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Friday, March 29, 2024

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फलदार पौधे लगाएं, दोहरा लाभ पाएं

झारखंड की हेमंत सरकार फलदार पौधों के जरिये राज्य के ग्रामीणों को एकसाथ दोहरा लाभ दिलाने में जुटी है. फलदार पौधे लगाने से जहां कुछ समय बाद इससे आमदनी होने लगेगी, वहीं फलदार पौधों के बीच की जगह में अन्य फसलें व सब्जियां उगाकर भी अपनी आय बढ़ा सकेंगे. हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की है. इसके तहत ग्रामीणों को फलदार वृक्ष का पट्टा भी मिलेगा. पढ़ें समीर रंजन की रिपोर्ट.

झारखंड की हेमंत सरकार फलदार पौधों के जरिये राज्य के ग्रामीणों को एकसाथ दोहरा लाभ दिलाने में जुटी है. फलदार पौधे लगाने से जहां कुछ समय बाद इससे आमदनी होने लगेगी, वहीं फलदार पौधों के बीच की जगह में अन्य फसलें व सब्जियां उगाकर भी अपनी आय बढ़ा सकेंगे. हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की है. इसके तहत ग्रामीणों को फलदार वृक्ष का पट्टा भी मिलेगा. पढ़ें समीर रंजन की रिपोर्ट.

रांची : राज्य में लोगों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि है. यहां औसत वार्षिक वर्षा 1100 से 1300 मिलीमीटर के बीच होती है. एसइसीसी 2011 के अनुसार, राज्य में 50 फीसदी से अधिक परिवार वंचित श्रेणी में है, जबकि 52 फीसदी परिवार मुख्यत: अकुशल मजदूरी पर आश्रित है.

राज्य का कुल भू-भाग करीब 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में है. खेती योग्य कुल जमीन करीब 38 लाख हेक्टेयर है. राज्य में कुल भू-भाग के मात्र 21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही खेती होती है, जो 27 फीसदी है. वहीं सिंचाई की बात करें, तो मात्र 11 फीसदी भू-भाग पर ही सिंचाई का साधन उपलब्ध है. यहां का एक बड़ा भू-भाग एग्रा क्लाइमेटिक जोन- 7 में आता है.

राज्य में मात्र 11 फीसदी भू-भाग पर सिंचाई होने के कारण फलदार वृक्षों की खेती पर विशेष जोर दिया जाता है. झारखंड में फल खासकर आम, अमरूद, लीची, नींबू आदि का उत्पादन कम मात्रा में होता है. वर्तमान में उच्च भूमि का उपयोग नहीं के बराबर हो रहा है. उच्च भूमि का उपयोग बढ़ाते हुए इसे आजीविका का एक बेहतर साधन के रूप में विकसित करना जरूरी है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत फलदार वृक्ष लगाने व उसकी देखभाल करने से ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा. इसमें बुजुर्गों और विधवा महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी, ताकि उनके लिए भी रोजगार उपलब्ध हो सके.

राज्य में मनरेगा के तहत फलदार पौधे के साथ- साथ सागवान, महुगुनी, सखुआ, गम्भार और बांस जैसे पौधे भी लगाये जाने की योजना है. ये पौधे किसानों के लिए वरदान साबित होंगे. जिन किसानों के पास आधा से एक एकड़ टांड़ जमीन (ऊपरी भूमि) है, वहां भी किसान फलदार वृक्ष लगाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं.

छोटे क्षेत्र में किसान आम का पेड़ भी लगा सकते हैं. आम पेड़ के नीचे विभिन्न प्रकार के घास और नकदी सब्जियां भी उगा सकते हैं. अमूमन आम की फसल से तीन साल के बाद नकद आमदनी शुरू हो जाती है. मनरेगा के तहत आम बागवानी के लिए एक एकड़ में करीब 112 आम के पौधे एवं चारों ओर लगभग 96 से 100 इमारती पौधे लगाये जाते हैं.

बिरसा हरित ग्राम योजना से पेड़ भी और पैसा भी

बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत सरकार सड़क किनारे, सरकारी भूमि, व्यक्तिगत या गैर मजरुआ भूमि पर फलदार पौधा लगाने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर रही है. इन पौधों की देखभाल की जिम्मेवारी ग्रामीणों की होगी. अगले पांच साल तक पौधों को सुरक्षित रखने के लिए सहयोग भी मिलेगा.

उन्हें पौधों का पट्टा भी दिया जायेगा, जिससे वे फलों से आमदनी कर सकें. पौधरोपण के करीब तीन साल बाद प्रत्येक परिवार को 50 हजार रुपये की वार्षिक आमदनी होगी. इसके साथ ही फलों की उत्पादकता बढ़ने की स्थिति में फलों का प्रसंस्करण व उसके लिए बाजार उपलब्ध कराने की व्यवस्था होगी. इस योजना के तहत पूरे राज्य में पांच करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इससे मनरेगा के तहत 25 करोड़ मानव दिवस का सृजन होगा.

आंकड़ों पर एक नजर

वर्ष 2016-17 में बिरसा मुंडा बागवानी योजना की शुरुआत राज्य के चार जिलों में की गई. करीब 398 एकड़ में पेड़ लगाये गये. इसके तहत नौ प्रखंड की 34 पंचायत स्थित 64 गांवों में इसकी शुरुआत की गयी. इससे 585 परिवारों को इससे जोड़ा गया. इस वित्तीय वर्ष में मात्र 5 फीसदी पेड़ों का नुकसान हुआ.

वित्तीय वर्ष 2017-18 में 14 जिले को कवर किया गया. इसके तहत 46 प्रखंड की 170 पंचायत के 264 गांवों में बागवानी का कार्य 956 एकड़ भूमि में किया गया. इससे 1317 परिवारों को इससे जोड़ा गया. इस वित्तीय वर्ष में 8 फीसदी पेड़ों का नुकसान हुआ. वित्तीय वर्ष 2018-19 की बात करें, तो 24 जिले के 200 प्रखंड स्थित 769 पंचायतों के 1032 गांवों को इससे जोड़ा गया.

इस कार्य से 3637 परिवारों को लाभ पहुंचा. वित्तीय वर्ष 2019-20 में 18 जिलों को इससे जोड़ा गया. इसके तहत 123 पंचायतों के 2500 ग्रामीण परिवारों को इसका लाभ पहुंचा. इस तरह करीब 6121 एकड़ क्षेत्र में करीब 8500 ग्रामीण परिवारों को बागवानी कार्य से जोड़ा गया.

posted by : sameer oraon

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