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नए आपराधिक कानून न्याय प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में ‘महत्वपूर्ण कदम’, बोले प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़

नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य जांच और न्यायिक प्रक्रियाओं में शामिल हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग प्रदान करना है. जानें क्या बोले प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को सीबीआई के पहले निदेशक की स्मृति में आयोजित 20वें डी पी कोहली व्याख्यान को संबोधित किया. अपने सबोधन में उन्होंने ब्रिटिश काल के कानूनों को बदलने के लिए लाये गए नये आपराधिक कानूनों की सराहना की और इसे न्याय प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में एक ‘‘महत्वपूर्ण कदम’’ बताया.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम सूचना के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं. उन्होंने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य जांच और न्यायिक प्रक्रियाओं में शामिल हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय और सहयोग प्रदान करना है. आपको बता दें कि ये तीनों नए कानून एक जुलाई से लागू होंगे.

जांच एजेंसियों पर क्या बोले डी वाई चंद्रचूड़

अपने संबोधन में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सीबीआई जैसी एजेंसियों को उन अपराधों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो देश की सुरक्षा, आर्थिक स्थिति और लोक व्यवस्था के लिए असल में खतरा पैदा कर रहे हैं. छापेमारी के दौरान व्यक्तिगत उपकरणों की ‘अवांछित’ जब्ती की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि ये चीजें जांच अनिवार्यताओं और व्यक्तिगत गोपनीयता अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती हैं.

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आगे सीजेआई ने कहा कि तलाशी और जब्ती की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जैसी जांच एजेंसियों की शक्तियों तथा व्यक्ति की निजता के अधिकार के बीच ‘नाजुक संतुलन’ रखने की जरूरत है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि आपराधिक न्याय क्षेत्र में, तलाश और जब्ती शक्तियों तथा व्यक्तिगत गोपनीयता अधिकारों के बीच बहुत नाजुक संतुलन है और यह एक निष्पक्ष एवं न्यायपूर्ण समाज की आधारशिला है. इस संतुलन के मूल में उचित प्रक्रिया को बनाए रखने की आवश्यकता है.

जांच एजेंसियों की व्यापकता का दायरा बहुत कम

आगे सीजेआई ने कहा, मुझे लगता है कि चीजों में तेजी से बदलाव के बावजूद, पिछले कुछ वर्षों में हमारी जांच एजेंसियों की व्यापकता का दायरा बहुत कम रहा है. हमारी प्रमुख जांच एजेंसियों को ऐसे अपराधों पर ध्यान देना चाहिए जो असल में राष्ट्र की सुरक्षा, आर्थिक स्थिति और लोक व्यवस्था के लिए खतरा हैं. इससे पहले, सीजेआई ने छह कर्मियों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक और 29 सीबीआई अधिकारियों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक प्रदान किए.

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