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जान पहचान वालों पर रखें पैनी नजर, अधिकतम मामलों में परिचित ही कर रहें बलात्कार

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एमसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2018 में महिलाओं के खिलाफ पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हो गयी है. साल 2017 में 14,711 मामलों की तुलना में साल 2018 में राज्य में 2,200 से अधिक मामले (कुल 16,920) देखे गये. वहीं साल 2016 में रिपोर्ट किये गये मामलों की संख्या 13,400 थी.

एनसीआरबी रिपोर्ट : 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में हुई वृद्धि

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एमसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2018 में महिलाओं के खिलाफ पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हो गयी है. साल 2017 में 14,711 मामलों की तुलना में साल 2018 में राज्य में 2,200 से अधिक मामले (कुल 16,920) देखे गये. वहीं साल 2016 में रिपोर्ट किये गये मामलों की संख्या 13,400 थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 98.2 प्रतिशत बलात्कार के मामले हैं, जिसमें उनके परिचित शामिल हैं. हालांकि, बिहार में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में बहुत कम है. प्रति एक लाख आबादी पर ऐसे अपराध की राष्ट्रीय औसत 57.5 है. जबकि बिहार में इस तरह के अपराधों का दर 29.8 है. वहीं असम देश में सबसे ज्यादा 166 के बाद दिल्ली में यह अपराध दर 149.6 है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट में शामिल अपराधों की श्रेणियों में बलात्कार, अपहरण, महिलाओं के चरित्र पर हमला, पति और रिश्तेदारों द्वारा क्रूर व्यवहार और दूसरों के बीच दहेज मृत्यु है. बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके खिलाफ महिलाएं आवाज उठा रही हैं. उन्होंने कहा कि पहले महिलाएं चुप रहती थीं, लेकिन अब शिक्षा और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता ने उन्हें जागरूक किया है और वे पुलिस को रिपोर्ट करती हैं. इसके अलावा महिला आयोग, पुलिस और मीडिया इनकी बखूबी मदद कर रही है.

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का कोई मामला नहीं

आंकड़ों से यह भी पता चला है कि 540 बलात्कार पीड़िता 18 और 30 वर्ष की आयु की थी, जबकि 111 बलात्कार पीड़िता 30 से ऊपर और 45 वर्ष से कम आयु वर्ग में थीं. वहीं 45 और 60 साल की उम्र के बीच की महिलाओं के बलात्कार के 16 मामले सामने आये हैं. 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ कोई बलात्कार का मामला दर्ज नहीं किया गया था जबकि 12 और 18 साल के आयु वर्ग में सिर्फ एक मामला था.

बलात्कार के अलावा, राज्य में महिलाओं पर हमले के 106 मामले और यौन उत्पीड़न के 113 मामले (आइपीसी की धारा 354 ए) दर्ज किये गये हैं. हालांकि कार्य स्थल से यौन उत्पीड़न के कोई भी मामला सामने नहीं आया है.

लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करते वक्त ऐसे 22 मामले सामने आये और अन्य स्थानों से 91 मामले आये हैं. साल 2018 में महिलाओं पर हुए अन्य हमलों में पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के 2,539 घटनाएं शामिल थे जबकि गर्भपात के लिए मजबूर करना 20, एसिड अटैक 6, अवहेलना के 23, छेड़खानी के 3 और स्टॉकिंग के 17 घटनाएं शामिल हैं.

जान पहचान वालों पर रखें पैनी नजर

एनसीआरबी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बिहार में ज्यादातर बलात्कार के मामलों में अपराधी जान-पहचान वाले ही होते हैं. बिहार में 2018 में बलात्कार के कुल 651 मामले दर्ज किये गये, जिनमें 639 मामलों में बलात्कारी जान-पहचान के थे.

वहीं 563 बलात्कार के मामलों के लिए दोस्त, ऑनलाइन दोस्त, लिव-इन पार्टनर आदि शामिल थे. केवल 12 मामलों में पीड़िता अपराधियों को नहीं जानती थीं जबकि सात अपराधी परिवार के सदस्य थे और 219 अपराधी परिवार के दोस्त, पड़ोसी, कर्मचारी या अन्य जान-पहचान के व्यक्ति थे. 2018 में दर्ज हुए बलात्कार के मामलों में से कुल आठ सामूहिक बलात्कार के थे.

महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले

2016 13400

2017 14711

2018 16920

कुल रेप केस 651 जिसमें 639 आरोपितों की पीड़िता से जान-पहचान

639 आरोपितों की पीड़िता से जान-पहचान

07 आरोपित परिवार के सदस्य

12 अन्य आरोपित

219 अन्य ज्ञात अपराधी

413 नेट फ्रेंड्स, लिव इन पार्टनर, पति

महिलाओं पर अन्य हमले या घटनाएं

कुल मामले 16920

पति या परिवार द्वारा क्रूरता 2539

सेक्सुअल हैरासमेंट 113

अवहेलना 23

एसिड एटैक 06

जबरन गर्भपात 20

पीछा करना 17

छेड़खानी 03

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