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डोकलाम पर भूटान के PM के बयान से बढ़ी भारत की टेंशन! जानिए क्या है इसके सियासी मायने

Doklam में भारत और चीनी सैनिकों के आमने-सामने होने के छह साल बाद भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि बीजिंग का उच्च ऊंचाई वाले पठार पर विवाद का समाधान खोजने में समान अधिकार है, जिस पर भारत का मानना है कि चीन द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है.

Doklam Standoff: डोकलाम में भारत और चीनी सैनिकों के आमने-सामने होने के छह साल बाद भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि बीजिंग का उच्च ऊंचाई वाले पठार पर विवाद का समाधान खोजने में समान अधिकार है, जिस पर भारत का मानना है कि चीन द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है. बेल्जियम के दैनिक ला लिब्रे के साथ एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने कहा, समस्या को हल करना अकेले भूटान पर निर्भर नहीं है. हम तीन देश हैं और कोई बड़ा या छोटा नहीं है, सभी समान हैं. ऐसे में प्रत्येक का हिस्सा एक तिहाई का है. अभी तक सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर बताया गया था कि चीन ने भूटान की सीमा के अंदर 10 गांव बसा लिए हैं.

भूटान के पीएम का बयान भारत के लिए झटका क्यों?

सीमा विवाद का हल खोजने में चीन की हिस्सेदारी का दावा भारत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. भारत का मानना है, चीन ने इस इलाके में अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है. शुरू से ही भारत डोकलाम में चीनी घुसपैठ का विरोध करता रहा है. डोकलाम रणनीतिक तौर पर संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब है और यह भूमि का वह संकरा भाग है, जो भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों को शेष देश से अलग करता है. चीन की रणनीति युद्ध के समय सिलीगुड़ी कॉरिडोर को बंद कर भारत का संपर्क पूर्वोत्तर से काटना है. इसी के मद्देनजर चीन डोकलाम के इलाके में ज्यादा से ज्यादा अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है. चीन ने इस इलाके में कई सड़कें भी बना रखी हैं.

डोकलाम पर भूटान अब समझौता करने को तैयार

वहीं, अब भूटान के प्रधानमंत्री का कहना है कि हम समझौता के लिए तैयार हैं. अन्य दोनों देश भारत और चीन जैसे ही तैयार होंगे, हम चर्चा कर सकते हैं. इसे एक संकेत माना जा रहा है कि भूटान-चीन और भारत के बीच विवादित क्षेत्र डोकलाम पर बातचीत करने के लिए थिंपू तैयार है. भूटान के प्रधानमंत्री का यह बयान 2019 में उनके बयान के ठीक उलट है, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी पक्ष को तीनों देशों के मौजूदा ट्राइजंक्शन पाइंट के पास एकतरफा कुछ भी नहीं करना चाहिए. दशकों से वह ट्राइजंक्शन पाइंट दुनिया के नक्शे में बटांग ला नाम के स्थान पर स्थित है. चीन की चुम्बी घाटी बटांग ला के उत्तर में है. वहीं, भूटान दक्षिण-पूर्व में और भारत पश्चिम में स्थित है.

जानिए भारत के लिए डोकलाम क्यों जरूरी

चीन का कहना है कि ट्राइजंक्शन को बटांग ला से लगभग सात किलोमीटर दक्षिण में माउंट जिपमोची नाम की चोटी पर स्थानांतरित किया जाए. अगर ऐसा होता है तो पूरा डोकलाम पठार कानूनी रूप से चीन का हिस्सा बन जाएगा, जिस भारत द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा. 2017 में भारत और चीन के सैनिक दो महीनों तक इस इलाके में आमने सामने थे. उस दौरान भारतीय सैनिकों ने डोकलाम पठार में चीन को एक सड़क बनाने से रोक दिया था. यह सड़क अवैध रूप से माउंट गिपमोची को एक झम्फेरी नाम की चोटी से जोड़ता था. भारतीय सेना का मानना है कि चीनी सेना को झम्फेरी पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी सा सकती है. दरअसल, इससे उन्हें सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर नजर रखने में सहायता मिलेगी.

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