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Thursday, March 28, 2024

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चंदा कर फुटबॉल खिलाड़ियों को तराश रहे कोच आनंद, 10 से अधिक खिलाड़ियों को किया तैयार, लेकिन खुद बेसहारा

कोच आनंद गोप के ठोस प्रशिक्षण का ही परिणाम है कि यहां की खिलाड़ियों ने हमेशा झारखंड टीम का प्रतिनिधित्व किया. वर्तमान में भी दो खिलाड़ी अनिता कुमारी और नीतू लिंडा फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप के लिए चयनित भारतीय महिला फुटबॉल टीम की सदस्य हैं.

दिवाकर सिंह, रांची: कांके के चारीहुजीर गांव का मैदान. यहां रोज 200 से 250 लड़िकयां और बच्चियां मैदान में फुटबॉल सीखने के लिए पसीना बहाती हैं. इनकी ट्रेनिंग पर कोच आनंद गोप की बारीक नजर रहती है. उनकी हर छोटी-छोटी गलती को इंगित कर उन्हें सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनाने की जुगत में कोच आनंद लगे रहते हैं. वह खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए चंदा कर पैसे जुटाते हैं. यह संघर्ष नौ साल से जारी है, जिसका सकारात्मक प्रतिफल भी मिला है. इनसे प्रशिक्षित 10 खिलाड़ी राष्ट्रीय फुटबाॅल प्रतियोगिता में खेल चुकी हैं.

गांव की भी तीन से चार लड़कियां इनसे प्रशिक्षण लेती हैं. इनके ठोस प्रशिक्षण का ही परिणाम है कि यहां की खिलाड़ियों ने हमेशा झारखंड टीम का प्रतिनिधित्व किया. वर्तमान में भी दो खिलाड़ी अनिता कुमारी और नीतू लिंडा फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप के लिए चयनित भारतीय महिला फुटबॉल टीम की सदस्य हैं.

लेकिन अगर सम्मान की बात करें, तो खिलाड़ियों को शीर्ष तक पहुंचानेवाले कोच आनंद गोप खुद ही गुमनाम हैं. इन्होंने चारीहुजीर में फुटबॉल सेंटर खुलवाने की कई बार कोशिश की, लेकिन न सफलता मिली और न ही सरकारी मदद. अब जब इनसे प्रशिक्षित खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलनेवाली हैं, तब भी स्थिति ऐसी है कि इन्हें एनआइएस की कोचिंग के लिए भी कर्ज लेना पड़ा.

10 से अधिक खिलाड़ियों को किया तैयार, खुद बेसहारा

कोच आनंद गोप खुद भी फुटबॉलर रह चुके हैं. इनसे प्रशिक्षित 10 खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेल चुकी हैं. जिनमें अंशु कच्छप, विभा कुमारी, संध्या टोप्पो, प्रियंका कच्छप, सोनी मुंडा, लक्ष्मी कुमारी, प्रिया, शीतल टोप्पो, नेहा कुमारी और पुष्पा कुमारी शामिल हैं. इनमें से चार खिलाड़ी लंदन में भी फुटबॉल खेल चुकी हैं.

हालांकि आनंद गोप को पिछले कुछ वर्षों तक एक एनजीओ का साथ जरूर मिला था, लेकिन अब वह सहारा भी छिन गया. अब आनंद खुद ही अपने प्रयास से प्रशिक्षण देकर महिला फुटबॉलर तैयार कर रहे हैं. सरकार की ओर से कभी भी कोच को प्रोत्साहन नहीं दिया गया.

Posted by: Pritish Sahay

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