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Jharkhand News: अब नहीं चलेगा मुख्यमंत्री प्रश्नकाल, दलबदल मामले में स्पीकर नहीं ले सकेंगे स्वत: संज्ञान

Jharkhand News: सदन में अब मुख्यमंत्री प्रश्नकाल नहीं चलेगा. विधायक नीतिगत मामले में पुरानी व्यवस्था के तहत नीतिगत सवाल नहीं पूछ पायेंगे. वहीं, अब राज्य सरकार के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के सरकारी सेवकों को प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ मिलेगा.

Jharkhand News: सदन में अब मुख्यमंत्री प्रश्नकाल नहीं चलेगा. विधायक नीतिगत मामले में पुरानी व्यवस्था के तहत नीतिगत सवाल नहीं पूछ पायेंगे. अब तक विधायक सत्र के दौरान हर सोमवार को मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के तहत सीधे मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछते थे. इसके साथ ही 10वीं अनुसूची की नियमावली में स्पीकर के स्वत: संज्ञान लेने के प्रावधान को भी हटा दिया गया है. लेकिन सदन के बाहर के लोग भी अब दलबदल मामले में शिकायत कर सकेंगे.

गुरुवार को विधानसभा प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली में संशोधन को सदन ने पारित किया. इसको लेकर सदन में विपक्ष ने हंगामा किया. इसके साथ ही दलबदल मामले में कार्य संचालन नियमावली में संशोधन किया गया है. इसके बाद अब स्पीकर के स्वत: संज्ञान लेने के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है. नियम समिति के सदस्य रहे विनोद सिंह के संशोधन को मान लिया गया़, जिसमें सदन के बाहर से भी कोई व्यक्ति किसी के दलबदल करने की शिकायत करा सकता है. अब शून्य काल के लिए 15 सूचनाओं की जगह अब हर दिन 25 विधायक शून्य काल की सूचना दे सकेंगे.

अब राज्य सरकार के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के सरकारी सेवकों को प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ मिलेगा. उन्हें मेरिट के मुताबिक इसका लाभ दिया जायेगा. यह स्पष्ट किया गया है कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को अनारक्षित रोस्टर में प्रोन्नति देने के लिए विचार किया जा सकता है, अगर वे अपनी योग्यता के आधार पर प्रोन्नति के पात्र हैं. यह भी प्रावधान किया गया है कि परिणामी वरीयता का सिद्धांत लागू किये जाने के क्रम में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा का उल्लंघन न हो.

अगर राज्य की सेवाअों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सेवकों का सेवाअों में प्रतिनिधित्व अपर्याप्त हो, तो इनके पक्ष में प्रोन्नति के मामलों में आरक्षण के लिए कोई प्रावधान करने से नहीं रोका जा सकेगा. पूर्व में सरकार द्वारा इस मामले के लिए बनी समिति का भी प्रतिवेदन राज्य में अनुसूचित जातियों और जनजातियों की राज्य सेवाअों में उनके प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता की पुष्टि करता है. यह भी रिपोर्ट दी गयी थी कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की प्रोन्नति में आरक्षण देने से प्रशासन की समग्र दक्षता प्रभावित या बाधित नहीं हुई है.

मामले में न्यायालय के आदेश के बाद समिति का गठन किया गया था. सारे रिपोर्ट के निष्कर्षों और मापदंडों को ध्यान में रख कर राज्य सरकार संतुष्ट हुई और प्रोन्नति के मामले में निष्कर्ष पर पहुंची. इसके तहत राज्य सेवाअों में आरक्षण नीति के आधार पर प्रोन्नत व्यक्तियों को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरीयता प्रदान करने के लिए बाध्यकारी कारण मौजूद हैं, ताकि एसटी और एससी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके.

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