36.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

अफसर ने अपने ही कोर्ट में मांगी रिश्वत, भूमि विवाद मामला निबटाने के लिए मांग रहे थे इतने हजार

भूमि विवाद के एक मामले में सुलहनामे के कागजात पर दस्तखत करने के एवज में कार्यपालक दंडाधिकारी सुबोध कुमार पर अपने ही कोर्ट में 25 हजार रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगा है

विनोद पाठक, गढ़वा : भूमि विवाद के एक मामले में सुलहनामे के कागजात पर दस्तखत करने के एवज में कार्यपालक दंडाधिकारी सुबोध कुमार पर अपने ही कोर्ट में 25 हजार रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगा है. इससे संबंिधत एक वीिडयो क्लिप वायरल हो रहा है, िजसमें उन्हें िरश्वत की बात करते देखा और सुना जा सकता है. प्रभात खबर के पास इसका वीडियो क्लिप मौजूद है. वीडियो क्लिप में दिख रहा है कि कार्यपालक दंडाधिकारी अपने न्यायालय में बैठे हैं.

उसी समय अन्य वादी की उपस्थिति में समझौता के लिए पहुंचे युवक से वे रिश्वत को लेकर मोल-भाव कर रहे हैं. इसमें युवक पहले 10 हजार रुपये देने की बात कहता है. लेकिन, कार्यपालक दंडाधिकारी एक ही बार पूरा पैसा लेने पर अड़े हैं. वे कह रहे हैं : हम 50 हजार रुपये बोले थे, लेकिन कम से कम 25 हजार रुपये दे दो, तो कागजात पर हस्ताक्षर कर देंगे. जब युवक दो किस्त में 25 हजार रुपये में देने की बात कहता है, तो वे कहते हैं : जब भी पैसा लेंगे, एक ही बार में लेंगे. एक साथ पैसा लेकर आओ और हाथोंहाथ काम कराओ.

हां! हमने रुपये मांगे थे : वीडियो क्लिप के संबंध में जब कार्यपालक दंडाधिकारी सुबोध कुमार से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा : यह मामला तब का है, जब मैं अनुमंडल में था. लेकिन, अब वहां से मुझे हटा दिया गया है. उन्होंने स्वीकार किया : हां! हमने पैसे की मांग की थी, लेकिन लिया नहीं है. जो सच है, वह तो सच ही रहेगा न. हद तो यह है कि सुबोध कुमार ने यह बात तब कही, जब वे जान रहे थे की उनकी बात मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड हो रही है. इस बातचीत की रिकॉर्डिंग भी प्रभात खबर के पास मौजूद है.

सुबोध कुमार पर हैं कई अन्य आरोप : सुबोध कुमार 21 जुलाई 2011 से दो अक्तूबर 2014 तक रमकंडा बीडीओ रह चुके हैं. गढ़वा में कार्यपालक दंडाधिकारी के रूप में योगदान देने के बाद इन्हें एसडीओ कार्यालय में न्यायालय संबंधी कार्यों की जवाबदेही दी गयी थी. ये यहां 144, 107, 145 आदि संबंधी न्यायिक मामलों की सुनवाई करते थे. लेकिन, कर्तव्यहीनता के आरोप में जुलाई 2019 में इन्हें इस कार्य से मुक्त कर दिया गया. नवंबर 2019 तक ये अनुमंडल स्तर पर बननेवाले जाति, निवास, आय आदि प्रमाण पत्रों के कार्यों का निष्पादन करते थे.

लेकिन, नवंबर में ही इन्हें कर्तव्यहीनता के कारण यहां से भी हटा दिया गया और जिला में योगदान देने का निर्देश दिया गया. हालांकि, इन्होंने अप्रैल 2020 तक योगदान ही नहीं दिया. मई 2020 में इनके योगदान देने पर उपायुक्त ने इसे भी कर्तव्यहीनता मानते हुए छह महीने का वेतन काट लिया. फिलहाल ये गढ़वा समाहरणालय गेट पर कोरोना सुरक्षा को लेकर जांच अधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त हैं.

Posted by : Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें