24.3 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

बैक डेट से टैक्स वसूली का प्रावधान होगा खत्म, केयर्न मामले से सबक लेकर सरकार ने लोकसभा में पेश किया बिल

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक-2021' पेश किया.

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार ने रेट्रो टैक्स यानी बैक डेट से लागू कर कानून को लेकर कंपनियों में व्याप्त भय को समाप्त करने के लिए लोकसभा में एक बिल पास किया है. सरकार ने केयर्न और वोडाफोन मामले से सबक लेते हुए यह फैसला किया है. इसके तहत इसके तहत केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों से पूर्व की तिथि से कर की मांग को वापस लिया जाएगा. सरकार ने यह भी कहा कि वह इस तरह के कर के जरिए वसूले गए धन को वापस कर देगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक-2021′ पेश किया. इसके तहत भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 का इस्तेमाल करके की गई मांगों को वापस लिया जाएगा.

विधेयक में कहा गया है कि इन मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस करने का भी प्रस्ताव है. इस विधेयक का सीधा असर ब्रिटेन की कंपनियों केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह के साथ लंबे समय से चल रहे कर विवादों पर होगा. भारत सरकार पिछली तिथि से लागू कर कानून के खिलाफ इन दोनों कंपनियों द्वारा किए गए मध्यस्थता मुकदमों में हार चुकी है.

हालांकि, वोडाफोन मामले में सरकार की कोई देनदारी नहीं है, लेकिन उसे केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर वापस करने हैं. निचले सदन में विपक्षी सदस्य पेगासस जासूसी मामले सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामा कर रहे थे. हंगामे के बीच ही, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को पेश किया.

विधेयक में कहा गया कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों के अंतरण (भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण) के जरिए भारत में स्थित संपत्ति के हस्तांतरण की स्थिति में होने वाले लाभ पर कराधान का मुद्दा लंबी मुकदमेबाजी का विषय था. सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में एक फैसला दिया था कि भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से होने वाले लाभ कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत कर योग्य नहीं हैं.

इसके बाद सरकार ने वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को पिछली तिथि से संशोधित किया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों की बिक्री से होने वाले लाभ पर भारत में कर लगेगा. विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि इस कानून के अनुसार 17 मामलों में आयकर की मांग की गई थी. दो मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगन के कारण आकलन लंबित हैं.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें