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हेरोइन के धंधे में एक बार फिर होने लगी हत्या

The heroin business has once again started flourishing in the district. A living example of this is that Ajay Singh of Bhedharia was murdered by businessmen in a heroin dispute.

रामगढ़. हेरोइन का धंधा एक बार फिर जिले में परवान चढ़ने लगा है. इसका जीता जागता उदाहरण है कि 10 दिनों पूर्व भेड़हरिया के अजय सिंह की हत्या हेरोइन के विवाद में धंधेबाजों ने कर दी. उक्त हत्या ने एक बार फिर 80 के दशक को याद दिला दिया है. इसी हेरोइन के कारोबार का मोहनिया 80 के दशक में राजधानी बन गया था. उस समय इसी हेरोइन के धंधे व लत ने न जाने कितने घरों का चिराग बुझा दिया था और कई घर भीख मांगने पर विवश हो गये. अब एक बार फिर हेरोइन का धंधा जिले में उसी तरफ आगे बढ़ रहा है. अगर इसकी रफ्तार को समय रहते पुलिस रोक नहीं पायी, तो अभी तो सिर्फ हेरोइन के विवाद में हत्या हुई है. इस जिले के युवा इस नशे के कब्जे में इस तरह आ जायेंगे कि लोगों का घर बार उजड़ने के साथ साथ कई लोग काल के गाल में भी समा जायेंगे. अभी हेरोइन का धंधा मोहनिया और रामगढ़ के ग्रामीण इलाकों में पैर पसार चुका है. आये दिन गांवों से हेरोइन बेचे जाने व तस्करी की शिकायत मिल रही है. बीते दिनों विभिन्न जगहों से हेरोइन की बरामदगी इस पर मुहर भी लगा रही है. अगर पुलिस हेरोइन के इस अंतरराज्यीय गिरोह को समय रहते निस्तेनाबुत नहीं किया, तो पुलिस व जिले के लोगों के लिए नासूर बन जायेगा. हेरोइन के धंधे में होने वाले बेहिसाब मुनाफे के कारण इस धंधे में धंधेबाजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. धंधेबाज एक बार फिर युवा वर्ग को इस नशे का आदि बनाने में जुट गये हैं. अजय सिंह रामगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में रहकर हेरोइन का धंधा कर रहा था. यह स्पष्ट रूप से बता रहा है कि हेरोइन का कारोबार गांवों तक फैल चुका है. सबसे बड़ी बात है कि अजय सिंह की हत्या में जिन लोगों का नाम आया है, उसमें दो लोग उत्तरप्रदेश के भी रहने वाले हैं जो यह बता रहा है कि हेरोइन के धंधे में अंतरराज्यीय लोग भी जुड़ गये हैं. सूबे में शराबबंदी सख्ती से लागू होने के बाद व शराब पर पुलिस की सख्त नजर को देखते हुए धंधेबाज हेरोइन को नशे के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर मोटा रकम कमाने की चाह रखने लगे हैं. मोहनिया और रामगढ़ के इलाके में बीते दिनों पकड़े गये हेरोइन और लगातार बढ़ रहा इसका दायरा जिलेवासियों के लिए खतरे की घंटी है. – तीन साल से हेरोइन का धंधा कर रहे अजय को क्यों नहीं पकड़ पायी पुलिस हेरोइन के धंधे में अजय की हत्या करनेवाले आरोपित ने बताया है कि अजय हेरोइन के धंधे में करीब तीन साल से सक्रिय था. हेरेाइन बेचने वाले व पीने वाले काफी लंबे समय से उसके पोल्ट्री फॉर्म से हेरोइन लेने के लिए आते रहते थे. इसके अलावा अरुण कुमार शर्मा ने अजय पर हेरोइन का धंधा करने की प्राथमिकी भी रामगढ़ थाने में दर्ज करायी थी. पुलिस का कहना है कि इस सूचना पर पुलिस द्वारा वहां छापेमारी की गयी थी. बड़ा सवाल यह है कि इतने लंबे समय से अजय हेरोइन का धंधा कर रहा था और पुलिस आज तक उसे गिरफ्तार नहीं कर पायी, यह पुलिस की कार्यशैली पर स्पष्ट रूप से सवाल खड़ा कर रहा है. इससे भी बड़ी बात यह है कि पुलिस का सूचना तंत्र इतना विफल है कि उसके अपने गुप्तचरों ने अजय के काले धंधेे की सूचना थाने को नहीं दी और जब अरुण कुमार शर्मा ने अजय के हेरोइन के कारोबार का थाने में लिखित सूचना दे दी और उसके बाद भी पुलिस के द्वारा उसे नहीं पकड़ा जाना पुलिस