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दुर्गा पूजा से पहले एचईसी के मजूदरों का वेतन भुगतान सुनिश्चित करे केंद्र सरकार, ऐक्टू की मांग

शुभेंदु सेन ने कहा कि एचईसी के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है. उन पर लाठियां बरसाई जाती है. केंद्र सरकार को इसकी कीमत चुकानी होगी. वहीं, ऐक्टू के प्रदेश सचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि एचईसी को कार्यशील पूंजी उपलब्ध नहीं कराया जाना एचईसी को पूरी तरह से बर्बादी की ओर धकेलने जैसा है.

झारखंड की राजधानी रांची की शान ‘मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज’ हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) के कर्मचारियों को करीब डेढ़ साल से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है. इसकी वजह से उनका हर पर्व-त्योहार फीका रह गया है. किराए के मकान में रहने वाले कर्मचारियों का परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. केंद्र सरकार को दुर्गा पूजा से पहले एचईसी के कर्मचारियों का वेतन भुगतान सुनिश्चित करना होगा. ये बातें मजदूर संगठन एआईसीसीटीयू (एक्टू) ने कहीं हैं. बुधवार (18 अक्टूबर) को डोरंडा में हुई ऐक्टू रांची जिला कमेटी की बैठक हुई. बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने कहा कि एचईसी के कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है. वे अपने वेतन की मांग करते हैं, तो उन पर लाठियां बरसाई जाती है. केंद्र सरकार को इसकी कीमत चुकानी होगी. वहीं, ऐक्टू के प्रदेश सचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि एचईसी को कार्यशील पूंजी उपलब्ध नहीं कराया जाना एचईसी को पूरी तरह से बर्बादी की ओर धकेलने जैसा है. जब से एचईसी की बैंक गारंटी खत्म की गई है, तब से एचईसी की ये दुर्दशा हुई है. ऐक्टू एचईसी मजदूरों की पीड़ा और भावनाओं के साथ खड़ी है.

50 के दशक में नेहरू की पहल पर हुई थी एचईसी की स्थापना

साथ ही कहा कि पूजा से पहले यदि एचईसी के मजदूरों के वेतन का भुगतान नहीं हुआ, तो ऐक्टू बड़े आन्दोलन के लिए बाध्य होगी. बैठक में 29 अक्टूबर को एक्टू रांची जिला का जिला सम्मेलन आयोजित करेगा. बता दें कि 50 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पहल पर रूस की मदद से रांची में एचईसी की स्थापना हुई थी. देश में अपने तरह की इकलौती इंडस्ट्री आज बंद होने की कगार पर है. अगर एचईसी को पुनर्जीवित किया जाए, तो ‘मेक इन इंडिया’ के अभियान को गति मिलेगी. एचईसी एक ऐसी संस्था है, जो बड़े-बड़े उद्योगों के लिए उपकरण से लेकर मशीन तक बनाती है.

एचईसी के लॉन्च पैड से होती है इसरो के बड़े उपग्रहों की लॉन्चिंग

एचईसी उद्योगों के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें बनाती है, तो पानी के जहाज भी बनाती है. यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के लिए बड़े-बड़े लॉन्च पैड में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण उपकरण का भी निर्माण करती है. हाल में चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की लांचिंग हुई. इसके लांचिंग पैड को संभाले रखने के लिए बनने वाला क्रेन एचईसी ने बनाया. इसके अलावा भी कई अहम उपकरण यहां से बनाकर श्रीहरिकोटा भेजे गए थे. झारखंड सरकार ने भी कई बार केंद्र सरकार से एचईसी को बचाने की अपील की है. बावजूद इसके अब तक एचईसी का भविष्य तय नहीं है. यहां काम करने वाले लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं. पिछले दिनों आंदोलन के दौरान उन पर लाठीचार्ज हुआ था.

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