उत्तर बंगाल में जलपाईगुड़ी में तथा दूसरा दक्षिण बंगाल के हुगली में है. इसके अलावा कोलकाता में इस विभाग का मुख्यालय है. कार्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस विभाग की स्थापना एक तरह से कहें तो सरकारी कामों तथा अधिकारियों पर नजर रखने के लिए की गई थी.अपने आप में यह एक महत्वपूर्ण विभाग है. लेकिन वर्तमान में इस विभाग के पास कोई काम-काज ही नहीं है. उत्तर बंगाल के सभी जिलों में जारी सरकारी कार्यों पर नजर रखने के लिए कुल 16 पद सृजित किये गये थे. धीरे-धीरे एक-एक सभी कर्मचारी रिटायर होते चले गये. उनके स्थान पर नये अधिकारी या कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई. वर्तमान में अब तीन ही कर्मचारी इस विभाग में बचे हैं. उनमें एक सीनियर रिसर्च अधिकारी भी शामिल हैं.
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जलपाईगुड़ी में साइन बोर्ड बना सरकारी कार्यालय
जलपाईगुड़ी. इस सरकारी कार्यालय में अंतिम बार कब कोई काम हुआ था, इसकी कोई जानकारी इस कार्यालय के कर्मचारियों को नहीं है. एक तरह से कहें तो इस कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को साल में एक बार राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजना होता है. जलपाईगुड़ी के ऑफिस ऑफ द सीनियर रिसर्च ऑफिसर मेनपावर […]
जलपाईगुड़ी. इस सरकारी कार्यालय में अंतिम बार कब कोई काम हुआ था, इसकी कोई जानकारी इस कार्यालय के कर्मचारियों को नहीं है. एक तरह से कहें तो इस कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों को साल में एक बार राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजना होता है. जलपाईगुड़ी के ऑफिस ऑफ द सीनियर रिसर्च ऑफिसर मेनपावर ऐंड एव्युलेशन नामक सरकारी कार्यालय का कुछ ऐसा ही हाल है. राज्य में वाम मोरचा के शासनकाल में सरकारी कार्यों में तेजी लाने के लिए इस विभाग का गठन किया गया था. राज्य के वित्त मंत्रालय का अधीन इस विभाग का पूरे राज्य में दो ही कार्यालय है.
कब हुआ था काम
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस विभाग के कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2009-10 में काम करने का मौका मिला था. तब उत्तर बंगाल के सरकारी पुस्तकालयों की समीक्षा का काम इस विभाग को सौंपा गया था. उससे पहले 2007 में इस विभाग को जलपाईगुड़ी जिले में बंद चाय बागानों की समीक्षा की जिम्मेदारी भी दी गई थी. विभागीय कर्मचारियों ने अंतिम वर्ष 2013 में काम किया है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे जो आगे चलकर स्कूल आना बंद कर देते हैं उसकी समीक्षा की जिम्मेदारी इस विभाग को दी गई थी. तब से लेकर अब तक करीब तीन साल का समय हो चुका है, इस विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को राज्य सरकार की ओर से कोई काम नहीं दिया गया है. विभाग के तीनों कर्मचारी बैठे-बैठे सरकारी तनख्वाह उड़ा रहे हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में प्रभारी सीनियर रिसर्च ऑफिसर तथा डिस्ट्रीक्ट डेवलपमेंट विभाग के अधिकारी यूटेन शेरपा ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से इस विभाग के कर्मचारियों को दूसरे विभाग में भेजने की पहल की जा रही है. यह विभाग राज्य सरकार के एक निदेशालय के अधीन है. इसी वजह से कुछ कानूनी दिक्कतें आ रही हैं. अंतिम निर्णय इसी विभाग के निदेशालय को करना है.
क्या-क्या मिल सकता है काम
ऐसा नहीं है कि इस विभाग के पास काम का कोई अभाव है. सांसद तथा विधायक फंड की उपयोगिता से लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास, शिक्षा, चाय उद्योग आदि कई विभाग हैं जहां के सरकारी कार्यों पर नजर रखने की जिम्मेदारी इस विभाग को दी जा सकती है. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से तृणमूल सरकार में सरकारी कार्यों में तेजी आयी है. राज्य सरकार ने कई योजनाओं की शुरूआत की है. कन्याश्री, युवाश्री, सबुज साथी, जल धरो जल भरो, सभी के लिए घर आदि जैसी कई योजनाएं चल रही हैं. राज्य की ममता बनर्जी सरकार इन कार्यों की समीक्षा की जिम्मेदारी इस विभाग को सौंप सकती है.
कर्मचारियों की स्थिति
वर्ष 2009 तक इस कार्यालय में सीनियर रिसर्च ऑफिसर का स्थायी पद था. उस अधिकारी के रिटायर होने के बाद यह पद अस्थायी पड़ा हुआ है. यहां एक सुपरवाइजर भी थे. वह वर्ष 2010 में रिटायर हो गये. वर्ष 2011 में टायपिस्ट भी रिटायर होकर घर चले गये. तीन इंवेस्टीगेटर भी धीरे-धीरे रिटायर हो गये. कंप्यूटर विभाग के लिए एक कर्मचारी की नियुक्ति की गई थी जो 1999 में रिटायर हो गये. तब से लेकर अब तक इन रिक्त पदों को नहीं भरा गया है. वर्तमान में इस कार्यालय में एक एलडी, एक ईडी तथा एक चपरासी कुल तीन लोग हैं. विभागीय सूत्रों ने बताया कि पिछले 20-22 सालों से इस विभाग में कौन कर्मचारी रिटायर हो रहा है और किस विभाग में कितने पद खाली हैं, इसका रिपोर्ट भेजने के अलावा इस सरकारी विभाग के पास कोई काम नहीं है.
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