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कुसुम योजना के तहत गढ़वा में गड़बड़झाला, बिना आवेदन करने वाले भी बने लाभुक, पढ़ें पूरा मामला…

Kusum Yojana : कृषि विभाग के बिचौलियों ने एक नया कारनामा पेश किया है़ जिन लोगों ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन जमा नहीं किया है, उन्हें भी लाभुक बना दिया गया, जबकि जो किसान योग्य थे, उन्हें प्रतीक्षा सूची से भी बाहर कर दिया गया. डीसी राजेश कुमार पाठक की ओर से कुसुम योजना में गड़बड़ी को लेकर गठित जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है़ इस रिपोर्ट में चौंकानेवाले तथ्य सामने आये हैं.

Kusum Yojana : गढ़वा (पीयूष तिवारी) : कृषि विभाग के बिचौलियों ने एक नया कारनामा पेश किया है़ जिन लोगों ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन जमा नहीं किया है, उन्हें भी लाभुक बना दिया गया, जबकि जो किसान योग्य थे, उन्हें प्रतीक्षा सूची से भी बाहर कर दिया गया. डीसी राजेश कुमार पाठक की ओर से कुसुम योजना में गड़बड़ी को लेकर गठित जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है़ इस रिपोर्ट में चौंकानेवाले तथ्य सामने आये हैं.

मालूम हो कि झारखंड अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (जेरेडा) की ओर से किसानों को सिंचाई के लिए 90 प्रतिशत अनुदान पर सोलर पंप दिये जाते हैं. इस योजना की जांच में चौंकानेवाला यह तथ्य सामने आया है कि जिन लोगों ने इस योजना के लिए आवेदन भी नहीं दिया है, उन्हें भी इसका लाभुक बनाते हुए योजना के लिए चयनित कर लिया गया है. अधिकारियों की जांच के दौरान ऐसे कई मामले सामने आये हैं. अपनी इन्हीं गड़बड़ी के लिए यह योजना करीब 2 सालों से सवालों के घेरे में थी तथा लंबित पड़ी हुई थी. इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ था. प्रभात खबर में गड़बड़ी की बात प्रमुखता से प्रकाशित की गयी थी.

2 सदस्यीय जांच टीम ने की पड़ताल

कुसुम योजना में गड़बड़ी को लेकर डीसी राजेश कुमार पाठक की ओर से 2 सदस्यीय जांच टीम गठित की गयी थी. इस 2 सदस्यीय जांच टीम में जिला पंचायती राज पदाधिकारी चंद्रजीत सिंह एवं जिला कल्याण पदाधिकारी सुभाष कुमार को शामिल किया गया था़ जांच टीम ने मामले की छानबीन के लिए मेराल प्रखंड के लाभुकों के कागजातों की गहनता से जांच की. कुसुम योजना के लिए मेराल प्रखंड से 41 लाभुकों का चयन किया गया था. जांच टीम ने अपनी जांच में पाया कि 41 चयनित लाभुकों में से 7 लाभुकों के आवेदन ही नहीं हैं, जबकि 20 लाभुकों ने तय मापदंड को पूरा भी नहीं किया है. इसके बावजूद उन्हें लाभुक बना दिया गया.

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जिन 7 लाभुकों का आवेदन जांच में नहीं पाया गया, उनमें से लखेगा गांव की चंद्रकांता देवी, बनुआं गांव निवासी चंद्रिका सिंह, रजहारा गांव निवासी कालीचरण बैठा, भैंरी निवासी मीना देवी, गोंदा निवासी विजय मेहता, गेरूआ निवासी अखिलेश चौधरी तथा अधौरा निवासी कामेश्वर महतो के नाम शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि यह सिर्फ एक प्रखंड का मामला है. यदि जिले के सभी प्रखंड के लाभुकों की जांच होगी, तो और भी इस तरह के मामले सामने आयेंगे.

इधर, आरोप के अनुसार कृषि विभाग के कुछ कर्मियों द्वारा फॉर्म भरने के बाद लाभुकों से चयन कराने के एवज में 25-25 हजार रुपये वसूले गये. इतना ही नहीं, जिन लोगों ने राशि नहीं दी, उनके नाम की अनुशंसा नहीं की गयी. भले ही उनलोगों ने सारे मापदंड पूरे किये थे. इस मामले को लेकर पिछले साल सांसद बीडी राम एवं तत्कालीन गढ़वा विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने 20 सूत्री कार्यक्रम एवं क्रियान्वयन समिति की बैठक में इस मामले को उठाया था. बीते अगस्त 2020 में लॉकडाउन के बाद चयनित लाभुकों को जेरेडा की ओर से उनकी हिस्सेदारी की 10 प्रतिशत राशि का ड्राफ्ट जमा करके भेजने संबंधित पत्र डीसी एवं कृषि विभाग को भेजी गयी थी. इस पत्र के आने के बाद पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सह गढ़वा विधायक मिथिलेश ठाकुर ने आपत्ति जतायी और इसकी जांच कराने के लिए डीसी को निर्देशित किया था.

गड़बड़ी सामने आयी है, कार्रवाई होगी : डीसी

इस संबंध में डीसी राजेश कुमार पाठक ने बताया कि इस योजना की जांच में गड़बड़ी सामने आयी है. योजना को रद्द करते हुए आगे की कार्रवाई की जायेगी. साथ ही दोषियों पर भी कार्रवाई जरूर होगी.

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क्या है कुसुम योजना

झारखंड अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (जेरेडा) की ओर से वित्तीय वर्ष 2019- 20 में गढ़वा जिले में इस योजना के तहत 400 लक्ष्य दिया गया था. इस योजना के तहत वैसे किसान जिनके पास अपना बोर या कूप है, उन्हें 90 प्रतिशत अनुदान पर इस योजना का लाभ दिया जाना था. इस योजना के तहत किसानों को सोलर पंप सेट दिये जाते हैं. इसकी लागत करीब 3 लाख रुपये की होती है, लेकिन लाभुकों को इसका सिर्फ 10 प्रतिशत ही देना होता है. ऐसे में इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन लक्ष्य से ज्यादा प्राप्त होते हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

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