की विफलता का एक बड़ा उदाहरण है. – सफेद जहर के बड़े सौदागरों पर पुलिस की नजर नहीं दरअसल, 20 वर्षों बाद एक बार फिर रामगढ़ व नुआंव में हेरोइन के तस्कर तेजी से अपना पांव पसारते देखे जा रहे हैं. दो प्रखंड के दर्जनों गांवों के युवा अहले सुबह बाजार पहुंच हेरोइन की खरीद कर झाड़ियों में नशे के कश लेते देखने को मिल जायेंगे. अपने नशे की पूर्ति करने के लिए युवा पहले घरों में छोटी-मोटी चोरियों करते है. पूर्ति नहीं होने पर बाजार की दुकानों पर भी हाथ साफ करते है. आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले कुछ वर्षों से रामगढ़ व नुआंव के गांवों में हेरोइन की तस्करी तेजी से फलते फूलते दिख रही हैं. कैमूर के तस्करों को यूपी, पंजाब व सूबे की राजधानी पटना में करोड़ों की हेरोइन के साथ एनसीबी पटना व अन्य राज्यों की पुलिस इन्हें गिरफ्तार करती है. जबकि, वर्षों से कारोबार कर रहे तस्करों ऊपर स्थानीय पुलिस की नजर क्यों नहीं जाती. पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर डाले तो कुल चार बड़े हेरोइन की बरामदगी में पटना, यूपी के चंदौली व पंजाब पुलिस ने अलग अलग जगहों से कुल चार बड़े ऑपरेशन में कैमूर के पांच सहित आठ तस्करों को करोड़ों रुपये की हेरोइन के साथ जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम किया है. किंतु इसे इत्तेफाक कहे या स्थानीय पुलिस की नाकामी सफेद जहर नशे के इन बड़े सौदागरों पर स्थानीय पुलिस की नजर नहीं गयी. # हेरोइन तस्करी के मामले केस-1: वर्ष 2021 के जुलाई माह में नारकोटिक्स विभाग की पटना टीम ने औरंगाबाद-पटना हाइवे पर कनपा पुल के पास दो तस्करों को पेडलर व रिसीवर एक अकोल्ही जबकि दूसरा पटना के रहने वाले को 280 ग्राम हेरोइन, 9 किलो ब्लैक स्टोन, 255 ग्राम एलाप्रोजोलम, चार लाख 75 हजार नकद, एक पिस्टल के साथ दो लग्जरी कार बरामद किया गया था. केस-2 : वर्ष 2022 के 25 फरवरी को पंजाब के रास्ते जालंधर जा रहे कार से चार किलो अफीम के साथ तीन लोगों को खन्ना थाना क्षेत्र में वाहन जांच के दौरान पकड़ा था. इसमे एक देवहलिया व दो झारखंड के रहने वाले युगल जोड़ी को अफीम के साथ गिरफ्तार करते हुए पुलिस ने कार को जब्त कर आरोपितों को जेल भेजा था. केस-3 : वर्ष 2022 बीते 21 सितंबर को मोहनिया से 515 ग्राम लगभग 50 लाख रुपये की हेरोइन की खेप लेकर बाइक से सैदपुर, गाजीपुर हेरोइन की खेप लेकर जा रहे दो तस्करों को यूपी चंदौली की स्वाट टीम ने धीना थाना क्षेत्र के कपसिया तिराहे से गिरफ्तार किया. पकड़े गये लोगों में एक मोहनिया शहबाजपुर, जबकि दूसरा नुआंव थाना क्षेत्र के बिंदपुरवा गांव का रहने वाला आरोपी तस्कर था. केस-4 : वर्ष 2022 में 16 अक्टूबर को चंदौली कप्तान के निर्देश पर स्वाट टीम ने थाना क्षेत्र के कपसिया तिराहे के पास से हेलमेट में छिपाकर ले जा रहे 46 लाख की 462 ग्राम हेरोइन के साथ नुआंव थाना क्षेत्र के जैतपुरा गांव के रहने वाले एक युवक को गिरफ्तार किया. पुलिसिया पूछताछ में उसने हेरोइन की खेप को गाजीपुर से लाकर चंदौली थाना क्षेत्र के विभिन्न शहरों में फूटकर हेरोइन बेचने की बात बतायी है. – क्या कहते हैं एसपी एसपी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि पुलिस हेरोइन के धंधेबाजों पर कार्रवाई को लेकर काफी गंभीर है और इसका नतीजा है कि पिछले महीनों में लगातार हेरोइन की बरामदगी और धंधेबाजों को पकड़ा गया है. जहां तक अजय की बात है तो अजय के यहां भी पुलिस कई बार छापेमारी की है, लेकिन दुर्भाग्य वश हेरोइन की बरामदगी नहीं हो सकी. हेरोइन को लेकर पुलिस आगे भी और गंभीरता से कार्रवाई करेगी.

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