36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

झारखंड के इस गांव की सीमा में हाथियों के प्रवेश करते ही बजने लगेगा हूटर, विभाग ने मशीन लगाने का भेजा प्रस्ताव

विभाग के अधिकारियों के अनुसार मशीन हाथी प्रभावित गांव के प्रवेश करने वाले मार्ग पर लगायी जायेंगी. इससे हाथियों के जिले की सीमा व गांव के प्रवेश करने वाले मार्ग पर पहुंचते ही हूटर बजने लगेगा.

धनबाद, विक्की प्रसाद : धनबाद के ग्रामीण इलाकों के जंगलों में साल में छह महीने हाथियों का झुंड डेरा जमाये रहता है. भोजन की तलाश में झुंड गांव का रुख करता है. हाथी खेतों में लगे अनाज को नुकसान पहुंचाते हैं. वहीं जानमाल की क्षति भी करते हैं. इस समस्या से निबटने के लिए वन विभाग तकनीक की मदद लेगा. वन एवं पर्यावरण विभाग ने धनबाद के हाथी प्रभावित इलाकों में एनिमेडर मशीन लगाने का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा है. विभाग के अधिकारियों के अनुसार मशीन हाथी प्रभावित गांव के प्रवेश करने वाले मार्ग पर लगायी जायेंगी. इससे हाथियों के जिले की सीमा व गांव के प्रवेश करने वाले मार्ग पर पहुंचते ही हूटर बजने लगेगा. इससे आसपास के वन विभाग कार्यालय के अधिकारियों व कर्मियों को हाथी के उनके इलाके में प्रवेश की जानकारी मिल जायेगी.

सेंसर बतायेगा लोकेशन, ऑनलाइन होगी माॅनिटरिंग

एनिमेडर एक खास तरह की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है. इसका इस्तेमाल हाथी सहित अन्य पशुओं की गतिविधियों की जानकारी रखने में होता है. इस मशीन को जंगलों में स्थापित किया जाता है. मशीन में लगे खास तरह के सेंसर हाथी सहित अन्य जानवरों के गांव की सीमा में प्रवेश करने की जानकारी उपलब्ध कराते हैं. सेंसर के संपर्क में आते ही मशीन में लगा हूटर बजने लगता है. इससे पशुओं की गतिविधियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करना आसान हो जाता है. मशीन की खास बात यह है कि इसे सौर ऊर्जा से संचालित किया जाता है.

टुंडी के जंगलों में सबसे अधिक रहता है झुंड

हाथियों का यह झुंड टुंडी व पूर्वी टुंडी के जंगलों व पहाड़ों में सबसे अधिक समय तक (करीब छह माह तक) रहता है. टुंडी पहाड़ में कुछ समय बिताने के बाद झुंड पूर्वी टुंडी पहुंचता है. यहां से झिलुआ पहाड़ होते हुए बंगाल में कुछ समय रुकने के बाद हाथी जामताड़ा की ओर रुख करते हैं. वहां से दुमका, फिर गिरिडीह व पीरटांड़ होते हुए वापस टुंडी क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं. पिछले 10-12 सालों से हाथियों का झुंड तीन जिले में ही घूम रहा है. धनबाद से खदेड़ने पर झुंड जामताड़ा और वहां से निकालने पर गिरिडीह पहुंच जाता है.

टुंडी, पूर्वी टुंडी, तोपचांची समेत कई गांव हाथी प्रभावित हैं. घना जंगल होने के कारण झुंड की गतिविधियों पर नजर बनाने में परेशानी होती है. झुंड के लोकेशन की जानकारी नहीं होने के कारण हाथी आसानी से गांव में प्रवेश करते हैं. एनिमेडर मशीन से झुंड के सीमा में प्रवेश करने की जानकारी मिलेगी. वनकर्मी व ग्रामीणों को अलर्ट होने का मौका भी मिलेगा.

विकास पालीवाल, डीएफओ, धनबाद

Also Read: सौर ऊर्जा से रोशन होगा धनबाद का मेडिकल कॉलेज, 200 केवीए क्षमता का सोलर प्लांट लगाने की कवायद शुरू

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें