24.3 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

जयंती जनता एक्सप्रेस ने पूरे किये 50 साल, नाम बदलने के साथ ही खत्म हुई ट्रेन में डाइनिंग व लाइब्रेरी की सुविधा

आधुनिक सुविधाओं से लैस वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन की शुरुआत से लेकर अब तक रेलवे बोर्ड की सबसे महत्वपूर्ण ट्रेनों में से एक है. 80 के दशक में इस ट्रेन की तुलना राजधानी एक्सप्रेस से की जाती थी. शुरुआत से लेकर अब तक पूर्वोत्तर रेलवे की वैशाली एक्सप्रेस सबसे तेज ट्रेन मानी जाती है.

सहरसा. वर्तमान में सहरसा से नयी दिल्ली जा रही 12553/54 वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन सफर के 50 साल पूरे कर लिये हैं. आधुनिक सुविधाओं से लैस वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन की शुरुआत से लेकर अब तक रेलवे बोर्ड की सबसे महत्वपूर्ण ट्रेनों में से एक है. 80 के दशक में इस ट्रेन की तुलना राजधानी एक्सप्रेस से की जाती थी. शुरुआत से लेकर अब तक पूर्वोत्तर रेलवे की वैशाली एक्सप्रेस सबसे तेज ट्रेन मानी जाती है. शायद यही वजह है कि इस ट्रेन में लंबी वेटिंग लिस्ट हमेशा रहती है.

मुख्य बातें

  • इस ट्रेन के आगे राजधानी और शताब्दी भी थी फेल

  • सीता स्वयंवर पर आधारित था कोच का रंग और डिजाइन

  • आज सज धज कर नयी दिल्ली के लिए चलेगी ट्रेन

  • सहरसा आ सकते हैं समस्तीपुर डिवीजन के एडीआरएम

ललित नारायण मिश्र ने दिया था जयंती जनता नाम

पूर्व में वैशाली एक्सप्रेस का नाम जयंती जनता सुपरफास्ट ट्रेन था. 31 अक्तूबर 1973 को तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने जयंती जनता एक्सप्रेस को समस्तीपुर से हरी झंडी दिखाई थी. शुरुआत में यह ट्रेन समस्तीपुर से गोरखपुर होकर लखनऊ तक सप्ताह में 4 दिन चलती थी. दो जनवरी 1975 को इस ट्रेन का का विस्तार मुजफ्फरपुर तक किया गया. इसके बाद यह छपरा सिवान के रास्ते दिल्ली तक जाने लगी. बाद में इसका विस्तार समस्तीपुर व बरौनी तक कर दिया गया.

खान-पान के लिए लगाये गये थे डाइनिंग कार कोच

पूर्व में यह ट्रेन 153/154 नंबर से चलती थी. यह इस रूट की सबसे वीआइपी ट्रेन मानी जाती थी. पहली बार सबसे तेज ट्रेन में शामिल जयंती जनता एक्सप्रेस एसी व स्लीपर कोच से लैस थी. बाद में सामान्य कोच भी जोड़ा गया. सभी कोच भूरे रंग की थी. सीता स्वयंवर पर आधारित ट्रेन के सभी कोच अंदर और बाहर मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित थे. 16 जुलाई 1984 को यह ट्रेन प्रतिदिन चलने लगी. बाद में इसका विस्तार दिल्ली तक किया गया. ट्रेन में डाइनिंग और पुस्तकालय की भी सुविधा थी. यह पहली ट्रेन थी, जिसमें यात्रियों के खान-पान के लिए डाइनिंग कार कोच भी लगाये गये.

Also Read: खुल सकती है ललित नारायण मिश्र हत्याकांड की फाइल, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा- परिवार का करें सहयोग

कैसे नाम हुआ वैशाली एक्सप्रेस

खास बात यह है कि वर्ष 1970 में कटिहार, कानपुर, अनवरगंज, आगरा फोर्ट के लिए छोटी लाइन में वैशाली एक्सप्रेस के नाम से ट्रेन चलती थी. बाद में इस ट्रेन को बंद कर दिया गया. लखनऊ और कानपुर रूट पर इस ट्रेन को लाने के लिए जयंती जनता का नाम बदलकर वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन कर दिया गया. वैसे भारतीय रेलवे ने इस नाम पर मिटाया नहीं है. गाड़ी संख्या 16381 जो पुणे से कन्याकुमारी तक जाती है, उस ट्रेन का नाम आज की तारीख में जयंती जनता ही है. ऐसे में नाम और नंबर दोनों इस ट्रेन के अब अलग-अलग हो चुके हैं, सुविधाएं तो नाम बदलने के साथ ही खत्म कर दिये जा चुके हैं. आज की तारीख में वैशाली एक्सप्रेस एक आम ट्रेन बन कर रह गया है.

सज धरकर रवाना होगी वैशाली एक्सप्रेस

7 मार्च 2019 को बरौनी से वैशाली सुपरफास्ट का विस्तार सहरसा जंक्शन से किया गया था. तब से लेकर आज तक वैशाली एक्सप्रेस सहरसा-नई दिल्ली के बीच चलायी जा रही है. वैशाली एक्सप्रेस के 50 साल पूरे होने पर शुक्रवार को यह ट्रेन सज धज कर सहरसा से नई दिल्ली के लिए रवाना होगी. इस मौके पर समस्तीपुर डिवीजन के एडीआरएम के आने की भी संभावना है.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें