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दूर होगी इलेक्ट्रॉनिक चिप से जुड़ी वैश्विक समस्या, केंद्र सरकार ने उठाया यह कदम

सरकार घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के साथ ही वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक चिप कंपनियों को देश में आकर्षित करने के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन नीति लाने की योजना बना रही है.

सरकार घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के साथ ही वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक चिप कंपनियों को देश में आकर्षित करने के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन नीति लाने की योजना बना रही है.

एक आधिकारिक सूत्र ने यह जानकारी दी. क्वालकॉम, इंटेल, मीडियाटेक, इंफिनियॉन और टेक्सस इंस्ट्रूमेंट्स जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियों के भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र हैं, जो उनके चिप के विकास में योगदान करते हैं.

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आधिकारिक सूत्र ने बताया कि सरकार सेमीकंडक्टर डिजाइन से जुड़ी एक नयी प्रोत्साहन योजना पर विचार कर रही है, जिसमें भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमइ) और स्टार्टअप के लिए वित्तीय और बुनियादी ढांचा सहायता देने की बात है. जब ये स्टार्टअप चिप का उत्पादन और बाजार में बिक्री शुरू करेंगे, तो उन्हें अपने शुद्ध बिक्री कारोबार पर योजना के तहत अतिरिक्त प्रोत्साहन भी दिया जायेगा.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने पिछले हफ्ते कहा था कि सरकार इस खंड में भारत के नीति के मसौदे पर चर्चा करने के लिए नवंबर में सेमीकंडक्टर कंपनियों का एक सम्मेलन आयोजित करेगी. उद्योग संगठन इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के चेयरमैन राजीव खुशु ने कहा कि यह एक बड़ी पहल है, जो सेमीकंडक्टर डिजाइन के क्षेत्र में भारत की ताकत से लाभान्वित होगी. दुनिया की इलेक्ट्रॉनिक चिप कंपनियों को आकर्षित करने की पहल

टाटा समूह भी आया है आगे

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने सेमीकंडक्टर संकट को देखते हुए अगस्त के महीने में घोषणा की थी कि समूह सेमीकंडक्टर उद्योग में महत्वपूर्ण पुर्जों के निर्माण पर विचार कर रहा है. समूह का ऑटो कारोबार खुद सेमीकंडक्टर की कमी का सामना कर रहा है.

यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि घट कर 11-13% रहेगी
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चिप की कमी से चालू वित्त वर्ष में यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि घट कर 11 से 13 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पहले इसमें 16-17 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था. क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन में कमी के बीच इंतजार की अवधि बढ़ने के कारण उद्योग में सुधार की रफ्तार धीमी हो रही है.

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