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बिहार में सूखे से निबटने को सरकार तैयार, वैकल्पिक कृषि के तहत होगी इन 17 फसलों की खेती

पहले से ही वैकल्पिक फसल के तहत आने वाली फसलों के बीज का स्टॉक किया गया है. खाद की उपलब्धता खंगाली गयी है. वहीं, आकस्मिक फसल योजना के तहत इसके लिए 50 करोड़ रुपया सुरक्षित रखा गया है. सूखे से किसानों को उबारने की पहली कड़ी में सरकार डीजल अनुदान दे रही है.

मनोज कुमार, पटना. राज्य में कम बारिश होनेे के कारण धान की खेती प्रभावित हो गयी है. अब तक केवल 49 फीसदी ही धान की रोपनी हुई है. अब तक 442.3 एमएम बारिश होनी चाहिए थी, जिसमें मात्र 242.2 मिली मीटर ही वर्षा हुई है. 28 जुलाई से बारिश की संभावना थी. इसके बाद धान की खेती में सुधार की गुंजाइश बतायी गयी थी. मगर, 28 व 29 जुलाई को बारिश न के बराबर हुई है. 30 को शाम तक बारिश नहीं हुई थी. इस कारण अब राज्य में सूखे की स्थिति से निपटने की तैयारी शुरू कर दी गयी है. अब वैकल्पिक खेती पर कृषि विभाग की पहल शुरू हो गयी है.

17 तरह की वैकल्पिक फसलों की खेती पर जोर

राज्य के सभी जिला कृषि पदाधिकारी (डीएओ) को इसे लेकर सचेत कर दिया गया है. 17 तरह की वैकल्पिक फसलों की खेती पर जोर देने का निर्देश दिया गया है. पहले से ही वैकल्पिक फसल के तहत आने वाली फसलों के बीज का स्टॉक किया गया है. खाद की उपलब्धता खंगाली गयी है. वहीं, आकस्मिक फसल योजना के तहत इसके लिए 50 करोड़ रुपया सुरक्षित रखा गया है. सूखे से किसानों को उबारने की पहली कड़ी में सरकार डीजल अनुदान दे रही है. डीजल अनुदान पर सरकार 150 करोड़ रुपये खर्च करेगी.

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41 हजार 264 क्विंटल बीज किया गया स्टॉक

15 अगस्त तक बिहार के कई जिलों में धान की रोपनी होती है. इस कारण कृषि विभाग 15 अगस्त तक बारिश का इंतजार कर रहा है. इसके बाद वैकल्पिक खेती के तहत आने वाली फसलों का बीज किसानों के बीच वितरित करना शुरू कर दिया जायेगा. इसके लिए 41 हजार 264 क्विंटल बीज कृषि विभाग ने मंगा कर रख लिया है. केंद्र सरकार से और बीज की डिमांड की गयी है.

इन वैकल्पिक फसलों की होगी खेती

शॉर्ट टर्म धान, संकर मक्का, अरहर, उड़द, तोरिया, सरसों, मटर, भिंडी, मूली, कुल्थी, मड़ुआ, सांवा, कोदो, ज्वार, बरसीम की खेती वैकल्पिक तौर पर की जायेगी. आकस्मिक फसल योजना के तहत किसानों को इन फसलों का बीज दिया जायेगा. इसके लिए पूर्व से 50 करोड़ रुपये की राशि सुरक्षित रखी गयी है.

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कुल जरूरत का 62 फीसदी यूरिया ही उपलब्ध

राज्य में अभी धान की खेती काफी प्रभावित हुई है. इस कारण खाद की अभी उतनी जरूरत नहीं पड़ रही है. मगर, जैसे ही वैकल्पिक खेती शुरू होगी. खाद की डिमांड बढ़ जायेगी. राज्य में अभी कुल जरूरत का 62 फीसदी ही यूरिया उपलब्ध है. इसमें डीएपी कुल आवश्यकता का 60 प्रतिशत, एनपीके कुल आवश्यकता का 59 फीसदी तथा एमओपी कुल आवश्यकता का 19 प्रतिशत ही उपलब्ध है.

अब तक 17 लाख 69 हजार हेक्टेयर में ही हुई धान की रोपनी

राज्यभर में 35,97,595 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जानी है. इसमें अब तक 17,69,688 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हुई है. 21 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार, सहरसा प्रमंडल में सबसे अधिक 85 फीसदी तथा भागलपुर प्रमंडल में सबसे कम चार प्रतिशत ही धान की रोपनी हुई थी. मगध में 9, मुंगेर में 13 और पटना में 30 फीसदी धान की रोपनी हुई थी. दरभंगा में 45, तिरहुत में 65, सारण में 50 तथा पूर्णिया में 80 फीसदी धान की रोपनी हुई थी. सीतामढ़ी, शिवहर, पश्चिमी व पूर्वी चंपारण में सबसे कम बारिश हुई थी. वहीं, राज्य में सौ फीसदी धान के बिचड़े डाले जा चुके हैं. कृषि विभाग के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में इस साल अधिक ही धान की रोपनी हुई है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अभी सूखा तो नहीं है. मगर, सूखे से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है.

90 फीसदी से अधिक बिचड़े डाले गये

राज्य के सभी प्रमंडलों में निर्धारित एरिया में धान के बिचड़े डाल दिये गये हैं. पटना प्रमंडल में 97%, मगध में 89, सारण में 99, तिरहुत में 98, दरभंगा में 97, मुंगेर में 95, भागलपुर में 95, सहरसा में 98 तथा पूर्णिया में 97 फीसदी खेतों में धान के बिचड़े डाले जा चुके हैं.

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