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मूल्यांकन के लिए माध्यमिक बोर्ड की नयी प्रणाली से सहमत नहीं हैं इग्जामिनर

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से परीक्षा की उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए नयी पद्धति शुरू की गयी है. परीक्षार्थियों द्वारा दुबारा अंकों की जांच करवाये जाने एवं आरटीआइ के तहत होने वाले मामलों से बचने के लिए बोर्ड ने इस बार इग्जामिनर्स के लिए नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं.

कोलकाता : माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से परीक्षा की उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए नयी पद्धति शुरू की गयी है. परीक्षार्थियों द्वारा दुबारा अंकों की जांच करवाये जाने एवं आरटीआइ के तहत होने वाले मामलों से बचने के लिए बोर्ड ने इस बार इग्जामिनर्स के लिए नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं.

परीक्षाएं 27 फरवरी को समाप्त हो चुकी हैं. उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का काम छह मार्च से शुरू होगा. यह पहली बार है, जब बोर्ड द्वारा परीक्षकों को उत्तर के लिए पूरे अंक नहीं दिये जाने का कारण उत्तर-पुस्तिका में लिखित रूप से देने का निर्देश दिया गया है. बोर्ड के इस नये निर्देश से एक्जामिनर व हेडमास्टर सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि अगर प्रत्येक आंसर शीट में इग्जामिनर्स को अंकों का विवरण देना होगा तो इससे उन पर अतिरिक्त कार्यभार बढ़ेगा. कॉपियां समय पर चेक नहीं हो पायेंगी, जिससे हेड इग्जामिनर्स को भी स्क्रूटनी करने में परेशानी होगी. इस विषय में रानी रासमणि हाइ स्कूल (एचएस) के हेडमास्टर डॉ सैयद मोहसिन इमाम ने कहा कि इस नियम से इग्जामिनर्स का काम बढ़ेगा. सभी आंसर शीट में अंकों का विवरण देना आसान नहीं है.

इससे मूल्यांकन प्रक्रिया में गलतियां हो सकती हैं. हावड़ा के स्कूल के एक हेडमास्टर का कहना है कि इग्जामिनर्स पर समय पर कॉपियां चेक कर जमा देने का दायित्व होता है. अंको का विवरण या कम अंक देने का कारण लिखने का यह नियम इग्जामिनर्स पर अतिरिक्त बोझ बढ़ायेगा. उल्लेखनीय है कि लंबे उत्तर वाले प्रश्नों को माध्यमिक के सभी विषयों से हटा दिया गया है. कई प्रश्नों को विभिन्न भागों में बांटा गया है. प्रत्येक हिस्से के लिए निर्धारित अंकों का उल्लेख किया गया है.

परीक्षार्थियों को उत्तर के प्रत्येक हिस्से के लिए जरूरी प्वाइंटस का विवरण देना होगा. उत्तर में सभी जरूरी प्वाइंटस का विवरण छात्रों द्वारा दिया गया है तो परीक्षकों को भी पूरे अंक देने होंगे. बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली का कहना है कि गत वर्ष यह देखा गया कि परीक्षक द्वारा उत्तर को सही का टिक तो लगाया गया लेकिन पूरे अंक नहीं दिये गये. अंकों के मामले में संदेह होने पर प्रति वर्ष छात्र फिर से मूल्यांकन के लिए आवेदन करते हैं. इस बार बोर्ड द्वारा जारी निर्देश में परीक्षकों को यह स्पष्ट करना होगा कि पूरे अंक क्यों नहीं दिये गये हैं. इससे आरटीआइ के जरिये मामले दर्ज करने की नाैबत नहीं आयेगी. साथ ही विद्यार्थियों की शंका भी दूर हो जायेगी.

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