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बिहार में बाढ़ से नुकसान को कम करेगा मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर, अब 5 दिन पहले ही मिल जाएगा अलर्ट

बरसात के 4 महीने बिहार के लिए बेहद चुनौती भरे होते हैं. बिहार के कई जिलों में मॉनसून के आते ही बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है. 2008 के कोसी प्रलय के बाद बिहार की नीतीश सरकार ने बाढ़ सुरक्षा के लिए कई प्रयोग किये हैं, जिसमें सरकार को काफी सफलता भी मिली है.

पटना. बरसात के 4 महीने बिहार के लिए बेहद चुनौती भरे होते हैं. बिहार के कई जिलों में मॉनसून के आते ही बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है. 2008 के कोसी प्रलय के बाद बिहार की नीतीश सरकार ने बाढ़ सुरक्षा के लिए कई प्रयोग किये हैं, जिसमें सरकार को काफी सफलता भी मिली है. इसी क्रम में बिहार सरकार ने मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर बनाया है, जिससे बाढ़ पूर्व जानकारियों को इकट्ठा किया जाता है.

बाढ़ से नुकसान को कम करने में सहायक होगा सेंटर

सुपौल के वीरपुर में बने मैथेमेटिकल माडलिंग सेंटर और फिजिकल माडलिंग सेंटर बाढ़ के प्रभाव को कम करने और कटाव को रोकने कारगर साबित होगा. आने वाले दिनों में बाढ़ सुरक्षा को लेकर इन दोनों संस्थाओं की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होगी. इसके साथ ही मैथेमेटिकल माडलिंग सेंटर द्वारा आंकड़ों के विश्लेषण के साथ-साथ नदियों के रूपात्मक अध्ययन और गाद नियंत्रण से संबंधित अध्ययन भी किया जा रहा है.

अब पांच दिनों का सटीक अनुमान संभव

जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख, मुख्यालय, रविंद्र शंकर ने कहा कि अभी बिहार की नदियों पर स्थित 38 स्थलों पर नियमित रूप से जलस्तर नोट किया जा रहा है. अभी इन आंकड़ों के आधार पर हम अगले तीन दिनों का सटीक पूर्वानुमान जारी कर रहे हैं, लेकिन मैथेमैटिकल मैडलिंग सेंटर नदियों में कितना पानी आने वाला है, इसकी जानकारी 5 दिन पहले देगा. उन्होंने कहा कि मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर के माध्यम से नदियों में बाढ़ आने की संभावना को 5 दिन पहले अलर्ट कराया जा सकेगा. इस सेंटर के माध्यम से नदियों में अलग-अलग जगहों पर वाटर लेवल कितना होगा, तटबंध पर कहा कहां दवाब पड़ सकता है.

मैथेमैटिकल मॉडलिंग सेंटर की खासियत

मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर को लेकर जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि नीतीश कुमार के द्वारा इसे स्थापित किया गया है. मॉनसून के दौरान नदियों की पूरी जानकारी इससे लोगों को मिल सकेगी. सबसे बड़ी बात है कि बाढ़ को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन बाढ़ पूर्व यदि जानकारी मिलती है तो जान माल के नुकसान बचाया जा सकता है. बाढ़ से बचाव के लिए बिहार की बड़ी 13 नदियों पर पर फोकस होता है, जिसमें 5 बड़ी नदियों जिनसे बाढ़ का खतरा है. उसका फोरकास्ट किया जाता है. गंगा, गंडक, बागमती, कोशी, महानंदा और इन नदियों के सभी सहायक नदी हैं.

पहले से अधिक हाईटेक

इस मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर को और हाईटेक बनाया गया है जिससे बिहार के नदियों की पूरी जानकारी 5 दिन पहले मिलेगी. इसके लिए बिहार 38 जगहों पर नदियों में रियल टाइम वाटर लेवल सिस्टम लगाया गया है, जबकि 52 जगहों पर ऑटोमेटिक रेनफॉल स्टेशन स्थापित किया गया है. एक विशेष पोर्टल भी बनाया गया है, जिस पर ऑन लाइन 24 घंटे जानकारी मिलती है.

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