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कोल इंडिया : एक साल में कम हुआ 10349 मैन पावर

कोल इंडिया : एक साल में कम हुआ 10349 मैन पावर

बेरमो. कोल इंडिया का मैन पावर घटता जा रहा है. वर्ष 1971 में कोकिंग कोल तथा 1972-73 में नन-कोकिंग कोल का दो चरणों में हुए कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के वक्त इसका मैन पावर साढ़े सात लाख से भी ज्यादा था. वर्तमान में दो लाख 28 हजार 861 रह गया है. हर साल 10-15 हजार मैन पावर घट रहा है. पिछले पांच वर्ष के दरम्यान करीब 75 हजार मैन पावर घटा है. आने वाले वर्ष 2030 तक कोल इंडिया का मैन पावर मुश्किल से एक-सवा लाख रह जायेगा. पिछले एक साल के दरम्यान कोल इंडिया का मैन पावर 10,349 कम हुआ है. एक अप्रैल 2023 तक मैन पावर 2,39,210 था. एक अप्रैल 2024 को 2,28,861 रह गया. इसमें पुरुष कर्मियों की संख्या 209440 तथा महिला कर्मियों की संख्या 19421 है. पूरे कोल इंडिया में एक्जक्यूटिव 15777, मंथली रेटेड 52325, डेली रेटेड 160752 तथा पी रेटेड 06 हैं.

एक तरफ देश के इस बड़े पब्लिक सेक्टर में मैन पावर घटता जा रहा है, वहीं नयी बहाली उस तुलना में नहीं हो पा रही है. आज भी कोयला उद्योग में माइनिंग स्टाफ की काफी कमी है. स्वीपरों की बहाली 90 के दशक से बंद है. अब कोल इंडिया में कोयला उत्पादन की जिम्मेवारी 70-80 फीसदी ठेका मजदूरों पर निर्भर रह गयी है.

कोल इंडिया का साल दर साल घटता मैन पावर

वर्ष मैन पावर

2010 4047442011 3902432012 3774472013 3647362014 3522822016 3260322017 3138292018 3027852019 2854792020 2724452021 2590162022 2485502023 (01.04.2023 तक) 2392102024 (01.04.2024 तक) 228861एक अप्रैल 2024 तक कोल इंडिया का मैन पावरकंपनी मैन पावरइसीएल 48711बीसीसीएल 33920सीसीएल 33990डब्ल्यूसीएल 33352एसइसीएल 39528एमसीएल 21493एनसीएल 13770एनइसी 585सीएमपीडीआइ 2751डीसीसी 113साआइएल (हेडक्वार्टर) 648पिछले एक साल में किस कंपनी में कितना मैन पावर घटाइसीएल 2363बीसीसीएल 3117सीसीएल 985डब्ल्यूसीएल 1038एसइसीएल 2304एमसीएल 334एनसीएल 17एनइसी 82सीएमपीडीआइ 104डीसीसी 20साआइएल (हेडक्वार्टर) 19दो दशक में ठेका मजदूरों की संख्या बढ़ीकोयला उद्योग में वर्तमान में कोयला उत्पादन बढ़ाने में आउटसोर्स के ठेका मजदूरों की भी अहम भूमिका है. 70-80 फीसदी कोयला उत्पादन ठेका मजदूर कर रहे हैं. हालांकि राष्ट्रीकरण के बाद भी कोल इंडिया में छोटा-छोटा काम कांट्रेक्ट के माध्यम से होता था. कोल डिस्पैच का काम भी पहले ठेकेदारी द्वारा ही किया जाता था. पहले फेस से नही़ बल्कि पिट से ही कोयला की ट्रांसपोटिंग होती थी. बंकर से कोयला वाशरी तथा रेलवे साइडिंग जाता था. रेलवे साइडिंग भी पूरी तरह पहले मैनुअल था.

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