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पटना: खुदा बख्श लाइब्रेरी को तोड़े जाने का विरोध तेज, पूर्व आईपीएस अधिकारी ने राष्ट्रपति को लौटाया पुलिस मेडल

बिहार की राजधानी पटना में कारगिल चौक से पीएमसीएच होते हुए एनआईटी मोड़ तक बनने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण में खुदाबख्श लाइब्रेरी के कुछ हिस्सों को तोड़े जाने की खबरों का विरोध अब तेज हो गया है. हालांकि अब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ है लेकिन सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया है.

बिहार की राजधानी पटना में कारगिल चौक से पीएमसीएच होते हुए एनआईटी मोड़ तक बनने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण में खुदाबख्श लाइब्रेरी के कुछ हिस्सों को तोड़े जाने की खबरों का विरोध अब तेज हो गया है. हालांकि अब तक जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ है लेकिन सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया है.

बिहार सरकार की योजना के खिलाफ पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने अपना पुलिस पदक राष्ट्रपति को लौटाने के संबंध में पत्र लिखा है. ये पत्र तेजी से वायरल हो रहा है. हालांकि प्रभात खबर इस पत्र की पुष्टि नहीं करता है.

वर्ष 1994 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे अमिताभ दास ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में कहा है-

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्ट ठेकेदारों और टेंडर माफिया के आदेश पर पटना की ऐतिहासिक खुदा बख्श लाइब्रेरी के कुछ हिस्सों को जमींदोज करने का फैसला किया है. खुदा बख्श लाइब्रेरी पूरी इंसानियत की विरासत है. हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की निशानी है. पूरा बिहार, इस पर गर्व करता है. एक पुस्तक-प्रेमी होने के नाते, मुझे सरकार के फैसले से गहरा सदमा लगा है. मैंने बरसों तक, एक I.P.S. अधिकारी के रूप में देश को अपनी सेवाएं दी है.नीतीश सरकार द्वारा पटना की खुदा बख्श लाइब्रेरी को जमींदोज करने के फैसले के खिलाफ, मैं भारत सरकार द्वारा प्रदत पुलिस पदक आपको लौटा रहा हूं. इससे पहले अमिताभ कुमार दास.

गौरतलब है कि प्रस्तावित योजना के मुताबिक, कारगिल चौक से पीएमसीएच होते हुए एनआईटी मोड़ तक बनने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण में खुदाबख्श लाइब्रेरी के 64 मीटर लंबे और पांच से छह मीटर चौड़े हिस्से का उपयोग एलिवेटेड कॉरिडोर के लिए किया जाना है. जिस हिस्से की जमीन का अधिग्रहण किया जाना है वह लाइब्रेरी के मुख्य भवन और नवनिर्मित बहुमंजिले भवन का हिस्सा नहीं है.

केवल कर्जन रीडिंग रूम के लगभग पांच गुना बारह मीटर हिस्से का अधिग्रहण होना है.साहित्यकारों और प्रबुद्ध लोगों द्वारा जब जमीन अधिग्रहण का विरोध शुरू किया गया तब पथ निर्माण विभाग के आला अधिकारियों ने स्थल निरीक्षण कर स्थिति की समीक्षा की है. जमीन का अधिग्रहण अब तक नहीं हुआ है.

Khuda Bakhsh Library History: खुदा बख्श लाइब्रेरी का इतिहास

पटना का खुदा बख्श लाइब्रेरी करीब 130 साल पुराना है. यूनेस्को द्वारा हेरिटेज बिल्डिंग घोषित खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी 1891 में खोला. तब अपनी तरह की ऐसी पहली लाइब्रेरी थी जिसमें आम लोग जा सकते थे. करीब 12 साल बाद भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन पटना में गंगा किनारे स्थित इस लाइब्रेरी का दौरा करने पहुंचे.

इसमें संग्रहित पांडुलिपियों को देखकर इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने इसके विकास के लिए धन उपलब्ध कराया. आभार जताने के लिए लाइब्रेरी की तरफ से 1905 में कर्जन रीडिंग हॉल की स्थापना की गई. तब से यह रीडिंग हॉल हमेशा चहल-पहल भरा रहा है, जहां आकर दुनियाभर के छात्र, विद्वान और शोधकर्ता अपने कैरियर को नया आयाम देने की कोशिश करते हैं.

Posted By: Utpal Kant

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