एसजेडीए बोर्ड का भी गठन हो गया है. यह अलग बात है कि एसजेडीए बोर्ड में किसी जन प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है. इस बोर्ड में दार्जिलिंग और जलपाइगुड़ी जिले के कुछ प्रशासनिक अधिकारी शामिल है. नये बोर्ड का गठन हुए करीब तीन महीने बीत चुके हैं. सूत्रों के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष का कार्य ही अभी पूरा नहीं हुआ है. कइ बड़ी परियोजनायें अधर में लटकी हुयी हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसजेडीए की करीब 15 करोड़ रूपये की परियोजनायें रूकी हुयी है. इन सभी परियोजनाओं को विधानसभा चुनाव से पहले ही समाप्त किया जाना चाहिए था. सिर्फ ठेकेदारों की लापरवाही की वजह से काम ठप है.
इन सभी परियोजनाओं में करीब छह से दस महीने की देरी हो गयी है. इनमें विधान नगर में निर्माणाधीन अनारस डेवलपमेंट यूनिट सबसे बड़ी परियोजना है. इसके अतिरिक्त जलपाइगुड़ी, राजगंज, डाबग्राम-फूलबाड़ी आदि इलाकों में कइ सड़क परियोजनाओं का काम भी शामिल हैं. मिली जानकारी के अनुसार काम में हो रही देरी के लिये एसजेडीए किसी भी रूप में दोषी नहीं है. क्योंकि एसजेडीए में ना ही कर्मचारियों की कमी है और ना ही रूपयों की. हाल ही में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रशासनिक बैठक के लिये उत्तर दिनाजपुर जिले में चोपड़ा आयी थी. इस बैठक के बाद उन्होंने एसजेडीए के विभिन्न परियोजनाओं का अवलोकन किया. उन्होंने पहले ही रिपोर्ट मंगवा ली थी.
कइ परियोजनाओं को काम रूके रहने से मुख्यमंत्री का पारा चढ़ गया. उन्होंने समय पर काम पूरा ना करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्देश चेयरमैन सौरभ चक्रवर्ती को दिया. मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार श्री चक्रवर्ती ने सभी ठप परियोजनाओं का जायजा लिया. उन्हें लगा कि ठेकेदार वेवजह देरी कर रहे हैं. जिस काम को आठ से दस महीने पहले समाप्त हो जाना चाहिए था वह आज भी ठप है. पिछला कार्य पूरा ना कर पाने की स्थिति में एसजेडीए अन्य परियोजनाओं पर कार्य नहीं कर पा रही है. इसके बाद उन्होंने समय पर कार्य पूरा ना करने वाले ठेकेदारों की एक सूची तैयार की और नोटिस जारी किया . नोटिस में साफ तौर से निर्देश दिया गया है कि अविलंब कार्य पूरा ना करने पर ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जायेगा. नोटिस मिलने के बाद ही ठेकेदारों में हड़कंप है. ऐसे ठेकेदार चेयरमैन और अन्य नेता, मंत्रियों के हाथ-पैर पकड़ने लगे हैं.