालों के बाद यह रोग गंभीर रूप धारण करता है. समय रहते इस रोग का पता चलने पर पीड़ित व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) 8 से 10 साल से अधिक हो सकती है, हालांकि इसके अपवाद भी संभव हैं.

 रोग के प्रमुख लक्षण
  • चंद दिनों पहले घटी घटनाओं के बारे में याद न रहना.

  • हाल में ही संपर्क में आये लोगों के नामों को भूलना.

  • समय और स्थान के बारे में असमंजस होना.

  • अत्यंत गंभीर स्थिति में मरीज अपने परिजनों तक को नहीं पहचानता या फिर उनका नाम भूल जाता है.

  • बोलते समय सही शब्द का चयन करने में दिक्कत.

  • नित्य क्रिया और दैनिक कार्य करने में कठिनाई, जैसे- कमीज के बटन बंद करने में दिक्कत महसूस करना आदि.

  • लोगों का चेहरा पहचानने में परेशानी.

  • पीड़ित व्यक्ति के व्यक्तित्व में नकारात्मक परिवर्तन होना.

  • अल्जाइमर रोगी अक्सर समाज से अलग-थलग पड़ जाते हैं. इस कारण वे अवसाद (डिप्रेशन) से ग्रस्त हो सकते हैं. क्रोध और चिड़चिड़ापन उनके स्वभाव का अंग बन जाता है.

  • उपरोक्त लक्षणों में से किसी एक के प्रकट होने पर रोगी के परिजनों को शीघ्र ही न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए.

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इसके होने के कारण

बढ़ती उम्र खासकर वृद्धावस्था (आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक) में मस्तिष्क की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) के मृत होने और इनमें असामान्य रूप से प्रोटीन के संचित होने को अल्जाइमर का कारण माना जाता है, लेकिन इस रोग के कारणों पर अभी तक शोध जारी है. कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि किसी दुर्घटना में जिन लोगों के मस्तिष्क में घातक चोट लगती है और जो कुछ समय के लिए कोमा में चले जाते हैं, उनमें कोमा से बाहर आने के बाद कालांतर में इस रोग के होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं. कुछ मामलों में विशेषज्ञ इस मर्ज का एक कारण वंशानुगत (जेनेटिक) भी मानते हैं.

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