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मजदूर संगठनों का देशव्यापी हड़ताल कल से, आज निकाला जाएगा मशाल जुलूस, जानें क्या होगा असर

28-29 मार्च को मजदूर संगठनों ने आम हड़ताल की घोषणा की है, केंद्र सरकार पर मजदूर विरोधी नीति विरोध करने हेतु ये हड़ताल बुलाया गया है. लेकिन भारतीय मजदूर संघ इसमें हिस्सा नहीं लेगा

रांची : मजदूर संगठनों ने 28-29 मार्च को आम हड़ताल की घोषणा की है. इसका असर सार्वजनिक उपक्रमों पर विशेष रूप से पड़ने का दावा किया जा रहा है. केंद्र सरकार पर मजदूर विरोधी नीति का आरोप लगाते हुए सीटू, एटक, एचएमएस व इंटक और उससे संबद्ध यूनियन ने आंदोलन की घोषणा की है. हालांकि भारतीय मजदूर संघ का आंदोलन को समर्थन नहीं है.

इधर, सार्वजनिक सेक्टरों के प्रबंधनों ने मजदूर संगठनों से हड़ताल पर नहीं जाने का आग्रह किया है. बैंक, कोयला सहित निजी सेक्टरों में भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. मजदूर संगठनों ने शनिवार को बताया कि विभिन्न सेक्टरों के करीब 60 लाख मजदूर आंदोलन में हिस्सा लेंगे.

वहीं कोयला, इस्पात, कॉपर, बॉक्साइट व माइका सेक्टर के चार लाख से ज्यादा मजदूर हड़ताल पर रहेंगे. लौह अयस्क खदान में भी इसका व्यापक असर पड़ने की संभावना है. संगठनों ने बताया कि राज्य के 10 लाख निर्माण कामगार, चार लाख परिवहन मजदूर के अलावा दो लाख से अधिक स्कीम वर्कर भी हड़ताल में शामिल होंगे. बैंक, इंश्योरेंस, पोस्टल आरएमएस के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहेंगे.

27 मार्च को पूरे राज्य में सैकड़ों जगह मशाल जुलूस निकाला जायेगा. किसान संगठनों ने भी हड़ताल को समर्थन दिया है. प्रेस वार्ता को सीटू के प्रकाश विप्लव, अनिर्वान बोस, एटक के पीके गांगुली, सच्चिदानंद मिश्र, एक्टू के शुभेंदु सेन, भुवनेश्वर केवट, इंटक के संजीव सिन्हा, एआइयूटीयूसी के मिंटू पासवान बेफी के एमएल सिंह, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के नवीन चौधरी ने संबोधित किया.

एचइसी प्रबंधन ने की अपील

एचइसी रांची के तीन श्रमिक संगठनों ने भी हड़ताल का आह्वान किया है. वहीं, एचइसी प्रबंधन ने कर्मियों से हड़ताल में शामिल नहीं होने की अपील की. प्रबंधन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि वर्तमान समय में एचइसी के समक्ष कई चुनौतियां हैं. इधर, हड़ताल में शामिल हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन, हटिया कामगार यूनियन व हटिया मजदूर यूनियन के नेताओं ने कर्मियों के साथ बैठक की.

सीसीएल ने हड़ताल नहीं करने का किया आग्रह

सीसीएल ने शनिवार को संयुक्त सलाहकार समिति के सदस्यों से हड़ताल पर नहीं जाने का आग्रह किया है. कहा कि हड़ताल का मुद्दा कोयला कर्मियों के जुड़ा नहीं है. हड़ताल से उत्पादन प्रभावित होगा. मजदूर संगठनों ने कहा कि यह राष्ट्रीय आह्वान पर आंदोलन हो रहा है. इसमें सीसीएल या कोयला कंपनियों से जुड़े मजदूर संगठन कुछ नहीं कर सकते हैं. बैठक में इंटक, एटक, सीटू और एचएमएस के प्रतिनिधि भी थे.

क्या-क्या है मजदूर संगठनों की मांग

  • मजदूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द हो.

  • किसानों के फसल के लिए एमएसपी की गारंटी.

  • निजीकरण पर रोक लगे.

  • आयकर के दायरे से बाहर रहनेवालों पर प्रतिमाह 7500 रुपये का भुगतान हो.

  • मनरेगा में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार हो.

  • असंगठित क्षेत्र के सभी कामगारों को सार्वभौमिक सुरक्षा दें.

  • पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी करें.

  • ठेका प्रथा व आउटसोर्सिंग बंद करें.

  • नयी पेंशन स्कीम रद्द हो.

बीएमएस नहीं लेगा हिस्सा

भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) दो दिवसीय हड़ताल में हिस्सा नहीं लेगा. महासंघ के महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने कहा है कि हड़ताल विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित है. यह आंदोलन सिर्फ उन राजनीतिक दलों के अस्तित्व को बचाने के लिए है. यदि मजदूरों की लड़ाई संयुक्त रूप से लड़ना हो, तो राजनीतिक प्रतिबद्धता त्याग एक गैर राजनीतिक संयुक्त अांदोलन की रूप रेखा तैयार करें.

Posted By: Sameer Oraon

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