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पत्थलगड़ी आंदोलन मामला : गुमला के 6 आंदोलनकारियों पर केस हुआ था दर्ज, हेमंत सरकार के निर्णय से मिली राहत

CNT/SPT एक्ट के संशोधन के विरोध और पत्थलगड़ी के समर्थन में गुमला के छह आंदोलनकारियों पर नामजद केस दर्ज हुआ था. लेकिन, हेमंत सरकार के फैसले के बाद इन लोगों को काफी राहत मिली है. हालांकि, इस आंदोलनकारियों में शीला टोप्पो का निधन हो गया.

Jharkhand News: तारीख 2 दिसंबर, 2016. गुमला के सिसई रोड स्थित उर्सुलाइन कॉन्वेंट स्कूल के समीप सड़क जाम किया गया था. CNT/SPT एक्ट के संशोधन के विरोध और पत्थलगड़ी के समर्थन में सैंकड़ों लोग सड़क पर उतर आये थे. अपनी मांगों को लेकर आंदोलनकारी सड़क पर बैठ गये थे. काफी मशक्कत के बाद प्रशासन आंदोलनकारियों को सड़क से हटायी थी. परंतु, इस मामले में पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया था. जिसे बाद में थाना से छोड़ दिया गया था. लेकिन, इस मामले में छह लोगों पर नामजद सहित दर्जनों अज्ञात पर केस दर्ज हुआ था. लेकिन, अब हेमंत सरकार ने इस केस को वापस लेने का फैसला लिया है. इससे सभी लोग खुश हैं. केंद्रीय काथलिक सभा ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है.

साढ़े छह साल तक लोगों को कोर्ट का चक्कर काटना पड़ा

बता दें कि अपनी मांगों को लेकर सड़क पर बैठे आंदोलनकारियों में विधायक भूषण तिर्की, झामुमो के केंद्रीय सदस्य रंजीत सरदार, काथलिक महिला संघ की अध्यक्ष फ्लोरा मिंज, रसोइया संयोजिका अध्यक्ष संघ की सचिव शांति मारग्रेट बाड़ा, पुष्पा किस्पोट्टा एवं वार्ड पार्षद शीला टोप्पो पर नामजद केस दर्ज हुआ था. जिसमें वार्ड पार्षद शीला टोप्पो का निधन हो गया है. यह केस साढ़े छह साल तक चला. इन साढ़े छह सालों में लोगों को कोर्ट का चक्कर काटना पड़ा. कई बार कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी थी.

आंदोलन करने पर केस दर्ज हुआ था : रंजीत सरदार

झामुमो के केंद्रीय सदस्य रंजीत सिंह सरदार ने कहा कि मामला दो दिसंबर, 2016 की है. गुमला शहर के सिसई रोड स्थित उर्सुलाइन कॉन्वेंट हाई स्कूल के समीप आंदोलन हुआ था. सीएनटी व एसपीटी एक्ट के संशोधन के विरोध और पत्थलगड़ी के समर्थन में सैंकड़ों लोग सड़क पर उतर आये थे. लोग अपनी मांगों पर अड़े हुए थे. पूरजोर आंदोलन हुआ. सड़क से कोई हट नहीं रहा था. इसी दौरान गुमला पुलिस ने आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद देर शाम को उसी दिन रिहा कर दिया गया था. परंतु पुलिस ने छह आंदोलनकारियों पर नामजद व कई अज्ञात आंदोलनकारियों पर केस दर्ज किया था. इसके बाद यह केस लगातार छह सालों से चल रहा था. इधर, दो सालों से यह केस एमपी/एमएलए कोर्ट में चला गया था. गुमला कोर्ट से वारंट भी जारी हुआ था. जिसमें सभी छह नामजद आरोपियों को कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी थी.

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सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं : अध्यक्ष

केंद्रीय काथलिक सभा गुमला के अध्यक्ष सेत कुमार एक्का ने कहा कि झारखंड सरकार के इस फैसले से गुमला विधायक भूषण तिर्की, रंजीत सिंह सरदार, महिला संघ गुमला की सभानेत्री फ्लोरा मिंज, शांति माग्रेट बड़ा, जोनपुर की शांति आदि को मुकदमे से राहत मिलेगी. काथलिक सभा झारखंड सरकार के प्रति आभार प्रकट करती है. क्योंकि वर्ष 2016 में जो आंदोलन हुआ था. वह पूरे समाज व लोगों के लिए था. परंतु, उस समय आंदोलन में शामिल रहे हमारे लोगों पर केस कर दिया गया था. वर्तमान सरकार ने उक्त केस को वापस लेने का प्रस्ताव पारित कर दिया. इसका हम सभी स्वागत करते हैं.

हर महीने कोर्ट में तारीख भरनी पड़ रही थी : फ्लोरा

फ्लोरा मिंज एवं शांति मारग्रेट बाड़ा ने सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 के दो दिसंबर को केस हुआ था. उस समय तो किसी प्रकार से बेल करा लिये थे. परंतु पिछले साढ़े छह सालों से हर महीने कोर्ट में जाकर तारीख भरनी पड़ रही थी. डिस्चार्ज के लिए याचिका भी दायर किये थे. परंतु हमारी याचिका अस्वीकृत कर दी गयी थी. अब झारखंड सरकार ने केस को ही खत्म करने का आदेश जारी किया है. सरकार के इस फैसले से ना केवल हम कुछ गिने हुए लोगों, बल्कि समूचे समाज के लिए बहुत ही अच्छा कार्य किया है. इसके लिए हम सरकार का आभार व्यक्त करते हैं.

रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.

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