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बंगाल में 10वीं व 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं हो सकती हैं रद्द, एक्सपर्ट पैनल ने सौंपी रिपोर्ट, सबकी नजर ममता पर

बंगाल में 10वीं व 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं हो सकती हैं रद्द, एक्सपर्ट पैनल ने सौंपी रिपोर्ट, निगाहें ममता पर

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में मैट्रिक और इंटर (10वीं और 12वीं) की बोर्ड परीक्षाएं रद्द होने की संभावना जतायी जा रही है.सीबीएसइ (12वीं) व आइएससी (12वीं) की परीक्षाएं रद्द होने के बाद सबकी नजरें राज्य की माध्यमिक व उच्च माध्यमिक परीक्षाओं पर टिकी हैं. इन परीक्षाओं के लिए शिक्षा विभाग द्वारा गठित 6 सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसमें सुझाव व सिफारिशें की गयी हैं. बताया जा रहा है कि परीक्षाओं पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद लेंगी.

हालांकि कमेटी में शामिल छह सदस्यों से संपर्क करने पर किसी ने भी कॉल रिसीव नहीं किया. एकमात्र माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली ने कहा कि वह एक सदस्य हैं. लेकिन कमेटी का चैयरमेन ही जानकारी देगा. उनके पास इससे संबंधित कोई जानकारी नहीं है. वहीं, विशेषज्ञ कमेटी के सूत्रों का कहना है कि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक परीक्षाएं रद्द किये जाने की संभावना अधिक है. इन परीक्षाओं को लेकर कमेटी के सभी सदस्यों ने अपनी राय व सुझाव दिये हैं.

अब इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लेंगी. नबान्न में रिपोर्ट जाने के बाद ही कोई बड़ी घोषणा होगी या शिक्षा मंत्री परीक्षाओं के संबंध में सूचना जारी कर सकते हैं. गौरतलब है कि बुधवार को एचएस काउंसिल में दोनों परीक्षाओं के शेड्यूल जारी करने की बात थी, जिसे जल्दबाजी में रद्द कर दिया गया. दिल्ली बोर्ड की 12वीं की परीक्षा रद्द होने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार भी परीक्षा को लेकर दुविधा में है. इसके लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनायी गयी.

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कमेटी में तीन शिक्षाविद्, दो डॉक्टर व चाइल्ड राइट्स एडवोकेट को शामिल किया गया. इसमें नेताजी सुभाष ओपन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर शुभशंकर सरकार, उच्च माध्यमिक शिक्षा पर्षद की अध्यक्ष महुआ दास, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली, वेस्ट बंगाल स्टेट कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की अध्यक्ष अनन्या चक्रवर्ती, एसएसकेएम की एचओडी व प्रोफेसर डॉ जीके ढाली और इंस्टीट्यूट ऑफ साइकेट्री के निदेशक व प्रोफेसर डॉ प्रदीप साहा को रखा गया था.

शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर परीक्षाएं रद्द की जाती हैं, तो माध्यमिक व उच्च माध्यमिक के विद्यार्थियाें का मूल्यांकन कैसे किया जायेगा, यह सबसे बड़ा सवाल है. माध्यमिक के साढ़े 11 लाख व उच्च माध्यमिक के लगभग नौ लाख विद्यार्थियों के वैक्सीनेशन को लेकर भी चर्चा की जा रही है. परीक्षा को लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.

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परीक्षाओं को लेकर क्या कहते हैं शिक्षक संगठन

वेस्ट बंगाल गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव सौगत बसु ने कहा कि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक की परीक्षाओं को लेकर विद्यार्थियों में घबराहट व तनाव बढ़ रहा है. जनवरी में परीक्षा जून में कराये जाने की घोषणा की गयी थी. फिर इसकी तिथि टाल दी गयी. इन पांच महीनों में भी छात्रों के डेटा संग्रह करके नहीं रखे गये. 12 फरवरी से स्कूल खुले थे, लेकिन फिर भी कोई टेस्ट या सेंटअप परीक्षा नहीं ली गयी. अगर परीक्षा रद्द होती है, तो उनकी इवैल्यूशन शीट कैसे तैयार होगी.

कहा कि लैब बेस्ड विषयों के लिए 30 और नॉन लैब बेस्ड परीक्षा के लिए 20 अंक तय होते हैं. इन अंकों के आधार पर किसी भी छात्र का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने हाल ही में जुलाई में उच्च माध्यमिक व अगस्त में माध्यमिक परीक्षा किये जाने की घोषणा की. अब कमेटी की रिपोर्ट के बाद रद्द होने की अधिक संभावना से छात्र व अभिभावकों का भी तनाव बढ़ गया है.

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बंगीय शिक्षा ओ शिक्षा कर्मी के सह सचिव सपन मंडल का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा एचएस परीक्षा जुलाई में और माध्यमिक परीक्षा अगस्त में कराये जाने की घोषणा की गयी, तब तो कमेटी नहीं बनायी गयी थी. अब अन्य बोर्ड की परीक्षा रद्द होने के बाद कमेटी बनायी गयी है. कमेटी के सूत्र भी परीक्षा रद्द होने का संकेत दे रहे हैं. इस स्थिति में राज्य के लगभग 20-21 लाख छात्रों की मानसिक स्थिति क्या हो रही है, इसका अनुमान लगाया जाये.

उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ अभिभावक भी परेशान हैं. हम तो चाहते थे कि परीक्षा कोविड प्रोटोकॉल के साथ राज्य में हो. सरकार को परीक्षा की घोषणा पहले नहीं करनी चाहिए थी, अब छात्रों का इवैल्यूएशन कैसे होगा, क्योंकि स्कूलों के पास आइसीएसइ या सीबीएसइ बोर्ड स्कूल की तरह कोई डेटा नहीं है. राज्य में शिक्षा की स्थिति बहुत विचित्र हो गयी है.

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Posted By: Mithilesh Jha

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