29.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

बिहार: सबूत के अभाव में छूट जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपी, 4644 मामलों में से मात्र 119 में जुर्माना या सजा

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा दर्ज कुल मामलों में से 8% मामलों में आरोपितों पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य का अभाव है. इनमें अधिकांश मामले सार्वजनिक प्राधिकार के दुरुपयोग से संबंधित हैं.

पटना. घूसखोरी, आय से अधिक संपत्ति जमा करने या सार्वजनिक प्राधिकार का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ होने वाली निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कार्रवाई अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे मामलों में ट्रैपिंग या छापेमारी के बाद एफआइआर तो दर्ज हो रही है, लेकिन सजा नहीं मिल पा रही है. सबूत के अभाव में कोर्ट में दर्ज होने वाले केस कमजोर पड़ जा रहे हैं. निगरानी विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक 2007 से अब तक दर्ज 4644 मामलों में से मात्र 119 मामलों में ही कोर्ट के स्तर से जुर्माना या सजा सुनायी गयी है. इन आरोपितों को अधिकतम दस साल से लेकर न्यूनतम दो साल की सजा दी गयी. कई की संपत्ति जब्ती का आदेश पारित हुआ.

मुकदमा चलाने के लिए अपर्याप्त साक्ष्य

विभाग ने स्वीकार किया है कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा दर्ज कुल मामलों में से 8% मामलों में आरोपितों पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य का अभाव है. इनमें अधिकांश मामले सार्वजनिक प्राधिकार के दुरुपयोग से संबंधित हैं. प्राथमिक जांच के दौरान कांड से जुड़े लोगों को आरोपी बना दिया जाता है, लेकिन ब्यूरो न्यायालय में उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं दे पाती, जिससे केस कमजोर पड़ जाता है. इससे आरोपियों को बचने का मौका मिल जाता है.

मगध विवि के पूर्व कुलपति सहित विवि के डेढ़ दर्जन प्राचार्यों पर दर्ज अनियमितता के मामले से लेकर मुजफ्फरपुर, सासाराम और पटना के नगर निकायों के वार्ड पार्षदों द्वारा गड़बड़ी किये जाने और कई डीडीसी व डीआरडीए निदेशकों पर गड़बड़ी के लगे आरोपों के मामले में निगरानी पर्याप्त साक्ष्य का अभाव बता रही है. इससे देर-सबेर उनको इन केस से राहत मिलने की पूरी संभावना है.

Also Read: बिहार में 15 साल में 45 IAS-IPS सहित अन्य कर्मियों की निगरानी विभाग ने की ट्रैपिंग, 17 में ही हो सकी चार्जशीट
अनुसंधान लंबा खिंचने से टर्म पूरा कर रिटायर हो रहे लोकसेवक

निगरानी केसों का अनुसंधान लंबा खींचने से कई लोकसेवक अपना टर्म पूरा कर रिटायर हो चुके हैं. करीब तीन दर्जन आरोपियों की मृत्यु भी हो चुकी है. अधिकांश कार्रवाई विभागीय कार्यवाही के बीच अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं. निजी कर्मियों के मामले में पर्याप्त सबूत का अभाव होने से उन पर किसी तरह की कार्रवाई संभव नहीं हो पाती

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें